नव साम्यवाद के लक्षण और स्वरूप

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अध्याय २३

सन १९५६ में हंगेरी में स्टालिन के सोवियेट शासन के विरोध में सशस्त्र आंदोलन हुआ था उसे असफल बनाने के लिये स्टालिन प्रणीत साम्यवाद ने अमानुष प्रकार के प्रयास किये थे । उसके परिणाम स्वरूप युरोप में एवं विश्वभर में भी साम्यवाद बहुत बदनाम हुआ । साम्यवाद के समर्थक रहे युरोपीय चिंतकों को उस कारण से साम्यवाद की प्रगति अवरुद्ध होने का भय था । साम्यवाद की प्रतिष्ठा को जो हानि पहँची थी उसके परिणाम स्वरूप युरोप में साम्यवादी आन्दोलन की हानि न हो इस विचार से जिसकी बदनामी हुई है वह साम्यवाद अलग है और हम उसके समर्थक नहीं हैं यह बात पश्चिमी जगत को दिखाने के लिये उन्हें कोई अलग प्रकार के साम्यवादी आन्दोलन की

References

भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे