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| == Months of Hindu calendar for Greeshma rtu == | | == Months of Hindu calendar for Greeshma rtu == |
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| + | As per Hindu calendar in Bharata, for every 2 months there is one season. Therefore for 12 months there are 6 seasons. However the seasons are listed with little variation in the names in 2 different cases. The list of season and months in Hindu calendar is given below, |
| + | {| class="wikitable" |
| + | !No. |
| + | !Rtu list 1 |
| + | !Hindu calendar months |
| + | !Corresponding season |
| + | |- |
| + | |1 |
| + | |Shishira (शिशिरः) |
| + | | Magha, Phalguna |
| + | |Winter |
| + | |- |
| + | |2 |
| + | |Vasanta (वसंतः) |
| + | |Chaitra, Vaishakha |
| + | |Spring |
| + | |- |
| + | |3 |
| + | |'''Grishma (ग्रीष्मः)''' |
| + | |'''Jyeshtha, Ashadha''' |
| + | |'''Summer''' |
| + | |- |
| + | |4 |
| + | | --- |
| + | | --- |
| + | |Early Monsoon |
| + | |- |
| + | |5 |
| + | |Varsha (वर्षा) |
| + | |Shravana, Bhadrapada |
| + | |Monsoon |
| + | |- |
| + | |6 |
| + | |Sharad (शरदः) |
| + | |Ashvin, Kartika |
| + | |Autumn |
| + | |- |
| + | |7 |
| + | |Hemanta (हेमंतः) |
| + | |Margashirsha, Pausha |
| + | |Winter or late autumn |
| + | |}The month of Jyeshtha, Ashadha make up the Greeshma rtu. <blockquote> |
| + | *वैशाखज्येष्ठौ ग्रीष्मः (Sush. Samh 6.10) |
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− | == अव्यापन्नप्रावृडृतुलक्षणानि॥ Characteristics of Greeeshma Rtu ==
| + | *तत्र माघादयो द्वादश मासाः, द्विमासिकमृतुं कृत्वा षडृतवो भवन्ति; ...........शुचिशुक्रौ ग्रीष्मः, (Sush . Samh. 6.6) |
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| + | *शुचिः ज्येष्ठः, शुक्रः आषाढः; अन्ये तु शुक्रो ज्येष्ठः, शुचिराषाढ इति मन्यन्ते| (Dalhana commentary on Sush . Samh. 6.6)</blockquote>Thus, Jyeshtha, Ashadha are the 2 months in the lunar calendar which fall under Greeshma rtu. While, as per Gregorian calendar Greeshma is grossly a period from Mid May to Mid July. |
| + | #Jyeshtha or Shuchi (ज्येष्ठः - शुचिः) - Mid May-Mid June |
| + | #Ashadha or Shukra (आषाढः - शुक्रः )- Mid June to Mid July |
| + | == अव्यापन्नप्रावृडृतुलक्षणानि॥ Characteristics of Greeshma Rtu == |
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| + | ग्रीष्मे तीक्ष्णांशुरादित्यो मारुतो नैरृतोऽसुखः <sup>[१]</sup> | |
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| + | भूस्तप्ता सरितस्तन्व्यो दिशः प्रज्वलिता इव ||२९|| |
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| + | भ्रान्तचक्राह्वयुगलाः पयःपानाकुला मृगाः | |
| + | |
| + | ध्वस्तवीरुत्तृणलता विपर्णाङ्कितपादपाः ||३०|| <ref>Sushruta Samhita (Sutrasthanam Adhyaya 6 Sutra 29-30)</ref> |
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| == अग्निदोषादीनां गतिः॥ The status of bio-energies in body in Greeshma == | | == अग्निदोषादीनां गतिः॥ The status of bio-energies in body in Greeshma == |
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| + | तीक्ष्णांशुरतितीक्ष्णांशुर्ग्रीष्मे संक्षिपतीव यत्||२६|| |
| + | |
| + | प्रत्यहं क्षीयते श्लेष्मा तेन वायुश्च वर्धते| |
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| == ऋतुचर्याविधानम्॥ Rtucharya for Greeshma == | | == ऋतुचर्याविधानम्॥ Rtucharya for Greeshma == |
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| + | अतोऽस्मिन्पटुकट्वम्लव्यायामार्ककरांस्त्यजेत्||२७|| |
| + | |
| + | किमत्र सेव्यम् ? इत्याह---------- |
| + | |
| + | भजेन्मधुरमेवान्नं लघु स्निग्धं हिमं द्रवम्| |
| + | |
| + | सामान्येन भोजनमुक्त्वा विशेषेणाह---------- |
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| + | <nowiki>------------------------------------------------------------</nowiki>| |
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| + | सुशीततोयसिक्ताङ्गो लिह्यात्सक्तून् सशर्करान्||२८|| |
