Sthalapuranas (स्थलपुराण)
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बहुत से पुराण आज भी विद्यमान हैं, जिनकी गणना महापुराणों और उपपुराण की शैली में लिखे गये हैं। उनमें से बहुत से स्थल पुराण हैं, जो स्थान विशेष के महत्व को बतलाते हैं और पुराण साहित्य में निरन्तर सुशोभित होते रहते हैं।
परिचय
स्थल पुराण की महिमा अत्यन्त अर्वाचीन है। ऐसे पुराणों का लेखन, जो किसी स्थल, तीर्थ अथवा क्षेत्र विशेष की महिमा का वर्णन करते हैं और उस क्षेत्र की संस्कृति को प्रदर्शित करने का कार्य सम्पन्न करते हैं, ऐसे पुराण नामधारी ग्रन्थों को स्थल पुराण कहा जाता है।
स्थलपुराणों का वर्ण्य विषय
स्थल पुराण, पुराण लेखन की परंपरा में समय-समय पर लिखे गये हैं और आज भी लिखे जा रहे हैं। ऐसे बहुत से स्थल पुराण धर्मशास्त्रीय ग्रन्थों में उपलब्ध हैं, जिनकी सूची इस प्रकार है -
- अर्बुद पुराणम्
- आत्मपुराणम्
- आगम पुराणम्
- आञ्जनेय पुराणम्
- आनन्दपुराणम्
- उत्तरसौरपुराणम्
- ऊर्ध्वांपुराणम्
- कन्यकापुराणम्
- कच्छपुराणम्
- कात्यायनीपुराणम्
- कारणपुराणम्
- कृष्णपुराणम्
- व्रातपुराणम्
- कौशिकीपुराणम्
- गर्गपुराणम्
- गण्डकीपुराणम्
- गालवपुराणम्
- गोमतीपुराणम्
- गोकर्णपुराणम्
- चण्डीपुराणम्
- जैमिनीपुराणम्
- त्वष्टपुराणम्
- तुलापुराणम्
- दत्तपुराणम्
- देवरहस्यपुराणम्
- निराञ्जनपुराणम्
- नीलमतपुराणम्
- प्रजापुराणम्
- पुरुषोत्तमपुराणम्
- पुष्करपुराणम्
- भविष्योत्तरपुराणम्
- भगवतीपुराणम्
- भूगोलपुराणम्
- भूचरपुराणम्
- भैरवपुराणम्
- मार्तण्डपुराणम्
- माधवीयपुराणम्
- माघपुराणम्
- यमपुराणम्
- युगपुराणम्
- रुद्रपुराणम्
- रुद्रभागवतपुराणम्
- रैजुकपुराणम्
- लघुबृहन्नारदीयपुराणम्
- लघुब्रह्मवैवर्तपुराणम्
- लक्ष्मीपुराणम्
- ब्रह्मवैवर्तपुराणम्
- वसवेश्वरपुराणम्
- विख्यादपुराणम्
- विश्वकर्मपुराणम्
- विष्णुरहस्यपुराणम्
- विष्णुधर्मोत्तरमृतपुराणम्
- वासुकिपुराणम्
- वृद्धपाद्मपुराणम्
- बृहद्वामनपुराणम्
- वृहल्लिंगपुराणम्
- वृहन्मस्त्यपुराणम्
- बृहद्विष्णुधर्मपुराणम्
- वैराटपुराणम्
- सरस्वती (शारदापुराणम्)
- स्वल्पमत्स्य पुराणम्
- सोमपुराणम्
- सौरधर्मपुराणम्
- शिवधर्मोत्तरपुराणम् आदि
उपर्युक्त सभी स्थल पुराणों के नाम से प्रसिद्ध हैं और स्थल पुराण की परम्परा के अन्तर्गत आते हैं।