विवाह संस्कार और विवाह संस्थाएं सभ्य समाज की पहचान हैं। यह संस्कार धीरे-धीरे विकसित हुआ है। पाषाण युग में मानव पशु जैसा जीवन जी रहा था। भोजन , नींद , भय और कामवासना किसी भी अन्य जानवर की तरह मनुष्य भी आसानी से काम करते थे। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और इस सुरक्षा के विस्तार करने के लिए, उन्होंने कोशिश की और सामूहिक जीवन यापन का मार्ग प्रसस्त किया। समूह जीवन में शारीरिक संपर्क और संतान प्राप्ति प्राकृतिक प्रक्रियाएं अनिवार्य हैं। समूह जीवन में मनुष्य की प्राकृतिक शारीरिक शक्ति प्रमुख भूमिका निभाने लगे। भारतीय समाज में पहली शादी कब हुई थी , किसने की थी? यह एक सामाजिक आदर्श कब बन गया ? पहला उदाहरण उद्धलकपुत्र श्वेतकेतु माना जाता है। श्वेतकेतु की माता जाबाला जब वह बच्चो के लिए खाना बना रही थी , तब एक मजबूत वक्ती ने उसे उठा लिया और अपनी वासना की पूर्ति के लिए ले गया। बालक श्वेतकेतु के मन इसका बहुत गहरा भावनात्मक प्रभाव पड़ा। आगे जीवन में श्वेतकेतु एक महान साधु बने और समाज में विवाह प्रथा की नींव रखी। इस कहानी यह वैदिक काल से पहले का है , लेकिन यह विवाह पर प्रकाश डालता है | विवाह संस्कार और विवाह संस्थाएं सभ्य समाज की पहचान हैं। यह संस्कार धीरे-धीरे विकसित हुआ है। पाषाण युग में मानव पशु जैसा जीवन जी रहा था। भोजन , नींद , भय और कामवासना किसी भी अन्य जानवर की तरह मनुष्य भी आसानी से काम करते थे। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और इस सुरक्षा के विस्तार करने के लिए, उन्होंने कोशिश की और सामूहिक जीवन यापन का मार्ग प्रसस्त किया। समूह जीवन में शारीरिक संपर्क और संतान प्राप्ति प्राकृतिक प्रक्रियाएं अनिवार्य हैं। समूह जीवन में मनुष्य की प्राकृतिक शारीरिक शक्ति प्रमुख भूमिका निभाने लगे। भारतीय समाज में पहली शादी कब हुई थी , किसने की थी? यह एक सामाजिक आदर्श कब बन गया ? पहला उदाहरण उद्धलकपुत्र श्वेतकेतु माना जाता है। श्वेतकेतु की माता जाबाला जब वह बच्चो के लिए खाना बना रही थी , तब एक मजबूत वक्ती ने उसे उठा लिया और अपनी वासना की पूर्ति के लिए ले गया। बालक श्वेतकेतु के मन इसका बहुत गहरा भावनात्मक प्रभाव पड़ा। आगे जीवन में श्वेतकेतु एक महान साधु बने और समाज में विवाह प्रथा की नींव रखी। इस कहानी यह वैदिक काल से पहले का है , लेकिन यह विवाह पर प्रकाश डालता है |