यह संस्कार शिक्षा समाप्ति का संकेत देने वाला संस्कार है। पूर्व में उपनयन/मुनजी के पश्चात् बारह वर्ष तक शिक्षा दी जाती थी। शायद छत्तीस साल की उम्र तक शिक्षा दी जाती थी । इसके बाद बच्चे पढ़ाई करते समय के अपने पहनावे और दिनचर्या के साथ बचपन से गृहस्थाश्रम में प्रवेश करता है उससे पहले ब्रह्मचर्य का उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ है । शारीरिक , मानसिक , बौद्धिक उसके पास शक्ति का पूर्ण संचय था। उस समय छात्रों मे श्रोज और तेज इसका प्रभाव बढ़ हुआ राहत है । वैदिक ज्ञान और अन्य व्यावसायिक ज्ञान के साथ यह सिद्ध युवा को स्नान करके ब्रह्मचर्य छोड़ने का यह संस्कार है। | यह संस्कार शिक्षा समाप्ति का संकेत देने वाला संस्कार है। पूर्व में उपनयन/मुनजी के पश्चात् बारह वर्ष तक शिक्षा दी जाती थी। शायद छत्तीस साल की उम्र तक शिक्षा दी जाती थी । इसके बाद बच्चे पढ़ाई करते समय के अपने पहनावे और दिनचर्या के साथ बचपन से गृहस्थाश्रम में प्रवेश करता है उससे पहले ब्रह्मचर्य का उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ है । शारीरिक , मानसिक , बौद्धिक उसके पास शक्ति का पूर्ण संचय था। उस समय छात्रों मे श्रोज और तेज इसका प्रभाव बढ़ हुआ राहत है । वैदिक ज्ञान और अन्य व्यावसायिक ज्ञान के साथ यह सिद्ध युवा को स्नान करके ब्रह्मचर्य छोड़ने का यह संस्कार है। |