पुनरुत्थान कक्षा १
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विषय उद्योग
1. रेखा बनाना :
- खड़ी-आड़ी, तिरछी, बिन्दु जोड़कर रेखा बनाएँ। (स्लेट और पुतिका में)।
- हाथ से, मापिका से, काल्पनिक रेखाएँ स्लेट या पुस्तिका में बनाना।
- गोलाकार, अर्धगोलाकार बनाना। ज्यामितित आकार (गोल, वर्ग, त्रिकोण, आयत) बनाकर रंग भरना।
2. काटना:
- हाथ से, कैची से, मापिका से, धागे से कागज की पट्टियाँ काटना, तोरण बनाना।।
- अकित रेखाओं के अनुसार काटना, कल्पना से काटना, झंडी बनाना।
- फल तथा सब्जियाँ काटना। (केला, गाज, लौकी आदि)
3. घड़ी काम :
- कागज मोड़ कर नाँव, झोपड़ी, कप-प्लेट बनाना।
- रूमाल की, आसन की घड़ी करना, समाचार-पत्र की रददी एक के ऊपर एक रखकर गड्डियाँ बनाना।
4. चिपकाना :
- बड़े पृष्ठ पर छोटा चित्र चिपकाएँ।
- समान ध्वनि वाले शब्दों की पुस्तिकाएँ में चित्र चिपकाएँ।
- कागज की पट्टियों को चिपकाकर तोरण बनाना।।
5. माटी काम:
- मिट्टी कूटना, छानना, भिगोना, गूंथना।
- मिट्टी से भिन्न-भिन्न आकार बनाना, मोती बनाना, खिलौने बनाना ईट बनाना।
6. प्रवृत्ति : (पिरोना, सिलाई करना, टाँकना, गूंथना आदि)।
- भगवान के लिए फूल की, मोतियों की माला बनाना।
- अंकित रेखा पर टाँका लगाना। (कपडे पर अथवा जट के थैले पर रेखाएँ अकित कर देना)
- कपास के फूल में से कपास अलग करना, कपास में से बीज निकालना धुनकना।
- धागे को गाँठ लगाना।
- सुई में धागा पिरोना।
7. प्रवृत्ति : ( छीलना, मसलना, बुनना, मथना, हिलाना, निचोड़ना आदि)
- आटा मसलना, गूंथना।
- धनिया, मेथी बीनना/तोड़ना।
- मूंगफली, मटर छीलना।
- छाछ मथना।
- नींबू निचोड़ना।
8. कृषि :
- जमीन नरम बनाना।
- निंदाई-गुढ़ाई करना।
- पौधों को पानी देना।
- क्यारे की सफाई करना।
पौधे रोपना। पत्ते या फूल बीनना।
विषय - योग
1. श्वसन:
- दीर्घ श्वसन, भ्रामरी प्राणायाम - मुँह से श्वास लेना, बन्द करना।
- पूरा श्वास निकालना, श्वास भरना - श्वसन प्रक्रिया ठीक करना।
2. शुद्धिक्रिया :
- हाथ-पैर धोना और पोंछना।
- दन्त धावन करना, कुल्ला करना, आँखे साफ करना।
3. आचार, जप और कीर्तन :
- भोग लगाना, नमस्कार अथवा प्रणाम करना।
- चंदन घिसना और लेप तैयार करना।
- ताली बजाकर कीर्तन करना।
- ॐ कार का उच्चारण, मंत्र के साथ जपमाला फेरना।
- सरस्वती स्तोत्र।
4. आसन :
- वज्रासन, ताड़ासन, ध्रुवासन, पद्मासन।
5. ध्यान :
- स्थिर, शांत, आँखें बंद करके बैठना।
6. मुद्रा:
- ज्ञानमुद्रा, पुस्तकमुद्रा, नमस्कार मुद्रा
7. विद्यालय सेवा:
- कक्ष की सफाई, परिसर की स्वच्छता मैदान की सफाई।
8. वृक्ष सेवा:
- क्यारियाँ साफ करना, वृक्षों को पानी देना।
9. छात्र सेवा:
- पानी देना।
- विद्यार्थियों को मिठाई अथवा पुस्तकें देना।
10. सदाचार :
- पंक्तिबद्ध रहना।
- सीधे (दाएँ) हाथ से भोजन करना, जूठन नहीं छोड़ना।
- पानी नहीं लुड़काना। .
