पाठ्यक्रम - कक्षा ४ से कक्षा ६
कक्षा 4 से 6, आयु 10 से 12 : बुद्धि का विकास[1] :- ग्रहण, धारणा, आकलन, प्रकटन, तर्क, अनुमान, संश्लेषण, विश्लेषण, विवेक, निर्णय। संयम, तितिक्षा,
संकल्प-सिद्धि की आदतें।
1. अब सबक सीखने का, पराजयों के विश्लेषण, क्या करना चाहिए था, कया नहीं करना चाहिए था- के साथ इतिहास की शिक्षा।
2. संस्कृति, कुटुंब, ग्राम, जनपद, प्रान्त, भाषा, समाज, सामाजिक संगठन, सामाजिक व्यवस्थाएँ, राष्ट्र, आंतरराष्ट्रीय संबंधों की स्पष्टता |,कुटुंब में दायित्व, बडों का
आदर और सेवा। छोटों की सहायता और रक्षा। घर के काम सीखना, हाथ बँटाना।
3. हिन्दु जीवनदृष्टि और व्यवहारसूत्रों की जानकारी, प्रेरणा, अभारतीयों से श्रेष्ठता ।
4. स्वभावज कर्म, स्वभाव की शुद्धि एवं वृद्धि के लिए मार्गदर्शन, कौटुंबिक उद्योगों का महत्व, जातिव्यवस्था, ग्रामकुल, आश्रमव्यवस्था की बुद्धियुक्त पृष्ठभूमि ।
अपने स्वभाव के अनुसार शिद्वाक, रक्षक, पोषक बनने का संकल्प करना।
5. समग्र विकास की बौद्धिक पृष्ठभूमि सामाजिक व प्रयावरणीय समस्याओं का निराकरण मानवजीवन, समाजजीवन और सृष्टिहितकारी जीवन का लक्ष्य।
व्यक्तित्वविकास और संघ-समितियों से जुड़ना।
6. धर्म की व्यापक और भिन्न भिन्न परिभाषाएँ। समाजधर्मद्व वर्णाश्रमधर्म की श्रेष्ठता समझना।
- ↑ दिलीप केलकर, भारतीय शिक्षण मंच