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, 17:15, 16 March 2020
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राजा शिबि शरणागत-रक्षण का आदर्श प्रस्तुत करने वाले, उशीनर के राजा थे। एक बार [[Indra (इन्द्रः)|इन्द्र]] ने उनकी शरणागत-रक्षणशीलता की परीक्षा लेने की ठानी। इसके लिए [[Agni (अग्निः)|अग्नि]] भयभीत कबूतर का रूप धारण कर उड़ते हुए आये और [[Shibi Chakravarti (शिबिचक्रवर्ती)|राजा शिबि]] की गोद में छिपने का प्रयास करने लगे। पीछे से बाज बनकर झपटते हुए इन्द्र आये और कबूतर को अपना भोज्य बताकर शिबि से उसकी माँग करने लगे। कबूतर के बदले और कुछ न लेने के हठ पर अड़ा हुआ बाज अन्त में इस बात पर माना कि शिबि कबूतर के ही भार के बराबर अपना मांस काटकर देंगे। जब राजा शिबि के एक-एक अंग का मांस कट जाने पर भी कबूतर के भार के समतुल्य नहीं हुआ तो उन्होंने अपने को सम्पूर्णतः बाज के सामने प्रस्तुत कर दिया। राजा शिबि को शरणागत-रक्षण की परीक्षा में खरा उतरा देखकर देवों ने साक्षात् प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया और उनके शरीर को अक्षत कर दिया।
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