| − | अतः इस नीति का अध्ययन और अनुसरण वर्तमान समय में वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने और भारत को एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में सहायक हो सकता है। सोमदेवसूरि ने भी अत्यन्त विस्तृत वैज्ञानिक तथा कूटनीतिक रूप से षाड्गुण्य नीति की व्याख्या की है। इन्होंने वैदेशिक सम्बन्धों को अनुकूल बनाने के लिए, अपने राज्य की सुरक्षा के लिए तथा राज्य में सुख और समृद्धि के लिए इन नीतियों का प्रयोग आवश्यक माना है।<ref>अंजू देवी, [https://shisrrj.com/paper/SHISRRJ22534.pdf नीतिवाक्यामृतम् में वर्णित षाड्गुण्यः एक परिचय], सन - मई-जून-2022, पत्रिका-शोधशौर्यम्, इंटरनेशनल साइंटिफिक रेफरीड रिसर्च जर्नल (पृ० 29)।</ref> | + | अतः इस नीति का अध्ययन और अनुसरण वर्तमान समय में वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने और भारत को एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में सहायक हो सकता है। सोमदेवसूरि ने भी अत्यन्त विस्तृत वैज्ञानिक तथा कूटनीतिक रूप से षाड्गुण्य नीति की व्याख्या की है। इन्होंने वैदेशिक सम्बन्धों को अनुकूल बनाने के लिए, अपने राज्य की सुरक्षा के लिए तथा राज्य में सुख और समृद्धि के लिए इन नीतियों का प्रयोग आवश्यक माना है।<ref>अंजू देवी, [https://shisrrj.com/paper/SHISRRJ22534.pdf नीतिवाक्यामृतम् में वर्णित षाड्गुण्यः एक परिचय], सन - मई-जून-2022, पत्रिका-शोधशौर्यम्, इंटरनेशनल साइंटिफिक रेफरीड रिसर्च जर्नल (पृ० 29)।</ref> संक्षेप में यही षाड्गुण्य नीति है जिसके कुशलतम प्रयोग पर मनु ने बल दिया है। इस षाड्गुण्य नीति पर मनु, कौटिल्य, कामन्दक आदि आचार्यों ने भी विचार किया है। इस षाड्गुण्य नीति की आवश्यकता केवल राज्य शासन काल में ही नहीं थी अपितु प्रजातन्त्र में भी प्रशासक को विदेशी राष्ट्रों से सुदृढ सम्बन्ध बनाये रखने एवं अपने देश की सुरक्षा उन्नति एवं सुदृढता के लिए आज भी इस षाड्गुण्य नीति की उतनी ही उपयोगिता एवं प्रासंगिकता है। इसलिये प्रशासक द्वारा शासन व्यवस्था के सुचारु संचालन के लिए षाड्गुण्य नीति को अपनाया जाना परम आवश्यक है। |