पुण्यभूमि भारत - दक्षिण भारत
भक्ति, ज्ञान व वैराग्य की त्रिवेणी, नामदेव, तुकाराम, नारायण गुरु, एकनाथ आदिशंकर जैसे सन्तों की जन्मभूमि, शिवाजी, कृष्णदेवराय, राजेन्द्र चोल आदि पराक्रमी वीरों की शौर्य-स्थली दक्षिण भारत में हिन्दू संस्कृति प्रचुरता से फली-फूली और अपनी यश सुरभि से विश्व को सुवासित करने की क्षमता धारण करने वाली बनी। "हमारी संस्कृति एक है"- इस चिरंतन सत्य के दर्शन यहाँ के कण-कण में होते हैं। आर्य व द्रविड़ का भेद फूट डालने की एक घृणित चालमात्र है। हमारे शास्त्र एक हैं, आचार्य एक हैं और आराध्य देव भी एक ही हैं। दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों के पुण्यस्मरण से यह बात और अधिक पुष्ट होगी। दक्षिण भारत में पवित्र तीर्थों की परम्परा अक्षुण्ण रही है। आध्यात्मिक ज्ञान की गांग यहाँ अविरल बहती रही है। मध्य भारत का वर्णन करने के बाद हम आन्ध्र, तमिलनाडु, केरल व कर्नाटक प्रदेश के तथा पाण्ड्यचेरी, द्वीप समूह व श्रीलंका के स्थलों की झलक प्राप्त कर लें।