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| | + | === पर्व ५ === |
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| | + | === धार्मिक शिक्षा की भूमिका === |
| | + | शिक्षा सभी संकटों का हल बता सकती है क्योंकि वह ज्ञान की वाहक है । अनेक प्रकार के हलों में ज्ञानात्मक हल सबसे अधिक कारगर होता है । अतः भारत को समस्याओं का समाधान शिक्षा में ढूँढना होगा । भारत ने अपनी शिक्षा को इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु सक्षम बनाना होगा । इसका प्रथम चरण है धार्मिक शिक्षा का धार्मिक होना । आज भारत की शिक्षा धार्मिक नहीं है यह स्पष्ट ही है । अतः प्रथम इसे धार्मिक बनाकर विश्व के सन्दर्भ में इसे प्रस्तुत करना । विश्व का विश्वस्थिति का आकलन धार्मिक दृष्टि से करना और सुझाव भी धार्मिक दृष्टि से देना इसका एक भाग है । इस पूर्व में इन दो प्रमुख बिन्दुओं की चर्चा की गई है। |
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| | + | '''अनुक्रमणिका''' |
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| | + | ४०. धार्मिक शिक्षा का स्वरूप |
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| | + | ४१. भारत विश्व को शिक्षा के विषय में क्या कहे |
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| | + | ४२. आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय |
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| | + | ४३. प्रशासक और शिक्षक का संवाद |
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| | + | ४४. शक्षक, प्रशासक, मन्त्री का वार्तालाप-१ |
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| | + | ४५. शिक्षक, प्रशासक, मन्त्री का वार्तालाप-२ |
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| | + | ४६. हिन्दु धर्म में समाजसेवा का स्थान |
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| | ==References== | | ==References== |
| − | <references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे | + | <references />धार्मिक शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे |
| − | [[Category:भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा]] | + | [[Category:धार्मिक शिक्षा ग्रंथमाला 5: वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा]] |
| | [[Category:Education Series]] | | [[Category:Education Series]] |
| − | [[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला)]] | + | [[Category:Dharmik Shiksha Granthmala(धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला)]] |