- कार्य-पुस्तिका में से पृष्ठ नहीं फाड़ना।
11. विशेष प्रवृत्ति
- प्रभात फेरी।
टिप्पण- कम आयु / छोटी उम्र के बालकों को शिथिलीकरण न कराएं।
विषय - भाषा
1. श्रवण : (सुनना और समझना)
- विविध प्रकार की ध्वनियों को सुनना। (पवन, जल, विभिन्न वस्तुओं की, प्राणि-पक्षियों की)
- समान ध्वनि वाले शब्द, बालगीत, मंत्र, श्लोक, स्तुति, स्तोत्र, सुनाना।
2. कथन : (बोलना और गाना)
- विविध प्रकार की ध्वनि निकालना। (अभिनय सहित)
- मूलाक्षरों का शुद्ध उच्चारण करना।
- मूलाक्षरों से बने सरल शब्द, वाक्य बोलना।
- अनुप्रासात्मक, अनुसरणनात्मक शब्द बोलना। (उदा.)
- चित्र वर्णन करना, कहानी कथन, स्व- परिचय देना।
- किसी विषय पर वाक्य बोलना (उदा. - मेला, गाय, मोर, नदी, तालाब, घर की जानकारी)
- समध्वनि शब्द , बालगीत, मंत्र, श्लोक शुद्ध उच्चारण के साथ गाना।
3. वाचन : (जोर से पढ़ना, समझना)
- मूलाक्षर, सरल शब्द, सरल वाक्यों का वाचन।
- समध्वनि शब्द,बालगीत पढ़ना।
- अनुवाचन करना।
- बड़े अक्षरों में लिखी हुई तख्तियाँ पढ़ना, दुकानों का नाम पढ़ना।
4. लेखन :
- विविध प्रकार के आकार बनावाना।
- विविध प्रकार के मोड़ वाली आकृतियाँ बनवाना।
- दो रेखाओं वाली लेखन पुस्तिका में मूलाक्षर लेखन।
- अनुलेखन, सुलेखन, मूलाक्षर, सरल शब्दों का श्रुतलेख।
5. शब्द पहेली, भाषा आधारित खेल (संदर्भ-भाषा खेल समूह-पेटी)
- मूलाक्षर से शब्द बनाना।
- वाक्य बनाना।
- अक्षर शोध (शब्द में से)
- शब्द पहेली-वर्ग भरो
काव्यः संगीत भाग :9 की तरह
विषय - संगीत
1. श्रवण:
- श्लोक, सुभाषितों का श्रवण। (रत्नमाला ध्वनिमुद्रिका)
- बालगीत, समध्वनि शब्दों का श्रवण। (शिशुगीत ध्वनि मुद्रिका)
- शौर्यगत, प्रकृति गीत, देशभक्ति गीत सुनना। ( भारत के गीत गाओ । ध्वनिमुद्रिका)
- भजन, स्तुति सुनना। (रेडियो पर टी.वी. पर, घर के बड़ों द्वारा गाए गए, विद्यालय । में आचार्यों द्वारा गाए गए)
2. गायन :
- मंत्र, सूत्र, श्लोक, स्तोत्र का शुद्ध उच्चारण सहित छदबद्ध गायन।
- समध्वनि शब्द, पहेलियों, दोहों का मधुर स्वर में तालबद्ध गायन।
- गीत गायन (गणित, विज्ञान, प्रकृति आधारित गीत)।
- स्वर साधना, ॐ उच्चारण, "सा" स्वर की साधना।
- सरल अलंकारों का हार्मोनियम के साथ गायन। ( 1 से 5 अलंकार )
- देश भक्ति गीत।
3. वादन :
- अलग-अलग तालों में ताली बजाना, मँजीरा बजाना।
- धुन के साथ, गीत के साथ ताल में ताली बजाना. मँजीरा बजाना।
- संगीत के भिन्न-भिन्न वाद्यों का प्रायोगिक परिचय।
- भिन्न-भिन्न तालों के साथ ताल देना ( हाथ से. दाँडिया से चम्मच से आदि)।
4. नर्तन :
- भिन्न-भिन्न प्राणियों, पक्षियों, प्राकृतिक तत्वों के अभिनया।
- शास्त्रीय नृत्य से संबंधित विविध मुद्राएँ।
- गीत के साथ अभिनया।
- मैदानी नृत्य: डंबल्स / योगचाप पकड़कर क्रम से साधिक क्रिया करना, सिखाना।
- कूचगीत
- शास्त्रीय नृत्य, गरबा आदि की दृश्यमुद्रिका (वी.सी.डी.) देखना।
5. संगीत और संगीतकारों से संबंधित रसप्रद प्रेरक बातें करनाः
संदर्भ :
संगीत भाग-1 पुस्तिका
-बालगीत माला सी.डी. भाग-1
विषय-गणित
1. वस्तुओं द्वारा तुलनात्मक संकल्पना समझाना :
- लंबा-छोटा मोटा-दुबला, कम-अधिक, छोटा-बड़ा, गहरा-उथला।
