प्रकृति में पदार्थों के रूपान्तरण की प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है। पदार्थों में स्थित संगठन और विघटन के गुण के कारण से यह प्रक्रिया सम्भव होती है । विघटन और संगठन के साथ समरसता का गुण भी जुडा हुआ है । इससे चक्रीयता की स्थिति निर्माण होती है । चक्रीयता प्रकृति का एक महत्त्वपूर्ण गुण है जो पदार्थ और काल दोनों को लागू है। इन गुणों के कारण प्रकृति स्वयंसंचालित रहती है। प्रकृति के साथ जुडा चेतन कॅटलेटिक एजण्ट के समान प्रकृति को स्वसंचालित रहने में कारणभूत रहता है। | प्रकृति में पदार्थों के रूपान्तरण की प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है। पदार्थों में स्थित संगठन और विघटन के गुण के कारण से यह प्रक्रिया सम्भव होती है । विघटन और संगठन के साथ समरसता का गुण भी जुडा हुआ है । इससे चक्रीयता की स्थिति निर्माण होती है । चक्रीयता प्रकृति का एक महत्त्वपूर्ण गुण है जो पदार्थ और काल दोनों को लागू है। इन गुणों के कारण प्रकृति स्वयंसंचालित रहती है। प्रकृति के साथ जुडा चेतन कॅटलेटिक एजण्ट के समान प्रकृति को स्वसंचालित रहने में कारणभूत रहता है। |