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| यथा हि गर्भिणी हित्वा स्वं प्रियं मनसोऽनुगम्। गर्भस्य हितमाधत्ते तथा राज्ञाऽप्यसंशयम्।। 45 | | यथा हि गर्भिणी हित्वा स्वं प्रियं मनसोऽनुगम्। गर्भस्य हितमाधत्ते तथा राज्ञाऽप्यसंशयम्।। 45 |
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− | वर्तितव्यं कुरुश्रेष्ठ सदा धर्मानुवर्तिना। स्वं प्रियं तु परित्यज्य यद्यल्लोकहितं भवेत्।। 46 | + | वर्तितव्यं कुरुश्रेष्ठ सदा धर्मानुवर्तिना। स्वं प्रियं तु परित्यज्य यद्यल्लोकहितं भवेत्।। 46<ref>Mahabharata, Shanti Parva, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A5%8D-12-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5-055 Adhyaya 55]</ref> |
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| + | Protection of the Seven constituents of the Rajya - Raja, friend, treasury, country, fort and army. |
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| + | सप्ताङ्गस्य च राज्यस्य विपरीतं य आचरेत्। गुरुर्वा यदि वा मित्रं प्रतिहन्तव्य एव सः।। 12.56.4 (12.57.4) |
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| + | Eligibility of a Raja |
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| + | गुप्तमन्त्रो (आत्मवांश्च) जितक्रोधः शास्त्रार्थकृतनिश्चयः। धर्मे चार्थे च कामे च मोक्षे च सततं रतः।। 13 |
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| + | त्रय्या संवृतमन्त्रश्च राजा भवितुर्महति। वृजिनं च नरेन्द्राणां नान्यच्चारक्षणात्परम्।। 14 |
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| + | यः सत्करोति ज्ञानानि श्रेयान्परहिते रतः। सतां वर्त्मानुगस्त्यागी स राजा स्वर्गमर्हति।। 38 |
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| + | यस्य चाराश्च मन्त्राश्च नित्यं चैव कृताकृताः। न ज्ञायन्ते हि रिपुभिः स राजा राज्यमर्हति।। 39 |
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| + | Praiseworthy Raja |
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| + | अच्छिद्रदर्शी नृपतिर्नित्यमेव प्रशस्यते। त्रिवर्गे विदितार्थश्च युक्ताचारपथश्च यः।। 17 |
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| + | Responsibilities of the Raja |
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| + | कोशस्योपार्जनरतिर्यमवैश्रवणोपमः। वेत्ता च दशवर्गस्य स्थानवृद्धिक्षयात्मनः।। 18 |
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| + | अभृतानां भवेद्भर्ता भृतानामन्ववेक्षकः। 19 |
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| + | Behaviour of the Raja |
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| + | नृपतिः सुभुखश्च स्यात्स्मितपूर्वाभिभाषिता।। 19 |
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| + | स्वयं प्रहर्ता दाता च वश्यात्मा वश्यसाधनः। काले दाता च भोक्ता च शुद्धाचारस्तथैव च।। 22 |
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| + | Raja's aids |
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| + | शूरान्भक्तानसंहार्यान्कुले जातानरोगिणः। शिष्टाञ्शिष्टाभिसंबन्धान्मानिनोऽनवमानिनः।। 23 |
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| + | विद्याविदो लोकविदः परलोकान्ववेक्षकान्। धर्मे च निरतान्साधूनचलानचलानिव। 24 |
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| + | सहायान्सततं कुर्याद्राजा भूतिपरिष्कृतान्। तैश्च तुल्यो भवेद्भोगैश्छत्रमात्राज्ञयाऽधिकः।। 25 |
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| + | Trustworthy Raja |
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| + | अक्रोधनो ह्यव्यसनी मृदुदण्डो जितेन्द्रियः। राजा भवति भूतानां विश्वास्यो हिमवानिव।। 29 |
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| + | Greatest Raja |
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| + | प्राज्ञो न्यायगुणोपेतः पररन्ध्रेषु लालसः। सुदर्शः सर्ववर्णानां नयापनयवित्तथा।। 30 |
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| + | क्षिप्रकारी जितक्रोधः सुप्रसादो महामनाः। अरोगप्रकृतिर्युक्तः क्रियावानविकत्थनः।। 31 |
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| + | आरब्धान्येव कार्याणि न पर्यवसितान्यपि। यस्य राज्ञः प्रदृश्यन्ते स राजा राजसत्तमः।। 32 |
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| + | What should the Raja enforce ? |
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| + | Fearlessness |
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| + | पुत्रा इव पितुर्गेहे विषये यस्य मानवाः। निर्भया विचरिष्यन्ति स राजा राजसत्तमः।। 33 |
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| + | Law and Order |
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| + | अगूढविभवा यस्य पौरा राष्ट्रनिवासिनः। नयापनयवेत्तारः स राजा राजसत्तमः।। 34 |
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| + | स्वधर्मनिरता यस्य जना विषयवासिनः। असङ्घातरता दान्ताः पाल्यमाना यथाविधि।। 35 |
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| + | वश्या यत्ता विनीताश्च न च सङ्घर्षशीलिनः। विषये दानरुचयो नरा यस्य स पार्थिवः।। 36<ref>Mahabharata, Shanti Parva, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A5%8D-12-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5-056 Adhyaya 56]</ref> |
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| == References == | | == References == |
| <references /> | | <references /> |