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बच्चो में संस्कारो का वर्धन ५ वर्ष की आयु से पाठांतर पठन माध्यम से प्रारंभ कर देना चाहिए | बच्चो में अपने धर्म के प्रति ,अपने राष्ट्र के प्रति और अपने देशवाशियो एवं माता-पिता गुरुजनों का आदर सम्मान करने की शिक्षा सर्वप्रथम देनी चाहिये | इसलिए हमें सर्वदा यह प्रयास करना चाहिए की विद्या का का प्रारंभ अपनी प्राचीन भाषा संस्कृत में किया जाये | इसी विषय को अग्रेसर करते हुए सम्पूर्ण भारत का परिचय सभी अभिभावक सरल रूप में और सहजता से प्राप्त कर सके|
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बच्चो में संस्कारो का वर्धन ५ वर्ष की आयु से पाठांतर पठन माध्यम से प्रारंभ कर देना चाहिए बच्चो में अपने धर्म के प्रति ,अपने राष्ट्र के प्रति और अपने देशवाशियो एवं माता-पिता गुरुजनों का आदर सम्मान करने की शिक्षा सर्वप्रथम देनी चाहिये इसलिए हमें सर्वदा यह प्रयास करना चाहिए की विद्या का का प्रारंभ अपनी प्राचीन भाषा संस्कृत में किया जाये इसी विषय को अग्रेसर करते हुए सम्पूर्ण भारत का परिचय सभी अभिभावक सरल रूप में और सहजता से प्राप्त कर सके।
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इसलिए " एकात्मता स्तोत्र " नामक यह पाठांतर आपके लिए प्रस्तुत है | एकात्मता-स्तोत्र के पूर्वरूप – भारत-भक्ति-स्तोत्र – से हम लोग भली भाँति परिचित हैं, जो बोलचाल में 'प्रात: स्मरण' नाम से जाना जाता है, क्योंकि वह प्रात: स्मरण की हमारी प्राचीन परम्परा से ही प्रेरित था। राष्ट्रीय एकात्मता की दृष्टि से इसमें कुछ और नाम जोड़कर इसे अधिक व्यापकता प्रदान करने तथा दिन या रात में भी पाठयोग्य बनाने के उद्देश्य से विक्रमी संवत् २०४२ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने वर्तमान एकात्मता-स्तोत्र का अनुमोदन किया।  
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इसलिए " एकात्मता स्तोत्र " नामक यह पाठांतर आपके लिए प्रस्तुत है एकात्मता-स्तोत्र के पूर्वरूप – भारत-भक्ति-स्तोत्र – से हम लोग भली भाँति परिचित हैं, जो बोलचाल में 'प्रात: स्मरण' नाम से जाना जाता है, क्योंकि वह प्रात: स्मरण की हमारी प्राचीन परम्परा से ही प्रेरित था। राष्ट्रीय एकात्मता की दृष्टि से इसमें कुछ और नाम जोड़कर इसे अधिक व्यापकता प्रदान करने तथा दिन या रात में भी पाठयोग्य बनाने के उद्देश्य से विक्रमी संवत् २०४२ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने वर्तमान एकात्मता-स्तोत्र का अनुमोदन किया।  
    
यह'भारत-एकात्मता-स्तोत्र' भारत की सनातन और सर्वकष एकात्मता के प्रतीकभूत नामों का श्लोकबद्ध संग्रह है। सम्पूर्ण भारतवर्ष की एकात्मता के संस्कार दृढ़मूल करने के लिए इस नाममाला का ग्रथन किया गया है।
 
यह'भारत-एकात्मता-स्तोत्र' भारत की सनातन और सर्वकष एकात्मता के प्रतीकभूत नामों का श्लोकबद्ध संग्रह है। सम्पूर्ण भारतवर्ष की एकात्मता के संस्कार दृढ़मूल करने के लिए इस नाममाला का ग्रथन किया गया है।
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राष्ट्र के प्रति अनन्य भक्ति , पूर्वजो के प्रति असीम श्रद्धा तथा सम्पूर्ण देश में निवास करने वालो के प्रति एकात्मता का भाव जागृत करने वाले इस मंत्र का नियमित रूप से पठान करना चाहिए |
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राष्ट्र के प्रति अनन्य भक्ति , पूर्वजो के प्रति असीम श्रद्धा तथा सम्पूर्ण देश में निवास करने वालो के प्रति एकात्मता का भाव जागृत करने वाले इस मंत्र का नियमित रूप से पठान करना चाहिए
    
