==मत्स्य न्याय एवं मण्डल सिद्धान्त॥ Matsya Nyaya evam Mandal siddhanta==
==मत्स्य न्याय एवं मण्डल सिद्धान्त॥ Matsya Nyaya evam Mandal siddhanta==
−
प्राचीन राजनैतिक प्रणाली में मत्स्य न्याय का सिद्धान्त अपनाया जाता था। अर्थात जिस प्रकार छोटी मछली बडी मछली को खा जाती है, उसी प्रकार बडे राज्य भी छोटे राज्यों का दमन करते थे। इस स्वाभाविक स्थिति से मुक्ति हेतु एक राज्य दूसरे राज्य की सहायता करता था अर्थात वे आपस में मित्रवत संबंध रखते थे। इसी सिद्धान्त को मण्डल सिद्धान्त नाम दिया गया। यह सिद्धान्त राज्यों में शक्ति संतुलन का कार्य करता था, जिसमें आवश्यकता पडने पर एक राज्य अपने मित्र राज्य की सहायता करता था इसी कारण कहीं-कहीं मित्र के लिए सुबद्ध शब्द का प्रयोग किया है।
+
मत्स्य न्याय का सामान्य अर्थ है बडी मछली के द्वारा छोटी मछली का भक्षण किया जाना। अर्थात तालाब में अराजकता की स्थिति का होना। तालाब में जो बलवान अथवा सामर्थ्यवान है वह अल्प सामर्थ्य वाले का दमन करता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार अराजकता की स्थिति में मत्स्य न्याय उद्भावित होता है जिसमें बलवान दुर्बल को निगल जाता है - <blockquote>अप्राप्यतः मात्स्यन्यां उद्भावनयति। बलियां अबलं हि ग्रसरे दण्डधराभावे॥ (अर्थ० 1.4. 13-14)</blockquote>प्राचीन राजनैतिक प्रणाली में मत्स्य न्याय का सिद्धान्त अपनाया जाता था। अर्थात जिस प्रकार छोटी मछली बडी मछली को खा जाती है, उसी प्रकार बडे राज्य भी छोटे राज्यों का दमन करते थे। इस स्वाभाविक स्थिति से मुक्ति हेतु एक राज्य दूसरे राज्य की सहायता करता था अर्थात वे आपस में मित्रवत संबंध रखते थे। इसी सिद्धान्त को मण्डल सिद्धान्त नाम दिया गया। यह सिद्धान्त राज्यों में शक्ति संतुलन का कार्य करता था, जिसमें आवश्यकता पडने पर एक राज्य अपने मित्र राज्य की सहायता करता था इसी कारण कहीं-कहीं मित्र के लिए सुबद्ध शब्द का प्रयोग किया है।
==मण्डल सिद्धान्त का वर्तमान परिदृश्य में महत्व॥ Importance of Mandal Theory in the present scenario==
==मण्डल सिद्धान्त का वर्तमान परिदृश्य में महत्व॥ Importance of Mandal Theory in the present scenario==