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स्वप्नों का अध्ययन और उनका ज्योतिष तथा अन्य प्राचीन विद्याओं से गहरा संबंध है। भारतीय परंपरा में स्वप्नों को मात्र एक मानसिक प्रक्रिया नहीं माना गया, बल्कि उन्हें जीवन, भविष्य, और आध्यात्मिक संकेतों का महत्वपूर्ण स्रोत माना गया है। यह विश्वास किया जाता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति को भविष्य की घटनाओं, शुभ-अशुभ संकेतों, या किसी विशेष चेतावनी की जानकारी मिल सकती है। स्वप्न ज्योतिष, तंत्र, और आयुर्वेद जैसी प्राचीन भारतीय विद्याओं से जुड़ा हुआ है, जो यह समझने का प्रयास करता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। | स्वप्नों का अध्ययन और उनका ज्योतिष तथा अन्य प्राचीन विद्याओं से गहरा संबंध है। भारतीय परंपरा में स्वप्नों को मात्र एक मानसिक प्रक्रिया नहीं माना गया, बल्कि उन्हें जीवन, भविष्य, और आध्यात्मिक संकेतों का महत्वपूर्ण स्रोत माना गया है। यह विश्वास किया जाता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति को भविष्य की घटनाओं, शुभ-अशुभ संकेतों, या किसी विशेष चेतावनी की जानकारी मिल सकती है। स्वप्न ज्योतिष, तंत्र, और आयुर्वेद जैसी प्राचीन भारतीय विद्याओं से जुड़ा हुआ है, जो यह समझने का प्रयास करता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। | ||
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+ | निद्रावस्था में हमारी मानसिक वृत्तियाँ सर्वथा निस्तेज नहीं हो जातीं। हाँ, जागृत अवस्था में जो शृंघला मानसिक वृत्तियों में देखी जाती है, वह अवश्य नष्ट हो जाती है। नाना प्रकार की अद्भुत चिन्ताएँ और दृश्य मन में उत्पन्न होते हैं, यही स्वप्न है। शास्त्रकार जिसे सुषुप्ति कहते हैं, निद्रा की उस प्रगाढ अवस्था में स्वप्न दिखलाई नहीं देते।<ref>डॉ० गिरीन्द्र शेखर, [https://ia801203.us.archive.org/33/items/in.ernet.dli.2015.539358/2015.539358.Swapna-Vigyan.pdf स्वप्न विज्ञान], सन 1942, किताब-महल, प्रयागराज (पृ० 14)।</ref> | ||
− | == उद्धरण == | + | ==स्वप्न की अवधारणा<ref>राजाराम शास्त्री, [https://indianculture.gov.in/ebooks/savapana-darasana-savapanaavasathaakaa-manaovaijanaana स्वप्न-दर्शन], सन 2004, काशी विद्यापीठ, बनारस (पृ० 15)।</ref>== |
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+ | * स्वप्न की कार्य प्रणाली | ||
+ | * स्वप्न और प्रतीक | ||
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+ | * अतीन्द्रिय स्वप्न - रचनात्मक स्वप्न, सामान्य स्वप्न, रोगभावि स्वप्न | ||
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भारतीय ज्ञान परंपरा के अन्तर्गत चौंसठ कलाओं में से एक कला को स्वप्न के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय विद्याओं में वेद, पुराण, दर्शन, ज्योतिष, एवं आयुर्वेद शास्त्र में स्वप्नों के संबंध में जानकारी प्राप्त होती है। स्वप्न एक रहस्यमयी कला है, जो व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध बनाती है।
परिचय
स्वप्नों का अध्ययन और उनका ज्योतिष तथा अन्य प्राचीन विद्याओं से गहरा संबंध है। भारतीय परंपरा में स्वप्नों को मात्र एक मानसिक प्रक्रिया नहीं माना गया, बल्कि उन्हें जीवन, भविष्य, और आध्यात्मिक संकेतों का महत्वपूर्ण स्रोत माना गया है। यह विश्वास किया जाता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति को भविष्य की घटनाओं, शुभ-अशुभ संकेतों, या किसी विशेष चेतावनी की जानकारी मिल सकती है। स्वप्न ज्योतिष, तंत्र, और आयुर्वेद जैसी प्राचीन भारतीय विद्याओं से जुड़ा हुआ है, जो यह समझने का प्रयास करता है कि स्वप्नों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
स्वप्न क्या है?
निद्रावस्था में हमारी मानसिक वृत्तियाँ सर्वथा निस्तेज नहीं हो जातीं। हाँ, जागृत अवस्था में जो शृंघला मानसिक वृत्तियों में देखी जाती है, वह अवश्य नष्ट हो जाती है। नाना प्रकार की अद्भुत चिन्ताएँ और दृश्य मन में उत्पन्न होते हैं, यही स्वप्न है। शास्त्रकार जिसे सुषुप्ति कहते हैं, निद्रा की उस प्रगाढ अवस्था में स्वप्न दिखलाई नहीं देते।[1]
स्वप्न की अवधारणा[2]
- स्वप्न की कार्य प्रणाली
- स्वप्न और प्रतीक
- स्वप्नके शारीरिक तथा मानसिक निमित्त
- अतीन्द्रिय स्वप्न - रचनात्मक स्वप्न, सामान्य स्वप्न, रोगभावि स्वप्न
उद्धरण
- ↑ डॉ० गिरीन्द्र शेखर, स्वप्न विज्ञान, सन 1942, किताब-महल, प्रयागराज (पृ० 14)।
- ↑ राजाराम शास्त्री, स्वप्न-दर्शन, सन 2004, काशी विद्यापीठ, बनारस (पृ० 15)।