भारतीय शैक्षिक क्षितिज पर गांधीजी के अवतरण के पूर्व ही अनेक शिक्षा-चिंतकों ने आंग्ल शिक्षा-प्रणाली की व्यर्थता का अनुभव करते हुए तत्कालीन शिक्षा-प्रणाली की ae आलोचना की थी । भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान करने, युवकों में स्वदेश-प्रेम का स्फुरण करने एवं शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने के लिए उस समय यह अनुभव किया जा रहा था कि सात समुद्र पार से लाई गई शिक्षा-प्रणाली के विकल्प के रूप में कोई राष्ट्रीय शिक्षा-प्रणाली विकसित की जाए । कुछ प्रयोग इस दिशा में किए जा रहे थे । ऐसे ही समय में सन् १९१५ में गांधीजी जब दक्षिण अफ्रीका से लौटे तो कुछ समय गुरुदेव रवींट्रनाथ ठाकुर के शैक्षिक प्रयोग शांति निकेतन के सान्निध्य में रहे । | भारतीय शैक्षिक क्षितिज पर गांधीजी के अवतरण के पूर्व ही अनेक शिक्षा-चिंतकों ने आंग्ल शिक्षा-प्रणाली की व्यर्थता का अनुभव करते हुए तत्कालीन शिक्षा-प्रणाली की ae आलोचना की थी । भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान करने, युवकों में स्वदेश-प्रेम का स्फुरण करने एवं शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने के लिए उस समय यह अनुभव किया जा रहा था कि सात समुद्र पार से लाई गई शिक्षा-प्रणाली के विकल्प के रूप में कोई राष्ट्रीय शिक्षा-प्रणाली विकसित की जाए । कुछ प्रयोग इस दिशा में किए जा रहे थे । ऐसे ही समय में सन् १९१५ में गांधीजी जब दक्षिण अफ्रीका से लौटे तो कुछ समय गुरुदेव रवींट्रनाथ ठाकुर के शैक्षिक प्रयोग शांति निकेतन के सान्निध्य में रहे । |