जीता जागता पुल

From Dharmawiki
Revision as of 03:47, 16 November 2020 by Adiagr (talk | contribs) (Text replacement - "लोगो" to "लोगों")
Jump to navigation Jump to search
ToBeEdited.png
This article needs editing.

Add and improvise the content from reliable sources.

काँगथाँग गाँव के पास एक “जीता जागता पुल' की मरम्मत का काम जारी है । चित्र में दिखाये गये स्थानीय बार खासी पुल के लिये एक नयी रेलिंग के निर्माण हेतु, अंजीर के पेड़ की नयी-नयी निकली, लचीली लटकती जड़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं ।

जीता जागता पुल - वृक्षों के आकार लेने का एक ऐसा स्वरूप है जो आम तौर पर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय के दक्षिणी हिस्से में देखा जाता है । शिलाँग के पहाड़ी मैदानों में दसिवी हिस्सों के पहाड़ी इलाकों में रहनेवाले खासी और जयंतिया लोगोंं द्वारा रबर के वृक्ष की लटकती जड़ों का इस्तेमाल करके इन पुलों को हाथों से गूंथा जाता है ।

अंजीर-वृक्ष की लचीली जड़ों को, ताम्बूल-वृक्ष के ऐसे तनों के जरिये बढ़ने दिया जाता है जिन्हें नदियों और जलधाराओं के दोनों सिरों पर तब तक रखा जाता है जब तक कि अंजीर की जड़े दूसरे सिरे पर खुद को जोड़ नहीं लेती । लकड़ियों, पत्थरों और अन्य वस्तों का इस्तेमाल करके इन बढ़ते हुए पुलों को मजबूती दी जाती है । इस प्रक्रिया को पूरी होने में १५ वर्ष तक लग सकते हैं । हर *जीते-जागते पुल' की आयु अलग-अलगअवधि की होती है । लेकिन ऐसा माना जाता है कि आदर्श स्थितियों में, ऐसे पुल सैद्दान्तिक रूप से कई सैंकड़ों वर्षो तक टिके रह सकते हैं । जब तक कि वे वृक्ष, जिनसे ये 'जीते-जागते पुल बने होते हैं, स्वस्थ रहते हैं, तब तक ये भी अपने आपको नया करते जाते हैं और मजबूत बनाते जाते हैं क्योंकि उनकी अंगभूत जड़ें भी बढ़कर मोटी होती जाती हैं |