2. संख्याज्ञान:
- 1 से 100 तक (मौखिक, लिखित)। - 100 से 1 तक (मौखिक) उल्टी गिनती।
- 1 से 50 तक छोटी-बड़ी, आगे-पीछे-बीच की संख्या का पता लगाना। 1 से 50 तक अंको में; और शब्दों में लिखवाना।
- 1 से 10 तक पहाड़े मौखिक। - 1 से 50 तक आधे के पहाड़े।
- 1 से 100 तक संख्या का श्रुतलेखन, कोई भी पहाडे पूछना।
3. गिनना :
- वस्तुओं द्वारा संख्या गिनना।
- जोड़ : 1 से 50 तक मौखिक और लिखित (विना हासिल वाले)।
- घटाव : 1 से 50 तक मौखिक और लिखित (इकाई वाले)।
4. कालगणना:
- दिनों के नाम (मौखिक-लिखित) (रविवार से शनिवार)।
- महीनों के नाम (मौखिक-लिखित) (चैत्र से फाल्गुन तक)।
- जनवरी से दिसम्बर तक बुलवाना।
5. ज्यामितिय आकार बनाना ( हाथ से , बिंदु जोड़कर)
- गोलाकार, वर्गाकार, आयताकार, त्रिकोण।
6. वैदिक गणित :
- एकाधिकेन पूर्वेण।
- एकन्यूनेन पूर्वेण।
- परम मित्र।
विषय-विज्ञानं
1. पदार्थ विज्ञान :
- चक्र (पहिए) का कार्य और उपयोग (प्रयोग द्वारा)।
- ठंडे-गरम की तुलना (बर्फ-सादा पानी, गरम और अधिक गरम पानी)। जल्दी-धीरे की तुलना।
2. खगोल विज्ञान :
- आकाश में स्थित (सूर्य, चंद्र, तारा) पदार्थों का परिचय।
- रात-दिन, सुबह-दोपहर-सांझ क्यों होती है? उसको समझाना।
- धूप और छाया का निरीक्षण।
3. भूगोल :
- दिशाओं और कोणों के नाम।
- गाँव में स्थिति मुख्य भौगोलिक स्थल; उदा.- तालाब, नदी, मंदिर, पर्वत, टेकरी,
- बगीचा, रास्ता, दर्शनीय स्थल, बैंक, अस्पताल आदि।
4. रसायन शास्त्र :
- हल्दी-साबुन का प्रयोग।
- नींबू-सोडे का प्रयोग।
- पीतल के बर्तनों पर नींबू घिसना।
- मैले कपड़ों पर साबुन घिसना।
5. वनस्पति विज्ञान :
- विविध वनस्पतियों-वृक्षों का नाम।
- बीज उगने की प्रक्रिया का निरीक्षण।
- विविध अनाज, साबुत दालें, तेलयुक्त बीज (तिल आदि), फूल, भिन्न-भिन्न।
- सब्जियों का परिचय।
6. प्राणि विज्ञान:
- पालतू-जंगली प्राणियों का परिचय।
- जलचर नभचर, उभयचर, स्थलचर प्राणियों का परिचय।
7. वैज्ञानिकों के चित्र पहचानना :
- उदा.-चरक, आर्यभट्ट।
६. वर्गीकरण करना :
- अनाज, फल-फूल, सब्जियाँ, पत्तेदार सब्जियाँ, साबुत दालें, रंगीन मोती, प्राणियों का वर्गीकरण करना।
9. वार्ता कथन:
- विज्ञान की घटना के अनुरूप वार्ता कथन; उदा- बरसात, वृक्ष की कथा)।
विषय-संस्कृत
1. पूर्वजों का परिचय :
- रामायण, महाभारत के पात्रों के जीवन प्रसंग (चित्र दिखाना)।
(राम, हनुमान, कृष्ण, भीम, अर्जुन...... हम सब उनके संतान हैं।)
वीर बालकों की प्रेरक कहानियाँ (चित्र दिखाना)।
(लव-कुश, ध्रुव प्रह्लाद.... हम सब उनके भाई-बहन हैं)
- भूतकाल में आस-पास के क्षेत्रों में घटी हुई स्थानीय पात्रों की कथाएँ (चित्र दिखाना)
(संत मेकरण, श्यामजी कृष्णवर्मा ......... हम सब उनके प्रदेश से हैं)
2. भारत गौरव :
- पुण्यभूमि भारत का (अखंड भारत का) और भारत माता का मानचित्र दिखाना।
- भाषा, कला, संगीत, विज्ञान के क्षेत्र में भारत की श्रेष्ठता दर्शाती कथाएँ सुनाना।
- वर्तमान भारत की महत्त्वपूर्ण सिद्धिओं से अवगत कराएँ।
3. प्रकृति माता और पर्यावरण सुरक्षा :
- प्रकृति के तत्वों की पहचान करवाना। (सूर्य, चंद्र, तारा, धरती, वृक्ष, नदियाँ, पर्वत, प्राणि, पक्षी ........)
