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− | किसी जंगल में एक कौआ रहता था। हर कोई उससे दूर ही रहता था, क्योंकि वह अपनी कर्कश आवाज में गाता रहता था और सभी जानवर उससे परेशान रहते थे।
| + | एक दिन की बात है, एक जंगल में कौआ रहता था। कोई भी उसके साथ रहना पसंद नहीं करता था, क्योंकि वह हमेशा अपनी बेसुरीली और कठोर आवाज में गाता रहता था और सभी जानवर उससे परेशान थे। एक दिन वह भोजन की तलाश में जंगल से दूर एक रिहायसी इलाके की ओर निकल कर आ गया। किस्मत से उसे वहां एक रोटी मिल गई। रोटी लेकर वो वापस जंगल में आ गया और आकर अपने पेड़ पर बैठ गया। |
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− | एक दिन वह भोजन की तलाश में जंगल से दूर गांव की ओर निकल कर आ गया। किस्मत से उसे वहां एक रोटी मिल गई। रोटी लेकर वो वापस जंगल की ओर आ गया और आकर अपने पेड़ पर बैठ गया।
| + | जहाँ वह पेड़ था वहीं से एक लोमड़ी जा रही थी और उसे बहुत तेज भूख लगी हुई थी।लोमड़ी की नजर पेड़ पर बैठे उस कौए पर पड़ी। उसने कौए के पास रोटी देखी और रोटी को किसी तरह प्राप्त कर सके इसका विचार करने लगी।जैसे ही कौआ रोटी खाने की शुरुआत करने वाला था वैसे ही नीचे से लोमड़ी की आवाज आई – “अरे कौआ महाराज, मैंने सुना है कि यहां पर कोई कौआ है जिसकी आवाज बहुत ही मधुर है और वह बहुत ही सुरीली आवाज में गाना गाता है, क्या वो आप हैं।” |
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− | वहीं से एक लोमड़ी जा रही थी और उसे बहुत तेज भूख लगी हुई थी। उसने कौवे के पास रोटी देखी और रोटी को किसी भी तरह खाने का विचार करने लगी।
| + | लोमड़ी के मुंख से अपनी मधुर आवाज की प्रशंसा सुनकर कौआ मन ही मन बहुत गदगद होने लगा, और अपना सीना तानकर अपना सिर हां में हिला दिया।लोमड़ी ने आश्चर्य मुद्रा बनाकर बोली कि क्यों मजाक कर रहे आप । आप इतना मधुर गेट है , मैं यह कैसे मान लूं? अगर आप एकबार गा कर बताएंगे, तो ही मुझे विश्वाश हो सकता है । |
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− | जैसे ही कौआ रोटी खाने को हुआ, नीचे से लोमड़ी की आवाज आई – “अरे कौआ महाराज, मैंने सुना है कि यहां पर बहुत सुरीली आवाज में कोई गाना गाता है, क्या वो आप हैं।” | + | कौआ लाेमड़ी के मुख से अपनी प्रशंशा की बात सुनकर और लोमड़ी की बट में आकर गाना गाना शुरू कर दिया जैसे ही कौए ने गाने को शुरू किया वैसे ही उसके मुंह में दबी रोटी नीचे गिर गई। जैसे ही रोटी नीचे गिरी वैसे ही लोमड़ी ने रोटी पर झपट्टा मारा और रोटी लेकर वहां से चली गई। भूखा कौआ लोमड़ी को देखता रह गया और अपने किए पर बहुत पछताने लगा। |
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− | लोमड़ी के मुंह से अपनी आवाज की तारीफ सुनकर कौआ मन ही मन बहुत खुश हुआ और अपना सिर हां में हिला दिया।
| + | ==== '''कहानी से सीख : -''' कि हमें कभी भी किसी की बहकाने वाली और मीठी मीठी बातों में नहीं आना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों से बचना चाहिए, जो आपकी झूठी प्रशंसा करते हैं। ऐसे लोग सिर्फ अपने स्वार्थ पूर्ति के बारे में सोचते है ऐसे लोगो से जितना दुरी बना कर रखे उतना अच्छा है। ==== |
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− | इस पर लोमड़ी बोली कि क्यों मजाक कर रहे हो महाराज। इतनी मधुर आवाज में आप गा रहे थे, मैं यह कैसे मान लूं? अगर आप गा कर बताएंगे, तो मुझे यकीन हो जाएगा।
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− | कौआ लाेमड़ी की बात सुनकर जैसे ही गाने को हुआ, उसके मुंह में दबी रोटी नीचे गिर गई। रोटी नीचे गिरते ही लोमड़ी ने रोटी पर झपट्टा मारा और रोटी खाकर वहां से चली गई। भूखा कौआ लोमड़ी को देखता रह गया और अपने किए पर बहुत पछताया।
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− | ==== '''कहानी से सीख''' ==== | |
− | इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी की बातों में नहीं आना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों से बचना चाहिए, जो आपकी झूठी प्रशंसा करते हैं। ऐसे लोग सिर्फ अपना काम निकलवाने के लिए ऐसा व्यवहार करते हैं।
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