=== एकात्मतास्तोत्रम् ===
 
=== एकात्मतास्तोत्रम् ===
<blockquote>ॐ सच्चिदानन्दरूपाय नमोऽस्तु परमात्मने।</blockquote><blockquote>ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमाङ्गल्यमूर्तये ।।१।।</blockquote>विश्वकल्याण के प्रतिमूर्ति, ज्योतिर्मय, सच्चिदानन्द स्वरूप परमात्मा को नमस्कार ||१||
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<blockquote>ॐ सच्चिदानन्दरूपाय नमोऽस्तु परमात्मने।</blockquote><blockquote>ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमाङ्गल्यमूर्तये ।।१।।</blockquote>विश्वकल्याण के प्रतिमूर्ति, ज्योतिर्मय, सच्चिदानन्द स्वरूप परमात्मा को नमस्कार ।।१।।
    
<blockquote>प्रकृतिः पञ्च भूतानि ग्रहा लोका स्वरास्तथा।</blockquote><blockquote>दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुवन्तु मङ्गलम् ।।२।।</blockquote>सत्व, रज और तमोगुण से युक्त प्रकृति; पंचभूत (अग्नि, जल,वायु, पृथ्वी, आकाश); नवग्रह; तीनों लोक; सात स्वर; दसों दिशाएं तथा सभी काल (भूत, भविष्य, वर्तमान) सर्वदा कल्याणकारी हों । ।२।।
 
<blockquote>प्रकृतिः पञ्च भूतानि ग्रहा लोका स्वरास्तथा।</blockquote><blockquote>दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुवन्तु मङ्गलम् ।।२।।</blockquote>सत्व, रज और तमोगुण से युक्त प्रकृति; पंचभूत (अग्नि, जल,वायु, पृथ्वी, आकाश); नवग्रह; तीनों लोक; सात स्वर; दसों दिशाएं तथा सभी काल (भूत, भविष्य, वर्तमान) सर्वदा कल्याणकारी हों । ।२।।
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<blockquote>श्रीरामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः ।</blockquote><blockquote>मार्कण्डेयो हरिशचन्द्रः प्रह्लादो नारदो धुवः ।। १२ ।।</blockquote>भगवान श्रीराम, भरत, कृष्ण, भीष्म, धर्मराज युधिष्ठिर अर्जुन. ऋषि मार्कण्डेय. हरिश्चन्द्र, प्रहलाद, नारद, ध्रुव संत तथा ।।१२ ।।
 
<blockquote>श्रीरामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः ।</blockquote><blockquote>मार्कण्डेयो हरिशचन्द्रः प्रह्लादो नारदो धुवः ।। १२ ।।</blockquote>भगवान श्रीराम, भरत, कृष्ण, भीष्म, धर्मराज युधिष्ठिर अर्जुन. ऋषि मार्कण्डेय. हरिश्चन्द्र, प्रहलाद, नारद, ध्रुव संत तथा ।।१२ ।।
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<blockquote>हनुमान जनको व्यासो वशिष्ठश्च शुको बलिः।</blockquote><blockquote>दधीचि विश्वकर्माणौ पृथुवाल्मीकिभागर्गवाः ।। 13 ।।</blockquote>हनुमान, जनक, व्यास, वशिष्ठ, शुक देव, राजा बलि, दधीचि, विश्वकर्मा, पृथ, वाल्मीकि, भाग्गव (परशुराम) ॥ 13।।<blockquote>भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धन्वन्तरिस्तथा ।</blockquote><blockquote>शिबिश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तयः ॥ १४ ॥</blockquote>भगीरथ, एकलव्य मनु, धन्वन्तरि.. शिबि तथा रन्तिदेव की कीर्ति पुराणों में गाई गई है । । १५।।<blockquote>बुद्धा जिनेन्द्रा गोरक्षः पाणिनिश्च पत०जलि ।</blockquote><blockquote>शंकरो मध्वनिम्बाकौं श्रीरामानुजवल्लभौ । । १५।।</blockquote>बुद्ध के सभी अवतार, सभी तीर्थकर, गुरु गोरखनाथ, पाणिनि, पंतजलि, शंकाराचार्य, मध्वार्चा, निम्बाक्काचार्य. रामनुजाचार्य तथा बल्लभाचार्य, ।। १५।।