तेनाली रामा जी - अदृश्य होते कुएँ
महाराज कृष्णदेवराय जी का दरबार लगा था | सभी मंत्री गणों से राज्य के नगरो और गाँव की समीक्षा एवं मंत्रणा चल रही थी | सभी की समीक्षा में एक बात समान और चिंता जनक थी पानी की कमी | महाराज ने सभी से इस समस्या का समाधान पूछा , सभी का एक ही मत था की सभी नगरों एवं गांवो में कुँए खुदवाए जाएँ |
महाराज को सभी की बात सही लगी उन्होंने मंत्री को बुलवाकर तत्काल कुँए खुदवाने का आदेश दिया व् राज्य्कोश को इस कार्य के लिए खुलवा दिया गया |ताकि गर्मी आरंभ होने के कुँए खुद जाये और प्रजा की समस्या दूर हो जाये | कुँए खुद जाने की सूचना महाराज को डी गई , महाराज ने स्वयं निरिक्षण करने का निर्णय लियां | महाराज नगर में घुमाकर सभी कुँओ का निरिक्षण कर प्रसन्न हुए और सेनापती के कार्य की सराहना की |
गर्मियों का मौसम आ गया तेनालीरामा जी ने देखा महाराज निश्चिन्त और प्रसन्न थे की प्रजा की पानी की समस्या का समाधान हो गया है | तेनालीरामा जी बाजार का भ्रमण कर रहे थे उसी समय नगर के बाहर से कुछ लोग तेनालीरामा जी से मिलाने आये और मंत्री जी के विरुद्ध शिकायत करने लगे | तेनालीरामा ने उन्हें न्याय प्राप्त करने का मार्ग बताया और उनकी सहायता का आश्वासन दिया |