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अपृच्छत्तपसोवृद्धिं[स तपोवृद्धिं] ऋषिभिश्चाभिनन्दितः[सद्भिश्चैवाभिपूजितः]॥ 1-1-4
 
अपृच्छत्तपसोवृद्धिं[स तपोवृद्धिं] ऋषिभिश्चाभिनन्दितः[सद्भिश्चैवाभिपूजितः]॥ 1-1-4
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अथ तेषूपविष्टेषु सर्वेष्वेव तपस्विषु।
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अथ तेषूपविष्टेषु सर्वेष्वेव तपस्विषु।
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निर्दिष्टमासनं भेजे विनयाद्रौ[ल्लौ]महर्षणिः॥ 1-1-5
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निर्दिष्टमासनं भेजे विनयाद्रौ[ल्लौ]महर्षणिः॥ 1-1-5
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सुखासीनं ततस्तं ते[तु] विश्रान्तमुपलक्ष्य च।
 
सुखासीनं ततस्तं ते[तु] विश्रान्तमुपलक्ष्य च।
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अथापृच्छदृषिस्तत्र काश्चित्प्रस्तावयन्कथाः॥ 1-1-6
 
अथापृच्छदृषिस्तत्र काश्चित्प्रस्तावयन्कथाः॥ 1-1-6
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