सामवेद का एक उपवेद, जो संगीत-शास्त्र कहलाता है। भारतीय संगीत और नाट्य परंपरा के मूल प्रमाण गांधर्ववेद में मिलते हैं। संगीत का विशिष्ट स्वरूप बहुत पहले ही सामने आ गया था और उसमें गुरु-शिष्य संबंध के साधनात्मक रूप में इस शास्त्र का पठन-पाठन और अभ्यास किया जाता था। इस शास्त्र को नादात्मक ब्रह्म की आराधना के रूप में स्वीकारा गया। भरताचार्य ने इस दिशा में सशक्त पहल की थी और नाट्यशास्त्र के आरंभ में ही इस संबंध में अपनी अवधारणा को प्रतिपादित कर दिया था। इस उपवेद में संगीतविद्या, गायन विद्या और संगीत चिकित्सा का वर्णन प्राप्त होता है। भारतवर्षका एक उपद्वीप जो हिमालय पर माना जाता है। यहांके लोग गान-विद्या विशारद होते थे। | सामवेद का एक उपवेद, जो संगीत-शास्त्र कहलाता है। भारतीय संगीत और नाट्य परंपरा के मूल प्रमाण गांधर्ववेद में मिलते हैं। संगीत का विशिष्ट स्वरूप बहुत पहले ही सामने आ गया था और उसमें गुरु-शिष्य संबंध के साधनात्मक रूप में इस शास्त्र का पठन-पाठन और अभ्यास किया जाता था। इस शास्त्र को नादात्मक ब्रह्म की आराधना के रूप में स्वीकारा गया। भरताचार्य ने इस दिशा में सशक्त पहल की थी और नाट्यशास्त्र के आरंभ में ही इस संबंध में अपनी अवधारणा को प्रतिपादित कर दिया था। इस उपवेद में संगीतविद्या, गायन विद्या और संगीत चिकित्सा का वर्णन प्राप्त होता है। भारतवर्षका एक उपद्वीप जो हिमालय पर माना जाता है। यहांके लोग गान-विद्या विशारद होते थे। |