Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 4: Line 4:     
==परिचय॥ Introduction==
 
==परिचय॥ Introduction==
 +
[[File:लग्न-उदयास्त.jpg|thumb|363x363px|लग्न - उदयास्त]]
 
सूर्योदय के समय सूर्य जिस राशि में हो वही राशि लग्न होती है। लग्न शब्द से ही प्रतीत होता है कि एक वस्तु का दूसरे वस्तु में लगना। इसीलिए कहा गया है कि - लगतीति लग्नम्। वस्तुतः लग्न में भी यही होता है क्योंकि इष्टकाल में क्रान्तिवृत्त का जो स्थान उदयक्षितिज में जहाँ लगता है, वही राश्यादि (राशि, अंश, कला, विकला) लग्न होता है।<ref>जितेंद्र कुमार दुबे, [https://egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/81133/1/Unit-2.pdf लग्न साधन], सन् २०२१, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (पृ० ९३)।</ref> जिस समय लग्न जानना हो उस समय जिस राशि के सूर्य होंगे ठीक सूर्योदय के समय उसी राशि से लग्न आरम्भ होता है -<ref>नेमिचन्द्र शास्त्री, [https://ia601501.us.archive.org/30/items/in.ernet.dli.2015.350217/2015.350217.Bhartiya-Jyotish.pdf भारतीय ज्योतिष], सन १९६६, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, वाराणसी (पृ० ३५१)।</ref>   
 
सूर्योदय के समय सूर्य जिस राशि में हो वही राशि लग्न होती है। लग्न शब्द से ही प्रतीत होता है कि एक वस्तु का दूसरे वस्तु में लगना। इसीलिए कहा गया है कि - लगतीति लग्नम्। वस्तुतः लग्न में भी यही होता है क्योंकि इष्टकाल में क्रान्तिवृत्त का जो स्थान उदयक्षितिज में जहाँ लगता है, वही राश्यादि (राशि, अंश, कला, विकला) लग्न होता है।<ref>जितेंद्र कुमार दुबे, [https://egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/81133/1/Unit-2.pdf लग्न साधन], सन् २०२१, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (पृ० ९३)।</ref> जिस समय लग्न जानना हो उस समय जिस राशि के सूर्य होंगे ठीक सूर्योदय के समय उसी राशि से लग्न आरम्भ होता है -<ref>नेमिचन्द्र शास्त्री, [https://ia601501.us.archive.org/30/items/in.ernet.dli.2015.350217/2015.350217.Bhartiya-Jyotish.pdf भारतीय ज्योतिष], सन १९६६, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, वाराणसी (पृ० ३५१)।</ref>   
  
1,239

edits

Navigation menu