यम नियमों की शिक्षा तो गर्भधारणा से ही शुरू होनी चाहिए| गर्भ धारणा से आगे जितनी अधिक देरी होगी उतनी बालक के द्वारा यम नियमों के ग्रहण करने में कठिनाई बढती जाएगी| यम नियमों की शिक्षा यह तो प्रमुखत: कुटुम्ब शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा है| इसी प्रकार से बड़ी आयु में आसन ठीक से लग सकें इस हेतु आवश्यक शारीरिक लचीलेपन को बनाए रखने के प्रयास भी छोटी आयु में ही करने होते हैं| बढ़ी आयु में आसन प्राणायाम जैसी अन्य बातें शायद सिखाई जा सकती होंगी, लेकिन यम नियम नहीं सिखाए जा सकते| | यम नियमों की शिक्षा तो गर्भधारणा से ही शुरू होनी चाहिए| गर्भ धारणा से आगे जितनी अधिक देरी होगी उतनी बालक के द्वारा यम नियमों के ग्रहण करने में कठिनाई बढती जाएगी| यम नियमों की शिक्षा यह तो प्रमुखत: कुटुम्ब शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा है| इसी प्रकार से बड़ी आयु में आसन ठीक से लग सकें इस हेतु आवश्यक शारीरिक लचीलेपन को बनाए रखने के प्रयास भी छोटी आयु में ही करने होते हैं| बढ़ी आयु में आसन प्राणायाम जैसी अन्य बातें शायद सिखाई जा सकती होंगी, लेकिन यम नियम नहीं सिखाए जा सकते| |