- हमारे सुखी-समृद्ध जीवन के लिए प्रकृति में से कौन-कौन हमें क्या-क्या देते हैं?
- पानी पीते समय कम से कम गिराएँ, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग न करें।
- कचरा कचरा-पेटी में ही डालें। आस-पास पड़ा हुआ कचरा भी उठाकर कचरा-पेटी में डालें।
- तुलसी का पौधा रोपना और उसे बड़ा होने देना।
4. उत्सव एवं पर्व :
- समाज में स्वयंभू मनाए जाने वाले त्योहार जब-जब आएँ, तब-तब कुछ दिन पहले उसकी चर्चा करना। किसी विद्यालय में उत्सव मनाएँ । (रामनवमो. जन्माष्टमी, होली, नवरात्रि, रक्षाबंधन ...........)
- त्योहार कौन-से दिन आ रहा है, और उसे मनाने की सच्ची रीति।
- उसका ऐतिहासिक महत्त्व और उसमें निहित विज्ञान।
- जन्मदिनोत्सव मनाना। (भारतीय परंपरा से)
5. दान, सेवा और ऐकात्मकताः
- कुत्ते को, बिल्ली को, कबूतर को, गाय को खिलाना, उसे प्रेम करना।
- शुभ दिवस पर दूसरों को कुछ न कुछ देना।
- स्वयं का अल्पाहार दूसरों को देना।
- विद्यालय में माले साफ करना, आसन विछाना-उठाना।
- हर दिन सुबह तैयार होकर भगवान को, माता-पिता को प्रणाम करना।
- स्वयं के दादा-दादी के विषय में जानना।
- घर में हर दिन एक काम करना। (झाडू से कचरा निकालना, थालियाँ माँजना आदि।)
H.
1. शरीर की भिन्न-भिन्न स्थितियाँ (बैठना, उठना,खड़े रहना, चलना, साना...)
- पालथी लगाकर सीधे बैठना। ( लंबे समय तक सहजता से सीधे बैठने का अभ्यास)
- दक्ष में खड़े रहना, आराम में खड़े रहना, स्थिर खड़े रहना। (खेल-मूर्ति)
- उत्तिष्ठ, उपविश का अभ्यास।
- हाथी बनकर दौड़ना, कुत्ते की तरह चार पैरों वाला बनकर भौंकना।
- सिर पर थाली रखकर एकाग्रता से चलना।
- सीधे दौड़ना, उल्टा दौड़ना, पंजों पर चलना।
- सीधे सोना ( घुटनों को मोड़कर न सोना). सिर पर ओढ़कर न सोना।
- एक तरफ मुड़कर धीरे से उठना, हँसते-हँसते उठना।
2. ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों का विकास और शरीर परिचय :
- आँख, कान और नाक स्वच्छ रखना।
- हर दिन दाँत साफ करना, जीभ साफ करना, स्नान करना।
- क्रीड़ा : कंगारू बनकर दो पैरों पर करते हुए आगे जाना, (रंग, गंध, स्पर्श) से संगधित खेल, शब्द-पहेली, दंड-खेंच, फूटबॉल, बाधा-दौड़, समूह दौड़, लंबी-कूद........... आदि)
- शरीर में स्थित अंगों के नाम और काम।
- मैं भोजन करता हूँ. उसके बाद क्या होता है? (पाचन क्रिया)।
3. आहार-विहार :
- भिन्न-भिन्न फलों के नाम, उनका स्वाद, वे कौन-सी ऋतु में प्राप्त होते हैं।
- भिन्न-भिन्न सब्जियों के नाम, उनका स्वाद, किस ऋतु में कौन-सी सब्जी मिलती है।
- भिन्न-भिन्न अनाज, साबुत दालों के नाम, इनसे क्या-क्या बना सकते हैं?
- ताजा आहार अर्थात् क्या? ताजे आहार का ही सेवन क्यों करना चाहिए?
- विद्यार्थियों का अल्पाहार नियमित देखें, शांति से चबा-चबाकर खाना चाहिए । ऐसा ध्यान दें।
- नीचे पालथी लगाकर बैठकर भोजन करना। भोजन-मंत्र बोलने पर ही खाना प्रारंभ करें।
- कैसे कपड़े पहनने पर कैसा अनुभव होता है?
- शरीर में स्थित जोड़ो की हल्की कसरतें।
- प्रात: भगवान का नाम लेकर उठना। रात्रि में भगवान का नाम लेकर सोना।
References
भारतीय शिक्षा : पुनरुत्थान कक्षानुसार पाठ्यक्रम - कक्षा १, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे