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एक दिन महाराज कृष्णदेवराय सभी के समक्ष विषय रखते है की मैंने बचपन से स्वर्ग के बारे सुना है परन्तु देखा नहीं है | क्या कोई मुझे स्वर्ग का दर्शन करवा सकता है ?
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एक दिन महाराज कृष्णदेवराय सभी के समक्ष विषय रखते है की मैंने बचपन से स्वर्ग के बारे सुना है परन्तु देखा नहीं है | क्या कोई मुझे स्वर्ग का दर्शन करवा सकता है| सभी  मंत्री  शीश झुका कर ना की मुद्रा में बैठ गया | महाराज कृष्णदेवराय निरास हो जाते है तभी उनकी नजर  तेनालीरामा पर पंडी | महाराज  ने तेनालीरामा से कहा क्या आप हमें स्वर्ग का दर्शन करवा सकते  हैं | तेनालीरामा ने उत्तर दिया की हाँ महाराज मेरी एक सर्त  हैं की मुझे दस हजार  मुद्राएँ एवं दो महीने की मोहलत दीजिये | महाराज ने तेनालीरामा को दस हजार मुद्राएँ एवं  दो महीने की  मोहलत दे दी | दो महीने बीत गये पर तेनालीरामा दरबार नही आये तभी महाराज के चाटुकारों ने महाराज से कहा की तेनालीरामा  उन पैसे से मज़ा उड़ा रहा हैं | तभी महाराज ने क्रोधित होकर  सैनिकों को  आदेश दिया जाओ तेनालीरामा को पकड़ कर लाओ | तभी तेनालीरामा  दरबार मे वापस आ गए | तभी तेनालीरामा से महाराज ने कहा सवर्ग कब ले जा रहे हो | तेनालीरामा ने महाराज से कहा
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