हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित भारत के सात तीर्थस्थलों (सप्तपुरी) में से एक है। पुराणों में इसका हरिद्वार एवं गंगाद्वार नाम प्राप्त होता है। पद्मपुराण में हरिद्वार का अनेक बार उल्लेख हुआ है एवं षष्ठभाग के अध्याय 21, 23 एवं 217 में हरिद्वार का महत्व अत्यंत विस्तार से वर्णन है। हरिद्वार में कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, किन्तु यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता, और सामूहिक चेतना का प्रतीक है। यहां छह वर्ष में अर्ध कुम्भ एवं बारह वर्ष में पूर्ण कुम्भ का आयोजन होता है। हरिद्वार में इसका आयोजन गंगा नदी के किनारे विशेष ज्योतिषीय गणनाओं और खगोलीय संयोगों पर आधारित होता है - <blockquote>कुम्भराशिं गते जीवे तथा मेषे गते रवौ। हरिद्वारे कृतं स्नानं पुनरावृत्तिवर्जनम्॥ (कुम्भ पर्व) </blockquote> | हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित भारत के सात तीर्थस्थलों (सप्तपुरी) में से एक है। पुराणों में इसका हरिद्वार एवं गंगाद्वार नाम प्राप्त होता है। पद्मपुराण में हरिद्वार का अनेक बार उल्लेख हुआ है एवं षष्ठभाग के अध्याय 21, 23 एवं 217 में हरिद्वार का महत्व अत्यंत विस्तार से वर्णन है। हरिद्वार में कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, किन्तु यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता, और सामूहिक चेतना का प्रतीक है। यहां छह वर्ष में अर्ध कुम्भ एवं बारह वर्ष में पूर्ण कुम्भ का आयोजन होता है। हरिद्वार में इसका आयोजन गंगा नदी के किनारे विशेष ज्योतिषीय गणनाओं और खगोलीय संयोगों पर आधारित होता है - <blockquote>कुम्भराशिं गते जीवे तथा मेषे गते रवौ। हरिद्वारे कृतं स्नानं पुनरावृत्तिवर्जनम्॥ (कुम्भ पर्व) </blockquote> |