यद्दपि आधुनिक साईंस ईसाईयत के कई गंभीर सिद्धांतों के विरोध में है, लेकिन फिर भी मोटा-मोटी दोनों तबकों का तत्वज्ञान एक ही है। इस लिये जीवन का प्रतिमान भी एक ही है। मजहब या रिलीजन, फिलॉसॉफरों की फिलोसोफी और साईंटिस्टों, तीनों के प्रभाव के कारण जो अभारतीय जीवन दृष्टि बनीं है उस के तीन मुख्य पहलू हैं: | यद्दपि आधुनिक साईंस ईसाईयत के कई गंभीर सिद्धांतों के विरोध में है, लेकिन फिर भी मोटा-मोटी दोनों तबकों का तत्वज्ञान एक ही है। इस लिये जीवन का प्रतिमान भी एक ही है। मजहब या रिलीजन, फिलॉसॉफरों की फिलोसोफी और साईंटिस्टों, तीनों के प्रभाव के कारण जो अभारतीय जीवन दृष्टि बनीं है उस के तीन मुख्य पहलू हैं: |