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महाराज कृष्णदेवराय कला के बहुत प्रेमी थे इसलिए कोई ना कोई कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करने विजयनगर आते रहते थे| एक दिन एक जादूगर अपनी कला का प्रदर्शन करने महाराज के दरबार में आया |
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महाराज कृष्णदेवराय कला के बहुत प्रेमी थे इसलिए कोई ना कोई कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करने विजयनगर आते रहते थे| एक दिन एक जादूगर अपनी कला का प्रदर्शन करने महाराज के दरबार में आया | महाराज से जादूगर ने कहा महाराज मै अलग -अलग  राज्य और देश में अपना जादू का प्रदर्शन कर चूका हूँ यह मेरा सौभाग्य है की मै आपके दरबार में अपनी कला का प्रदर्शन करने जा रहा हूँ | महाराज आप की आज्ञा हो  तो करू |महाराज ने जादूगर को आज्ञा दी |
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जादूगर ने राजदरबारियो से कहा आप सभी लोग तैयार हो जाइये |  तो राजदरबारियो आप तैयार हो जाइये बिना पलक झपकाए मेरा जादू देखने के लिए सभी राजदरबारी  तैयार हो गये |ये मेरा जादू कोई तंत मंत या माया जल नही है |
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