<blockquote>झुलेलालोऽथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा।</blockquote><blockquote>नायन्मारालवाराश्च कंबश्च बसवेश्वरः ।। १६।।</blockquote>झूलेलाल, महाप्रभु चैतन्य, तिरुवल्लु वर, नायन्मार तथा आलवार सन्तपरम्मरा, कंब, बसवेश्वर तथा ।। १६।।<blockquote>देवलो रविवासश्च कबीरो गुरुनानकः ।</blockquote><blockquote>नरसिस्तुलसीदासो दशमेशो दुढव्रतः ॥ १७ ॥</blockquote>महर्षि देवल, सन्त रविदास, कबीर, गुरुनानक, नरसी मेहता, तुलसीदास, दृढव्रती गुरुगोविन्दसिंह, ।। १७।।<blockquote>श्रीमत् शंकरदेवश्च बन्धू सायण-माधवौ ।</blockquote><blockquote>ज्ञानेश्वरस्तुकारामो रामदासा: पुरन्दरः ।। १८ ।।</blockquote>आसाम के वैष्णव सन्त श्रीमत् शंकरदेव, सायणाचार्य, माधवाचार्य संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, समर्थगुरु रामदास, पुरन्दरदास ।। १८ ।।<blockquote>बिरसा सहजानन्दो रामानन्दस्तथा महान् ।</blockquote><blockquote>वितरन्तु सदैवेते दैवीं सद्गुणसम्पदम् ।। १९।।</blockquote>बिरसामुण्डा, स्वामी सहजानन्द, रामानन्द आदि महान पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें । 19।।<blockquote>भरतर्षिः कालिदासः श्रीभोजो जकणस्तथा।</blockquote><blockquote>सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः | । २० ।।</blockquote>नाट्यशास्त्र के आदि गुरु भरत ऋषि, संस्कृत के विद्वान कालिदास, महाराजा भोज, जकण, महात्मा सूरदास, त्यागराज,रसखान जैसे श्रेष्ठ कवि तथा।। २० ।।<blockquote>रविवर्मा भातखण्डे भाग्यचन्द्रः स भूपतिः।</blockquote><blockquote>कलावन्तश्च विख्याता स्मरणीया निरन्तरम् ।। २१  ।।</blockquote>महान चित्रकार रविवर्मा, वर्तमान संगीत कला के विख्यात उद्धारक भातखण्डे, मणिपुर के राजा भाग्यचन्द्र आदि विख्यात कलाकार सर्वदा स्मरणीय हैं। ।।२१ |।<blockquote>अगस्त्यः कम्बुकौण्डिन्यौ राजेन्द्रश्चोलवं शजः ।</blockquote><blockquote>अशोकः पुष्यमित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान् । २२  ।।</blockquote>अगस्त्य, कम्बु, कौण्डिन्य, चोलवंशज राजेन्द्र, अशोक, पुष्यमित्र तथा खारवेल नीतिज्ञ हैं ।। २२ । ।<blockquote>चाणक्य-चन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहन: ।</blockquote><blockquote>समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेन्द्रो बप्परावलः ।। २३।।</blockquote>चाणक्य, चन्द्रगुप्त, विक्रमादित्य, शालिवाहन. समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन, शैलेन्द्र, बेप्पारावल तथा।। 23|।<blockquote>लाचिद् भास्करवर्मा च यशोधर्मा च हुणजित् ।</blockquote><blockquote>श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उद्बल: ॥ 24 ॥</blockquote>लाचिद् बड़फुंकन, भास्करवर्मा, हूणविजयी यशोध्मा श्रीकृष्णदेवराय तथा ललितादित्य जैसे वलशाली।। 24 ।।<blockquote>मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिवभूपतिः ।</blockquote><blockquote>रणजित्सिंह इत्येते वीरा विख्यातविक्रमाः । । 25 ।।</blockquote>प्रोलय नायक, कप्पयनायक, महाराणाप्रताप, महाराज शिवाजी तथा रणजीत सिंह, इस देश में ऐसे विख्यात पराक्रमी वीर हुए हैं।। 25।।<blockquote>वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः सुश्रुतस्तथा।</blockquote><blockquote>चरको भास्कराचा्यों वराहमिहिरः सुधी:।। 26 ।।</blockquote>हमारे बुद्धिमान वैज्ञानिक कपिलमुनि, कणाद् ऋषि सुश्रुत चरक, भास्काराचार्य तथा वराहमिहिर। । 26 ।।<blockquote>नागार्जुनो भरद्वाज आर्यभट्टो बसुर्बुधः ।</blockquote><blockquote>ध्येयो वेड्टरामश्च विज्ञा रामानुजादयः ॥ 27 ॥</blockquote>नागार्जुन, भरद्वाज, आर्यभट्ट, जगदीशचन्द्र बसु चन्द्रशेखर वेंकट रमन तथा राजमानुजम् जैसे प्रतिभावान वैज्ञानिक स्मरणीय हैं।। 27 ।।<blockquote>रामकृष्णो दयानन्दो रवीन्द्रो राममोहनः ।</blockquote><blockquote>रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानन्द उद्यशाः।। 28 ।।</blockquote>रामकृष्ण परमहंस, स्वामी दयानन्द. रवीन्द्रनाथ टैगोर राज राममोहनराय, स्वामी रामतीर्थ, महर्षि अरविन्द स्वामी विवेकानन्द तथा।। 28 ।।<blockquote>दादाभाई गोपबन्धुः तिलको गान्धिरादृता।</blockquote><blockquote>रमणो मालवीयश्च श्री सुब्रह्मण्यभारती।। 29 ।। |</blockquote>दादाभाई नौरोजी. गोपबंध दवास महात्मा गॉँधी,  बालगंगाधर तिलक. महर्षि रमण, महामना मालवीय तथा सुब्रह्मण्य भारती आदरणीय हैं।। 29 ।।<blockquote>सुभाषः प्रणवानन्दः क्रान्तिवीरो विनायक:।</blockquote><blockquote>ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरु: तथा ।। 30 ।।</blockquote>नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, प्रणवानन्द, क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर, ठक्कर बाप्पा, भीमराव अम्बेडकर, ज्योतिराव<blockquote>संघशक्तिप्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा ।</blockquote><blockquote>स्मरणीयाः सदैवैते नवचैतन्यदायकाः ॥ 31 ॥</blockquote>संघ-शक्ति के प्रणेता प.पू केशवराव बलिराम हेडगेवार तथा माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर, हिन्दू समाज में नवीन चेतना प्रदान करने वाले महापुरुष सदैव स्मरणीय हैं। 31 ।।<blockquote>अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरणसंसक्तहृदयाः</blockquote><blockquote>अनिर्दिष्टा वीरा अधिसमरमुद्ध्वस्तरिपवः ।</blockquote><blockquote>समाजोद्धर्तारः सुहितकरविज्ञाननिपुणाः</blockquote><blockquote>नमस्तेभ्यो भूयात् सकलसुजनेभ्यः प्रतिदिनम् ।॥ 32 ॥</blockquote>प्रभुचरण में अनुरक्त रहने वाले अनेक भक्त जो शेष रह गए, देश की अस्मिता और अखण्डता पर प्रहार करने वाले शत्रुओं युद्ध में परास्त करने वाले बहुत से वीर जिनके नामों का उल्लेख नहीं हो पाया, तथा अन्य समाजोद्धारक, समाज के हितचिन्तक तथा निपुण वैज्ञानिक एवं सभी श्रेष्ठजनों को प्रतिदिन हमारे प्रणाम समर्पित हों। । 32 ।।<blockquote>इदमेकात्मतास्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत् !</blockquote><blockquote>स राष्ट्रधर्मनिष्ठावान् अखण्डं भारतं स्मरेत् ।। 33।।</blockquote>इस एकात्मता स्तोत्र का जो सदा श्रद्धापूर्वक पाठ करेगा, राष्ट्रधर्म में निष्ठावान वह (व्यक्ति) अखण्ड भारत का स्मरण करे गा।। 33 ||
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<blockquote>हनुमान जनको व्यासो वशिष्ठश्च शुको बलिः।</blockquote><blockquote>दधीचि विश्वकर्माणौ पृथुवाल्मीकिभागर्गवाः ।। 13 ।।</blockquote>हनुमान, जनक, व्यास, वशिष्ठ, शुक देव, राजा बलि, दधीचि, विश्वकर्मा, पृथ, वाल्मीकि, भाग्गव (परशुराम) ॥ 13।।<blockquote>भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धन्वन्तरिस्तथा ।</blockquote><blockquote>शिबिश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तयः ॥ १४ ॥</blockquote>भगीरथ, एकलव्य मनु, धन्वन्तरि.. शिबि तथा रन्तिदेव की कीर्ति पुराणों में गाई गई है । । १५।।<blockquote>बुद्धा जिनेन्द्रा गोरक्षः पाणिनिश्च पत०जलि ।</blockquote><blockquote>शंकरो मध्वनिम्बाकौं श्रीरामानुजवल्लभौ । । १५।।</blockquote>बुद्ध के सभी अवतार, सभी तीर्थकर, गुरु गोरखनाथ, पाणिनि, पंतजलि, शंकाराचार्य, मध्वार्चा, निम्बाक्काचार्य. रामनुजाचार्य तथा बल्लभाचार्य, ।। १५।।<blockquote>झुलेलालोऽथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा।</blockquote><blockquote>नायन्मारालवाराश्च कंबश्च बसवेश्वरः ।। १६।।</blockquote>झूलेलाल, महाप्रभु चैतन्य, तिरुवल्लु वर, नायन्मार तथा आलवार सन्तपरम्मरा, कंब, बसवेश्वर तथा ।। १६।।<blockquote>देवलो रविवासश्च कबीरो गुरुनानकः ।</blockquote><blockquote>नरसिस्तुलसीदासो दशमेशो दुढव्रतः ॥ १७ ॥</blockquote>महर्षि देवल, सन्त रविदास, कबीर, गुरुनानक, नरसी मेहता, तुलसीदास, दृढव्रती गुरुगोविन्दसिंह, ।। १७।।<blockquote>श्रीमत् शंकरदेवश्च बन्धू सायण-माधवौ ।</blockquote><blockquote>ज्ञानेश्वरस्तुकारामो रामदासा: पुरन्दरः ।। १८ ।।</blockquote>आसाम के वैष्णव सन्त श्रीमत् शंकरदेव, सायणाचार्य, माधवाचार्य संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, समर्थगुरु रामदास, पुरन्दरदास ।। १८ ।।<blockquote>बिरसा सहजानन्दो रामानन्दस्तथा महान् ।</blockquote><blockquote>वितरन्तु सदैवेते दैवीं सद्गुणसम्पदम् ।। १९।।</blockquote>बिरसामुण्डा, स्वामी सहजानन्द, रामानन्द आदि महान पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें । 19।।<blockquote>भरतर्षिः कालिदासः श्रीभोजो जकणस्तथा।</blockquote><blockquote>सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः । २० ।।</blockquote>नाट्यशास्त्र के आदि गुरु भरत ऋषि, संस्कृत के विद्वान कालिदास, महाराजा भोज, जकण, महात्मा सूरदास, त्यागराज,रसखान जैसे श्रेष्ठ कवि तथा।। २० ।।<blockquote>रविवर्मा भातखण्डे भाग्यचन्द्रः स भूपतिः।</blockquote><blockquote>कलावन्तश्च विख्याता स्मरणीया निरन्तरम् ।। २१  ।।</blockquote>महान चित्रकार रविवर्मा, वर्तमान संगीत कला के विख्यात उद्धारक भातखण्डे, मणिपुर के राजा भाग्यचन्द्र आदि विख्यात कलाकार सर्वदा स्मरणीय हैं। ।।२१ ।।<blockquote>अगस्त्यः कम्बुकौण्डिन्यौ राजेन्द्रश्चोलवं शजः ।</blockquote><blockquote>अशोकः पुष्यमित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान् । २२  ।।</blockquote>अगस्त्य, कम्बु, कौण्डिन्य, चोलवंशज राजेन्द्र, अशोक, पुष्यमित्र तथा खारवेल नीतिज्ञ हैं ।। २२ । ।<blockquote>चाणक्य-चन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहन: ।</blockquote><blockquote>समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेन्द्रो बप्परावलः ।। २३।।</blockquote>चाणक्य, चन्द्रगुप्त, विक्रमादित्य, शालिवाहन. समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन, शैलेन्द्र, बेप्पारावल तथा।। 23।।<blockquote>लाचिद् भास्करवर्मा च यशोधर्मा च हुणजित् ।</blockquote><blockquote>श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उद्बल: ॥ 24 ॥</blockquote>लाचिद् बड़फुंकन, भास्करवर्मा, हूणविजयी यशोध्मा श्रीकृष्णदेवराय तथा ललितादित्य जैसे वलशाली।। 24 ।।<blockquote>मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिवभूपतिः ।</blockquote><blockquote>रणजित्सिंह इत्येते वीरा विख्यातविक्रमाः । । 25 ।।</blockquote>प्रोलय नायक, कप्पयनायक, महाराणाप्रताप, महाराज शिवाजी तथा रणजीत सिंह, इस देश में ऐसे विख्यात पराक्रमी वीर हुए हैं।। 25।।<blockquote>वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः सुश्रुतस्तथा।</blockquote><blockquote>चरको भास्कराचा्यों वराहमिहिरः सुधी:।। 26 ।।</blockquote>हमारे बुद्धिमान वैज्ञानिक कपिलमुनि, कणाद् ऋषि सुश्रुत चरक, भास्काराचार्य तथा वराहमिहिर। । 26 ।।<blockquote>नागार्जुनो भरद्वाज आर्यभट्टो बसुर्बुधः ।</blockquote><blockquote>ध्येयो वेड्टरामश्च विज्ञा रामानुजादयः ॥ 27 ॥</blockquote>नागार्जुन, भरद्वाज, आर्यभट्ट, जगदीशचन्द्र बसु चन्द्रशेखर वेंकट रमन तथा राजमानुजम् जैसे प्रतिभावान वैज्ञानिक स्मरणीय हैं।। 27 ।।<blockquote>रामकृष्णो दयानन्दो रवीन्द्रो राममोहनः ।</blockquote><blockquote>रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानन्द उद्यशाः।। 28 ।।</blockquote>रामकृष्ण परमहंस, स्वामी दयानन्द. रवीन्द्रनाथ टैगोर राज राममोहनराय, स्वामी रामतीर्थ, महर्षि अरविन्द स्वामी विवेकानन्द तथा।। 28 ।।<blockquote>दादाभाई गोपबन्धुः तिलको गान्धिरादृता।</blockquote><blockquote>रमणो मालवीयश्च श्री सुब्रह्मण्यभारती।। 29 ।। </blockquote>दादाभाई नौरोजी. गोपबंध दवास महात्मा गॉँधी,  बालगंगाधर तिलक. महर्षि रमण, महामना मालवीय तथा सुब्रह्मण्य भारती आदरणीय हैं।। 29 ।।<blockquote>सुभाषः प्रणवानन्दः क्रान्तिवीरो विनायक:।</blockquote><blockquote>ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरु: तथा ।। 30 ।।</blockquote>नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, प्रणवानन्द, क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर, ठक्कर बाप्पा, भीमराव अम्बेडकर, ज्योतिराव<blockquote>संघशक्तिप्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा ।</blockquote><blockquote>स्मरणीयाः सदैवैते नवचैतन्यदायकाः ॥ 31 ॥</blockquote>संघ-शक्ति के प्रणेता प.पू केशवराव बलिराम हेडगेवार तथा माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर, हिन्दू समाज में नवीन चेतना प्रदान करने वाले महापुरुष सदैव स्मरणीय हैं। 31 ।।<blockquote>अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरणसंसक्तहृदयाः</blockquote><blockquote>अनिर्दिष्टा वीरा अधिसमरमुद्ध्वस्तरिपवः ।</blockquote><blockquote>समाजोद्धर्तारः सुहितकरविज्ञाननिपुणाः</blockquote><blockquote>नमस्तेभ्यो भूयात् सकलसुजनेभ्यः प्रतिदिनम् ।॥ 32 ॥</blockquote>प्रभुचरण में अनुरक्त रहने वाले अनेक भक्त जो शेष रह गए, देश की अस्मिता और अखण्डता पर प्रहार करने वाले शत्रुओं युद्ध में परास्त करने वाले बहुत से वीर जिनके नामों का उल्लेख नहीं हो पाया, तथा अन्य समाजोद्धारक, समाज के हितचिन्तक तथा निपुण वैज्ञानिक एवं सभी श्रेष्ठजनों को प्रतिदिन हमारे प्रणाम समर्पित हों। । 32 ।।<blockquote>इदमेकात्मतास्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत् !</blockquote><blockquote>स राष्ट्रधर्मनिष्ठावान् अखण्डं भारतं स्मरेत् ।। 33।।</blockquote>इस एकात्मता स्तोत्र का जो सदा श्रद्धापूर्वक पाठ करेगा, राष्ट्रधर्म में निष्ठावान वह (व्यक्ति) अखण्ड भारत का स्मरण करे गा।। 33 ।।
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