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| + | मद्यं न पेयं, पेयं वा स्वल्पं, सुबहुवारि वा| |
| + | |
| + | <nowiki>------------------------------------------------------------</nowiki>|२९| |
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| + | उक्तविध्यतिक्रमे दोषमाह------------ |
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| + | <nowiki>------------------------------------------------------------</nowiki>| |
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| + | अन्यथाशोषशैथिल्यदाहमोहान् करोति तत्||२९|| |
| + | |
| + | कुन्देन्दुधवलं शालिमश्नीयाज्जाङ्गलैः पलैः| |
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| + | <nowiki>------------------------------------------------------------</nowiki>|३०| |
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| == What should be strictly avoided in Greeshma rtu? == | | == What should be strictly avoided in Greeshma rtu? == |
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| == What should be followed in Greeshma rtu? == | | == What should be followed in Greeshma rtu? == |
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| + | <nowiki>------------------------------------------------------------</nowiki>| |
| + | |
| + | पिबेद्रसं नातिघनं रसालां रागखाण्डवौ||३०|| |
| + | |
| + | पानकं पञ्चसारं वा नवमृद्भाजने स्थितम्| |
| + | |
| + | मोचचोचदलैर्युक्तं साम्लं मृन्मयशुक्तिभिः||३१|| |
| + | |
| + | पाटलावासितं चाम्भः सकर्पूरं सुशीतलम्|३२|शशाङ्ककिरणान् भक्ष्यान् रजन्यां भक्षयन् पिबेत्||३२|| |
| + | ससितं माहिषं क्षीरं चन्द्रनक्षत्रशीतलम्| |
| + | {| class="wikitable" |
| + | |<nowiki> ------------------------------------------------------------|</nowiki> |
| + | अभ्रङ्कषमहाशालतालरुद्धोष्णरश्मिषु||३३|| |
| + | वनेषु माधवीश्लिष्टद्राक्षास्तबकशालिषु| |
| + | |} |
| + | sleeping specifications |
| + | |
| + | कस्मिन् स्वप्यात् ? इत्याह--------------- |
| + | |
| + | <nowiki>--------------------------------------------</nowiki>| |
| + | |
| + | सुगन्धिहिमपानीयसिच्यमानपटालिके||३४|| |
| + | |
| + | कायमाने चिते चूतप्रवालफललुम्बिभिः| |
| + | |
| + | सूत्रस्थानम् - ३. ऋतुचर्याध्यायः |
| + | |
| + | ईदृशे कायमाने स्थितो यादृशे शयने शयीत तन्निरूपयन्नाह--------------- |
| + | |
| + | <nowiki>--------------------------------------------</nowiki>| |
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| + | कदलीदलकह्लारमृणालकमलोत्पलैः||३५|| |
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| + | कोमलैः कल्पिते तल्पे हसत्कुसुमपल्लवे| |
| + | |
| + | मध्यंदिनेऽर्कतापार्तः स्वप्याद्धारागृहेऽथवा||३६|| |
| + | |
| + | पुस्तस्त्रीस्तनहस्तास्यप्रवृत्तोशीरवारिणि| |
| + | |
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| + | निशाकरकराकीर्णे सौधपृष्ठे निशासु च||३७|| |
| + | |
| + | आसना |
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| + | <nowiki>---------</nowiki>स्वस्थचित्तस्य चन्दनार्द्रस्य मालिनः| |
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| + | निवृत्तकामतन्त्रस्य सुसूक्ष्मतनुवाससः||३८|| |
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| + | जलार्द्रास्तालवृन्तानि विस्तृताः पद्मिनीपुटाः| |
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| + | उत्क्षेपाश्च मृदूत्क्षेपा जलवर्षिहिमानिलाः||३९|| |
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| + | कर्पूरमल्लिकामाला हाराः सहरिचन्दनाः| |
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| + | मनोहरकलालापाः शिशवः सारिकाः शुकाः||४०|| |
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| + | मृणालवलयाः कान्ताः प्रोत्फुल्लकमलोज्ज्वलाः| |
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| + | जङ्गमा इव पद्मिन्यो हरन्ति दयिताः क्लमम्||४१|| |
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| == पंचकर्माणि॥ Panchakarmas done in Greeshma Rtu == | | == पंचकर्माणि॥ Panchakarmas done in Greeshma Rtu == |