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| | '''वेसर शैली''' | | '''वेसर शैली''' |
| | + | {| class="wikitable" |
| | + | |+मंदिर की नागर व द्रविड़ शैलियों में सामान्य अंतर |
| | + | !क्र० सं० |
| | + | !नागर शैली |
| | + | !द्रविड़ शैली |
| | + | |- |
| | + | |1 |
| | + | |वर्गाकार आधार पर निर्मित |
| | + | |आयताकार आधार पर निर्मित |
| | + | |- |
| | + | |2 |
| | + | |शिखर की संरचना पर्वतशृंग के समान |
| | + | |शिखर की संरचना प्रिज्म या पिरामिड के समान |
| | + | |- |
| | + | |3 |
| | + | |शिखर के साथ उपशिखर की ऊर्ध्व-रैखिक परम्परा |
| | + | |शिखर का क्षैतिज विभाजन और शिखर पर भी मूर्तियों की परम्परा |
| | + | |- |
| | + | |4 |
| | + | |शिखर के शीर्ष भाग पर ऊर्ध्व-रैखिक आमलक एवं उसके ऊपर कलश |
| | + | |शिखर के शीर्ष भाग पर कलश की जगह बेलनाकार व एक ओर से अर्धचंद्राकार संरचना एवं उसके ऊपर अनेक कलशवत स्तूपिकाएं |
| | + | |- |
| | + | |5 |
| | + | |शिखर सामान्यतः एक-मंजिले |
| | + | |शिखर सामान्यतः बहु-मंजिले |
| | + | |- |
| | + | |6 |
| | + | |गर्भगृह के सामने मण्डप व अर्द्धमण्डप |
| | + | |गर्भगृह के सामने मण्डप आवश्यक नहीं, प्रायः शिखरविहीन मण्डप, चावडी या चौलित्री के रूप में स्तंभ युक्त महाकक्ष |
| | + | |- |
| | + | |7 |
| | + | |द्वार के रूप में सामान्यतः तोरण द्वार |
| | + | |द्वार के रूप में सामान्यतः विशाल गोपुरम् |
| | + | |- |
| | + | |8 |
| | + | |मंदिर का सामान्य परिसर |
| | + | |मंदिर का विशाल प्रांगण |
| | + | |- |
| | + | |9 |
| | + | |परिसर में जलाशय आवश्यक नहीं |
| | + | |परिसर में कल्याणी या पुष्करिणी के रूप में जलाशय |
| | + | |- |
| | + | |10 |
| | + | |मंदिर प्रांगण में पृथक दीप स्तंभ व ध्वज स्तंभ का भी विधान नहीं |
| | + | |प्रायः मंदिर प्रांगण में विशाल दीप स्तंभ व ध्वज स्तंभ का भी विधान |
| | + | |- |
| | + | |11 |
| | + | |सामान्यतः द्रविड शैली की तुलना में कम ऊँचाई |
| | + | |सामान्यतः नागर शैली की तुलना में अधिक ऊँचाई |
| | + | |} |
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| | ===शिखर प्रमाण=== | | ===शिखर प्रमाण=== |