Difference between revisions of "Vastu Shastra Acharyas (वास्तुशास्त्र आचार्य)"
m |
m |
||
| Line 19: | Line 19: | ||
वेदों के बाद वास्तुशास्त्र का क्रमिक विकास पुराणों में भी प्राप्त होता है - | वेदों के बाद वास्तुशास्त्र का क्रमिक विकास पुराणों में भी प्राप्त होता है - | ||
{| class="wikitable" | {| class="wikitable" | ||
| − | |+ | + | |+वास्तुविद्या वर्ण्य विषयक पुराण, प्राचीन एवं अर्वाचीन ग्रन्थ सूची |
| − | !क्र० सं० | + | !क्र० सं० |
| − | !पौराणिक | + | !पौराणिक |
!प्राचीन वास्तु ग्रन्थ | !प्राचीन वास्तु ग्रन्थ | ||
!अर्वाचीन वास्तु ग्रन्थ | !अर्वाचीन वास्तु ग्रन्थ | ||
| Line 27: | Line 27: | ||
|०१ | |०१ | ||
|मत्स्य पुराण | |मत्स्य पुराण | ||
| − | | | + | |बृहत्संहिता |
| − | | | + | |वास्तुराज वल्लभ |
|- | |- | ||
|०२ | |०२ | ||
|वराह पुराण | |वराह पुराण | ||
| − | | | + | |विश्वकर्म वास्तुशास्त्र |
| − | | | + | |प्रासाद मण्डन |
|- | |- | ||
|०३ | |०३ | ||
|ब्रह्मवैवर्त पुराण | |ब्रह्मवैवर्त पुराण | ||
| − | | | + | |समरांगण सूत्रधार |
| − | | | + | |वास्तु मण्डन |
|- | |- | ||
|०४ | |०४ | ||
|स्कन्द पुराण | |स्कन्द पुराण | ||
| − | | | + | |अपराजित पृच्छा |
| − | | | + | |कोदण्ड मण्डन |
|- | |- | ||
|०५ | |०५ | ||
|अग्नि पुराण | |अग्नि पुराण | ||
| − | | | + | |जय पृच्छा |
| − | | | + | |शिल्परत्न |
|- | |- | ||
|०६ | |०६ | ||
|देवीभागवत पुराण | |देवीभागवत पुराण | ||
| − | | | + | |प्रमाण मंजरी |
| − | | | + | |वास्तुरत्नाकर |
|- | |- | ||
|०७ | |०७ | ||
|गरुड पुराण | |गरुड पुराण | ||
| − | | | + | |वास्तुशास्त्र |
| − | | | + | |ज्योतिर्निबंध |
|- | |- | ||
|०८ | |०८ | ||
|श्रीमद्भागवत पुराण | |श्रीमद्भागवत पुराण | ||
| − | | | + | |मयमतम् |
| − | | | + | |मुहूर्त चिंतामणि |
|- | |- | ||
|०९ | |०९ | ||
|भविष्योत्तर पुराण | |भविष्योत्तर पुराण | ||
| − | | | + | |मानसार |
| − | | | + | |मुहूर्त गणपति |
|- | |- | ||
|१० | |१० | ||
| + | |विष्णुधर्मोत्तर पुराण | ||
| | | | ||
| − | | | + | |वास्तु सूत्रोपनिषद् |
| − | |||
|- | |- | ||
| + | |११ | ||
| | | | ||
| | | | ||
| − | | | + | |बृहद्वास्तु माला |
| − | |||
|- | |- | ||
| | | | ||
Revision as of 14:59, 29 July 2025
| This article needs editing.
Add and improvise the content from reliable sources. |
भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार प्रत्येक विद्या के अपने-अपने प्रवर्तक आचार्य हुए हैं। उन्हीं में से एक वास्तु विद्या रही है। वास्तु विद्या के मूल प्रवर्तक के रूप में विशेष रूप से दो नामों का उल्लेख किया जाता रहा है जिनमें विश्वकर्मा एवं मय नामक आचार्य हुए हैं।[1]
परिचय॥ Introduction
वास्तुशास्त्र मानव जीवन का सर्वाधिक उपयोगी और व्यवहारिक शास्त्र है। वास्तु शब्द उपयुक्त निवास स्थान, भूखण्ड एवं नैसर्गिक या कृत्रिम गृह का द्योतक है। वेदों में सुवास्तु शब्द शोभन गृह के अर्थ में तथा अवास्तु शब्द गृह के अभाव में प्रयुक्त हुआ है। वास्तुशास्त्र उद्भव के सन्दर्भ में प्राप्त होता है कि सर्वप्रथम पृथु के इच्छानुसार ब्रह्माजी के मानस पुत्र विश्वकर्मा ने एक सुव्यवस्थित एवं शास्त्रसम्मत विधि से गृह, ग्राम, नगर, पुर, पत्तन आदि की निर्माण योजना बनाकर कार्य सम्पन्न किया, यहीं से प्रायः वास्तुशास्त्र का उद्भव माना जाता है।[2]
वास्तुशास्त्र के प्रमुख आचार्यों का उल्लेख वास्तुशास्त्र के अनेक ग्रन्थों और पुराणों में प्राप्त होता है। मत्स्यपुराण में भृगु, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वकर्मा, मय, नारद, नग्नजित, विशालाक्ष, पुरन्दर, ब्रह्मा, कुमार, नन्दीश, शौनक, गर्ग, वासुदेव, अनिरुद्ध, शुक्र तथा बृहस्पति इन अठारह आचार्यों का वर्णन किया गया है।[3]
दक्षिण एवं उत्तर परंपरा आचार्य
इस परंपरा के प्रवर्तक आचार्यों में निम्नलिखित नाम विशेष उल्लेखनीय है – [4]
ब्रह्मा त्वष्ट्रा मय मातंग भृगु काश्यप अगस्त्य शुक्र पराशर नग्नजित नारद प्रह्लाद शक्र बृहस्पति मानसार।
उत्तरी परंपरा के प्रवर्तक आचार्यों में निम्न लिखित नाम विशेष उल्लेखनीय हैं –
शंभु,गर्ग, अत्रि, वसिष्ठ, पराशर, बृहद्रथ, विश्वकर्मा, वासुदेव।
वेदों के बाद वास्तुशास्त्र का क्रमिक विकास पुराणों में भी प्राप्त होता है -
| क्र० सं० | पौराणिक | प्राचीन वास्तु ग्रन्थ | अर्वाचीन वास्तु ग्रन्थ |
|---|---|---|---|
| ०१ | मत्स्य पुराण | बृहत्संहिता | वास्तुराज वल्लभ |
| ०२ | वराह पुराण | विश्वकर्म वास्तुशास्त्र | प्रासाद मण्डन |
| ०३ | ब्रह्मवैवर्त पुराण | समरांगण सूत्रधार | वास्तु मण्डन |
| ०४ | स्कन्द पुराण | अपराजित पृच्छा | कोदण्ड मण्डन |
| ०५ | अग्नि पुराण | जय पृच्छा | शिल्परत्न |
| ०६ | देवीभागवत पुराण | प्रमाण मंजरी | वास्तुरत्नाकर |
| ०७ | गरुड पुराण | वास्तुशास्त्र | ज्योतिर्निबंध |
| ०८ | श्रीमद्भागवत पुराण | मयमतम् | मुहूर्त चिंतामणि |
| ०९ | भविष्योत्तर पुराण | मानसार | मुहूर्त गणपति |
| १० | विष्णुधर्मोत्तर पुराण | वास्तु सूत्रोपनिषद् | |
| ११ | बृहद्वास्तु माला | ||
उद्धरण
- ↑ उमा शंकर, वास्तु विज्ञान- आचार्य एवं ग्रन्थ, सन् 2023, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (पृ० २२७)।
- ↑ शोधकर्ता- बबलू मिश्रा, वास्तु विद्या विमर्श- प्रथम अध्याय, सन् २०१८, शोधकेन्द्र- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (पृ० १२)।
- ↑ डॉ० नन्दन कुमार तिवारी, वास्तु शास्त्र का स्वरूप व परिचय, सन् २०२१, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी (पृ० ३५)।
- ↑ महादेवप्रसाद शुक्ल, भारतीय वास्तु शास्त्र, वास्तु-वाङ्मय-प्रकाशन-शाला, लखनऊ (पृ० १९)।