वर्तमान में भारत में ही नहीं तो विश्वभर में एलोपेथी का जमाना चल रहा है। प्राथमिकता “एलोपेथी” को मिलती है। आयुर्वेद मूलत: धार्मिक (भारतीय) शास्त्र है। वर्तमान में जो चिकित्सा प्रणालियाँ विश्व में काम करती हैं, उन में आयुर्वेद सबसे प्राचीन प्रणाली है। इस कारण स्वतन्त्र भारत में आयुर्वेद का ज्ञान शिक्षा की “मुख्य धारा” के रूप में रखा जाना चाहिए। यह स्वाभाविक भी था और आवश्यक भी था। किन्तु हमारे अज्ञानी और अन्धानुकरणी विद्वानों और राजकीय नेताओं ने आयुर्वेद को वैद्यकीय क्षेत्र की मुख्य धारा बनाने का विचार नहीं किया। आयुर्वेद, होम्योपेथी, यूनानी आदि चिकित्सा प्रणालियों के लिए जितनी राशि का केन्द्र सरकार का आवंटन होता है उन के सबके मिले हुए आवंटन से एलोपेथी की शिक्षा के लिए जितना केन्द्र सरकार की ओर से आवंटन होता है, वह अधिक होता है। इन उपचार प्रणालियों को आल्टरनेटीव्ह याने वैकल्पिक उपचार प्रणालियाँ कहा जाता है। | वर्तमान में भारत में ही नहीं तो विश्वभर में एलोपेथी का जमाना चल रहा है। प्राथमिकता “एलोपेथी” को मिलती है। आयुर्वेद मूलत: धार्मिक (भारतीय) शास्त्र है। वर्तमान में जो चिकित्सा प्रणालियाँ विश्व में काम करती हैं, उन में आयुर्वेद सबसे प्राचीन प्रणाली है। इस कारण स्वतन्त्र भारत में आयुर्वेद का ज्ञान शिक्षा की “मुख्य धारा” के रूप में रखा जाना चाहिए। यह स्वाभाविक भी था और आवश्यक भी था। किन्तु हमारे अज्ञानी और अन्धानुकरणी विद्वानों और राजकीय नेताओं ने आयुर्वेद को वैद्यकीय क्षेत्र की मुख्य धारा बनाने का विचार नहीं किया। आयुर्वेद, होम्योपेथी, यूनानी आदि चिकित्सा प्रणालियों के लिए जितनी राशि का केन्द्र सरकार का आवंटन होता है उन के सबके मिले हुए आवंटन से एलोपेथी की शिक्षा के लिए जितना केन्द्र सरकार की ओर से आवंटन होता है, वह अधिक होता है। इन उपचार प्रणालियों को आल्टरनेटीव्ह याने वैकल्पिक उपचार प्रणालियाँ कहा जाता है। |