मानव गरीबी सूचकांक

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अध्याय ८

मानव. गरीबी सूचकांक (एचपीआई) देश में जीवनस्तर के मानक को दर्शाता हैं। मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के पूरक स्वरुप इसे संयुक्त राष्ट्र (संयुक्त राष्ट्र) द्वारा विकसित किया गया था। पहली बार १९९७ में मानव विकास रिपोर्ट के भाग के रूप में प्रस्तुत कीया गया था। यह एचडीआई की तुलना में विकसित देशों में अभाव की सीमा को बेहतर ढंग से प्रदर्शित करने के लिए माना जाता था। २०१० में यह संयुक्त राष्ट्र के बहुआयामी गरीबी सूचकांक द्वारा मुहैया कराया गया था।

एचपीआई मुख्यत : मानव जीवन के तीन आवश्यक तत्वों को मानक मानके चलता हैं, जो पहले से ही एचडीआई में परिलक्षित है : दीर्घायु, जानकारी और उच्च जीवनस्तर। सामाजिक-आर्थिक मतभेदों को प्रतिर्बिबित करने के लिए एचपीआई विकासशील देशों (एचपीआई - १) और उच्च आयवाले चयनीत ओईसीडी देशों (एचपीआई -२) के समूह के लिए, अलग-अलग प्रतिपादित कीया गया हैं। विकासशील देशों (एचपीआई -१) के लिए मानव विकास रिपोर्ट की वेबसाइट इसको मानव विकास सूचकांक में तीन मूल आयामों के अभाव को दशनिवाला सूचकांक हैं- लंबा और स्वस्थ जीवन, जानकारी और उच्च जीवन स्तर का एक सभ्य मानक। यह गणना करने के लिए सूत्र है :

Capture३१ .png

Pl : ४० साल तक जीवित न रहने की संभावना

(१०० बार)

?2. : वयस्क निरक्षरता दर

९3. : बेहतर जल स्रोत के लिए स्थायी पहुंच के बिना

जनसंख्या की अनिर्धाीरीत औसत और उम्र के

हिसाब से कम वजनवाले बच्चें

Q :8

चयनित उच्च आय वाले ओईसीडी देशों

(एचपीआई -२) के लिए

मानव विकास रिपोर्ट की वेबसाइट इसे मानव विकास

सूचकांक में तीन मूल आयामों के अभाव को दशनिवाला

सूचकांक हैं- लंबा और स्वस्थ जीवन, जानकारी और उच्च

जीवन स्तर का एक सभ्य मानक - और सामाजिक

बहिष्कार को भी गिनती हैं।यह गणना करने के लिए सूत्र

References

भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे