शिक्षक, विद्यार्थी एवं अध्ययन
समस्त शिक्षा प्रक्रिया में केन्द्रवर्ती कारक हैं शिक्षक और विद्यार्थी ।
भारतीय विचार में ये दो होने पर भी दो नहीं है, एक ही हैं । ऐसा एकत्व
स्थापित होने पर ही शिक्षा सार्थक होती है । इन दोनों में एकत्व स्थापित
करने वाली प्रक्रियाही अध्ययन है । यहाँ अध्ययन में अध्यापन भी निहित
है। शिक्षक और विद्यार्थी का एकत्व स्थापित करने वाली प्रक्रिया ही
अध्ययन है ।
एक व्यक्ति को विद्यार्थी बनने हेतु बहुत कुछ करना होता है, बहुत
कुछ होना होता है । यही बात एक व्यक्ति को शिक्षक बनने में भी है ।
विद्यार्थी और शिक्षक की पात्रता और सिद्धता पर ही अध्ययन की
उत्कृष्ठता और श्रेष्ठता का आधार है ।
शिक्षा के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अच्छे विद्यार्थी और अच्छे शिक्षक के
सन्दर्भ में यहाँ की गई बातें पचाना कठिन हो सकता है परन्तु विकास के
लिये आवश्यक तो लगेगा ही । हमारे शिक्षाजगत में यदि इन बातों का
स्वीकार हो जाता है तो शिक्षा की और उसके परिणाम स्वरूप समाज की
स्थिति में भारी गुणात्मक अन्तर आयेगा यह निश्चित है ।