Pranayama (प्राणायाम)
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सनातन धर्म में प्राणायाम का बहुत महत्व है। प्रत्येक द्विजाति सन्ध्याकाल में प्राणायाम अवश्य करता है।प्राणायाम द्वारा अशुद्ध विकारों को बाहर निकालकर शुद्ध वायु अन्दर प्रवेश होता है।इससे आयु तथा तेज कि वृद्धि होती है। प्राणायाम का तात्पर्य साधारणतया तो प्राणों का व्यायाम है किन्तु इसका वास्तविक तात्पर्य है प्राणशक्ति पर विजय(श्वास को नियन्त्रित करना)प्राप्त करना है।
परिचय
भजन,ध्यान,पाठ,पूजा आदि सात्विक कार्यों के लिये शान्त और सात्विक मन की परम आवश्यकता होती है।प्राणायाम द्वारा प्राणकी समगति(दो स्वरों से बराबर चलना) होने पर मन शान्त और सात्विक हो जाता है।यह प्राणायाम का आध्यत्मिक प्रयोजन है।प्राणायम से शारीरिक लाभ भी है।