महाराज को समझाने के लिए तेनालीरामा ने एक उपाय सोचा। तेनालीरामा के पास जो बिल्ली थी उसे रोज गर्म दूध पीने के लिए देते और गरम दूध के कारण बिल्ली का मुँह जल जाता। बिल्ली ने दूध पीना छोड़ दिया। महाराज ने सोचा कि जाकर नगर का समाचार लिया जाए कि बिल्लियाँ कैसी है। महाराज ने पूरे नगर का परिक्षण कर तेनालीरामा के घर पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि बिल्ली सूखकर कमजोर हो गई है, परन्तु बाकी सभी नगरवासियों की बिल्लियाँ मजबूत और हट्टी कट्टी है। तेनालीरामा ने महाराज से कहा - "महाराज यह दूध पीती ही नहीं।" | महाराज को समझाने के लिए तेनालीरामा ने एक उपाय सोचा। तेनालीरामा के पास जो बिल्ली थी उसे रोज गर्म दूध पीने के लिए देते और गरम दूध के कारण बिल्ली का मुँह जल जाता। बिल्ली ने दूध पीना छोड़ दिया। महाराज ने सोचा कि जाकर नगर का समाचार लिया जाए कि बिल्लियाँ कैसी है। महाराज ने पूरे नगर का परिक्षण कर तेनालीरामा के घर पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि बिल्ली सूखकर कमजोर हो गई है, परन्तु बाकी सभी नगरवासियों की बिल्लियाँ मजबूत और हट्टी कट्टी है। तेनालीरामा ने महाराज से कहा - "महाराज यह दूध पीती ही नहीं।" |