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स्मृतियों के अनुसार जब कोई व्यक्ति किसी देश या समुदाय के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो उसे वहाँ की परम्पराओं, आचारों, सामाजिक व्यवहार तथा कुल-सम्बन्धी मर्यादाओं का उसी प्रकार पालन करना चाहिए - <blockquote>यस्मिन्देशे य आचारो व्यवहारः कुलस्थितिः । तथैव परिपाल्योऽसौ यदा वशं उपागतः॥ (याज्ञवल्क्य स्मृति १.३४३)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%83/%E0%A4%86%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%83/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3%E0%A4%AE%E0%A5%8D याज्ञवल्क्य स्मृति], आचाराध्याय, श्लोक 343।</ref></blockquote>'''भाषार्थ -''' जिस स्थान में जिस प्रकार का आचार-विचार और सामाजिक आचरण प्रचलित हो, वहाँ पहुँचकर व्यक्ति को वही मर्यादाएँ अपनानी चाहिए, जैसे शरीर पर वस्त्र बदलने पर उसके अनुसार रूप-रंग और उपयुक्तता का ध्यान रखा जाता है।
 
स्मृतियों के अनुसार जब कोई व्यक्ति किसी देश या समुदाय के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो उसे वहाँ की परम्पराओं, आचारों, सामाजिक व्यवहार तथा कुल-सम्बन्धी मर्यादाओं का उसी प्रकार पालन करना चाहिए - <blockquote>यस्मिन्देशे य आचारो व्यवहारः कुलस्थितिः । तथैव परिपाल्योऽसौ यदा वशं उपागतः॥ (याज्ञवल्क्य स्मृति १.३४३)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%83/%E0%A4%86%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%83/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3%E0%A4%AE%E0%A5%8D याज्ञवल्क्य स्मृति], आचाराध्याय, श्लोक 343।</ref></blockquote>'''भाषार्थ -''' जिस स्थान में जिस प्रकार का आचार-विचार और सामाजिक आचरण प्रचलित हो, वहाँ पहुँचकर व्यक्ति को वही मर्यादाएँ अपनानी चाहिए, जैसे शरीर पर वस्त्र बदलने पर उसके अनुसार रूप-रंग और उपयुक्तता का ध्यान रखा जाता है।
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==परिभाषा==
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==परिभाषा॥ Definition==
 
भारतीय आचार-शास्त्र में उचित आचरण को आचार तथा अनुचित आचरण को अनाचार कहा गया है। वृहत्त् संस्कृताभिधान वाचस्पत्य के अनुसार ‘आचार’ की व्युत्पत्ति का विवेचन करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि आचार को दो रूपों सदाचार एवं कदाचार में वर्गीकृत किया जाता है - <ref name=":0">शोध छात्रा - मासुमा, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/455720 वैदिक परम्परा में आचार मीमांसा एक अध्ययन], सन २०२२, शोधकेन्द्र - काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (पृ० १७)।</ref>
 
भारतीय आचार-शास्त्र में उचित आचरण को आचार तथा अनुचित आचरण को अनाचार कहा गया है। वृहत्त् संस्कृताभिधान वाचस्पत्य के अनुसार ‘आचार’ की व्युत्पत्ति का विवेचन करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि आचार को दो रूपों सदाचार एवं कदाचार में वर्गीकृत किया जाता है - <ref name=":0">शोध छात्रा - मासुमा, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/455720 वैदिक परम्परा में आचार मीमांसा एक अध्ययन], सन २०२२, शोधकेन्द्र - काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (पृ० १७)।</ref>
    
आचरणै अनुष्ठाने स च अनुष्ठान निवृत्त्यात्मक भावाभावरूपः। तत्र सदाचारः वेदस्मृत्यादि विहित तत्र नित्य निषिद्धश्च कदाचार इति भेदात् द्विविधः वाचस्पत्यम्।
 
आचरणै अनुष्ठाने स च अनुष्ठान निवृत्त्यात्मक भावाभावरूपः। तत्र सदाचारः वेदस्मृत्यादि विहित तत्र नित्य निषिद्धश्च कदाचार इति भेदात् द्विविधः वाचस्पत्यम्।
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== स्मृति ग्रन्थों में आचार ==
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==स्मृति ग्रन्थों में आचार॥ Achara in Smriti Granthas==
'''नैतिक आचार'''
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स्मृतियों में आचार के तीन विभाग किये गये हैं - देशाचार, जात्याचार और कुलाचार।
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'''सामाजिक आचार'''
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# '''देशाचार -''' देश-विशेष में जो आचार प्रचलित होते थे उनको देशाचार कहते थे जैसे दक्षिण में मातुल कन्या से विवाह।
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# '''जाति आचार -''' जाति-विशेष में जो आचार प्रचलित होते थे उन्हें जात्याचार कहा जाता है जैसे - कुछ जातियों में सगोत्र विवाह होना।
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# '''कुलाचार -''' इसी प्रकार कुल-विशेष में प्रचलित आचार को कुलाचार कहा जाता है।
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'''पारिवारिक आचार'''
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धर्मशास्त्र में इस बात का राजा को आदेश दिया गया है कि वह आचारों को मान्यता प्रदान करे, ऐसा न करने से प्रजा क्षुब्ध होती है।
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==उद्धरण==
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'''नैतिक आचार॥ Naitika Achara'''
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'''सामाजिक आचार॥ Samajika Achara'''
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'''पारिवारिक आचार॥ Parivarika Achara'''
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==उद्धरण॥ References==
 
[[Category:Hindi Articles]]
 
[[Category:Hindi Articles]]
 
[[Category:हिंदी भाषा के लेख]]
 
[[Category:हिंदी भाषा के लेख]]
 
<references />
 
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