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| '''इमां मया कृतां पूजां गृहस्तेजः प्रवर्धय॥ ॐ दीपेभ्यो नमः।'''</blockquote>अर्थ-हे दीप! आप ब्रह्मरूप हैं। आप अन्धकार का निवारण करने वाले हैं। आप मेरे द्वार की गई इस पूजा को ग्रहण करें तथा तेज की वृद्धि करें। ॐ, दीपक को नमस्कार है। रोली के छीटे लगा दीजिए। हाथ में चावल ले करके पुन: बोलिए-<blockquote>'''ॐ चक्षुर्दै सर्वलोकानां तिमिरस्य निवारणम्।''' | | '''इमां मया कृतां पूजां गृहस्तेजः प्रवर्धय॥ ॐ दीपेभ्यो नमः।'''</blockquote>अर्थ-हे दीप! आप ब्रह्मरूप हैं। आप अन्धकार का निवारण करने वाले हैं। आप मेरे द्वार की गई इस पूजा को ग्रहण करें तथा तेज की वृद्धि करें। ॐ, दीपक को नमस्कार है। रोली के छीटे लगा दीजिए। हाथ में चावल ले करके पुन: बोलिए-<blockquote>'''ॐ चक्षुर्दै सर्वलोकानां तिमिरस्य निवारणम्।''' |
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− | '''आर्तिकर्य कल्पितं भक्त्या गृहाण परमेश्वरि।'''</blockquote>अर्थ-ॐ, सब लोकों को चक्षु प्रदान करने वाले, अंधकार का नाश करने वाले दीपक द्वार यह भक्त आपकी आरती करता है। हे परमेश्वरी!आप इसे स्वीकार कीजिए। थाली के दीपकों के ऊपर चावल छोड़ दीजिए। अब इन दीपकों को आप स्वयं या अपने बच्चों से या अपने परिजनों से घर या ऑफिस के विभिन्न स्थानों पर रख दीजिए। यही दीपावली पूजन है। यही दीप पूजन है। यही दीपावली है। | + | '''आर्तिकर्य कल्पितं भक्त्या गृहाण परमेश्वरि।'''</blockquote>अर्थ-ॐ, सब लोकों को चक्षु प्रदान करने वाले, अंधकार का नाश करने वाले दीपक द्वार यह भक्त आपकी आरती करता है। हे परमेश्वरी!आप इसे स्वीकार कीजिए। थाली के दीपकों के ऊपर चावल छोड़ दीजिए। अब इन दीपकों को आप स्वयं या अपने बच्चों से या अपने परिजनों से घर या ऑफिस के विभिन्न स्थानों पर रख दीजिए। यही दीपावली पूजन है। यही दीप पूजन है। यही दीपावली है। |
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| + | अब हम लोग आरती करेंगे। आरती या निराजन, जिस थाली में पुरान, साप, धूप, दीप इत्यादि, मेवा, मिठाई, भोग-प्रसाद आदि रखा हुआ है, उस बाली की ने लीजिए। थाली को हाथ में लेकर के घुमा-बुमा करके और थाली बाई से दाहिती , नीचे से ऊपर घुमाइए। थाली से एक 'ॐ' का आकार बनाइए। साथ-साथ में गाइए-<blockquote> '''लक्ष्मीजी की आरती''' |
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| + | '''ॐ जय लक्ष्मी माता, पैया जय लक्ष्मी माता।''' |
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| + | '''तुमको निशि-दिन सेवतन, हर-विष्णु-धाता ।।''' |
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| + | '''ॐ जय लक्ष्मी माता''' |
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| + | '''उया, रमा, ब्रह्माणी, तू ही है जग पाता।''' |
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| + | '''सूर्य-चन्द्रमा, ध्यावत, नारद ऋषि गाता ||''' |
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| + | '''ॐ जय लक्ष्मी माता''' |
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| + | '''दुर्गा रूप निरंजनि, सुखा-सम्पत्ति-दाता।''' |
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| + | '''जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।|''' |
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| + | '''ॐ जय लक्ष्मी माता''' |
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| + | '''तू ही है पाताल-निवासिनी, तू ही है शुभ-दाता।''' |
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| + | '''कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, जग निधिक्री त्राता ||''' |
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| + | '''ॐ जय लक्ष्मी माता''' |
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| + | '''जिस घर थारो वासो, वाहीमें गुण आता।''' |
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| + | '''कर न सके सोई कर ले मन नहीं घबराता ।|''' |
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| + | '''ॐ जय लक्ष्मी माता''' |
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| + | '''तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न होर पाता।''' |
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| + | '''खान-पान का वैभव, तुम बिन कुन दाता ।|''' |
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| + | '''ॐ जय लक्ष्मी माता''' |
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| + | '''शुभ-गुण मन्दिर योक्ता, ओनिधि जाता।''' |
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| + | '''रत्न चतुर्दश तो को, कोई नहिं पाता ||''' |
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| + | '''ॐ जय लक्ष्मी माता''' |
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| + | '''आरती लक्ष्मीजी की, जो कोई नर गाता।''' |
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| + | '''उर आनन्द अति उमगे, पाप उतर जाता''' |
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| + | '''ॐ जय लक्ष्मी माता''' |
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| + | '''शान्तिः शांतिः शान्तिः'''</blockquote>लक्ष्मी मैया की जय। जय लक्ष्मी माता। भारती की थाली नीचे रख लीजिए। जरा-सा जल छोड़ दीजिए। आरती के बाद थोड़ा-सा उल्न छोटना जरूरी है और |