Difference between revisions of "चाणक्य जी के प्रेरक प्रसंग - कर्तव्य"

From Dharmawiki
Jump to navigation Jump to search
m (Text replacement - "इसलिए" to "अतः")
Tags: Mobile edit Mobile web edit
m (Text replacement - "कथाए" to "कथाएँ")
Tags: Mobile edit Mobile web edit
 
Line 7: Line 7:
 
'''इस कथा से प्रेरणा :- अपने निजी कार्य के लिए कार्य स्थल की संपत्ति अथवा उपकरणों का प्रयोग नहीं करना चाहिये।'''
 
'''इस कथा से प्रेरणा :- अपने निजी कार्य के लिए कार्य स्थल की संपत्ति अथवा उपकरणों का प्रयोग नहीं करना चाहिये।'''
  
[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]
+
[[Category:बाल कथाएँ एवं प्रेरक प्रसंग]]

Latest revision as of 22:31, 12 December 2020

एक दिन मगध सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य से मिलने कुछ विशेष अतिथि आये। उन्होंने सम्राट से आचार्य चाणक्य से भेंट का आग्रह किया । सम्राट ने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने कहा हमारी एक निजी समस्या है और हमें आचार्य चाणक्य जी से मार्गदर्शन चाहिए। सम्राट ने उत्तर दिया कि रात्रि अधिक हो चुकी है। आप विश्रांति कर कल भेंट कर ले, किन्तु अतिथि प्रतीक्षा करने में संकोच का अनुभव कर रहे थे ।

सम्राट ने कहा आप उनके निवास स्थान पर जा कर भेंट कर लें। सभी अतिथि आचार्य चाणक्य जी के निवास पर पहुंचे। आचार्य जी अपने निवास के कार्यालय में बैठकर दीपक की रोशनी में कुछ राजकीय कार्य कर रहे थे। आचार्य जी ने मेहमानों को देखा। सभी ने आचार्य को प्रणाम किया और कहा "आचार्य जी आपसे हमे कुछ निजी कार्य में मार्गदर्शन चाहियें । आचार्य अपने आसन से उठे और पहला दीपक बुझाकर आचार्य जी ने दूसरा दीपक जलाकर उस दीपक के स्थान पर रख दिया । मेहमानों में एक व्यक्ति उस क्रिया पर ध्यान दे रहे थे ।

आचार्य जी को बैठक में बैठने के बाद उस व्यक्ति ने आचार्य जी से पूछा की अगर आपको दूसरा दीपक जलाना ही था तो आपने पहला दीपक बुझाया क्यों ? आचार्य चाणक्य जी ने उत्तर दिया कि आप लोग जब आये तो मै राज्य का कार्य कर रहा था। उस दीपक में राज्यकोश का तेल था। परन्तु आपका कार्य निजी है, अतः निजी कार्य के लिए मेरे स्वयं के धन से लाये हुआ दीपक और तेल का उपयोग कर रहा हूँ। आचार्य चाणक्य जी की बात को सुनकर सभी अतिथि एकदम प्रफुल्लित एवं गर्व महसूस कर रहे थे ।

इस कथा से प्रेरणा :- अपने निजी कार्य के लिए कार्य स्थल की संपत्ति अथवा उपकरणों का प्रयोग नहीं करना चाहिये।