सीमंतोन्नयन
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प्रव्यक्त गर्भा पति रब्धियानं,
मृतस्य वाहक्षुर कर्म संगम्।
क्षौरंतथष्नुगमनं नखकृन्तनंच
युद्धादिवास्तु करणंतु अतिदूरयानं ।।
हृदये पितरौ ज्ञाता पूर्ण दायित्वं उत्तमम्
जन्मन: संतते कुर्यात् व्यवस्था स्वागताय च ।।
यह पुंसवन संस्कार का ही विस्तार रूप है। इसका शाब्दिक अर्थ है सीमंत का अर्थ है बाल और उन्नयन का अर्थ है ऊपर उठना। इस संस्कार में पति-पत्नी के बालों को संहारकर ऊपर उठाता है ।
प्राचीन रूप:
इस संस्कार की अवधि को गुह्यसूत्र में चौथा या पाँचवाँ महीना माना गया है। वह अवधि जिसके दौरान भ्रूण के विभिन्न अंग विकसित होते हैं। सुश्रुत शरीर में