Difference between revisions of "तेनाली रामा जी - सुनहरा आम"
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− | विजयनगर के महाराज कृष्णदेवराय जी की माता जी का स्वस्थ ख़राब चल रहा था । एक दिन महाराज की माता जी ने महराज को बुलवाया और कहने लगी की मुझे आम बहुत ही प्रिय है। | + | विजयनगर के महाराज कृष्णदेवराय जी की माता जी का स्वस्थ ख़राब चल रहा था । एक दिन महाराज की माता जी ने महराज को बुलवाया और कहने लगी की मुझे आम बहुत ही प्रिय है। मैं ब्राह्मणों को आम दान करना चाहती हूँ। महाराज ने कहा ठीक है माँ मैं तैयारियां करवाता हूँ | तैयारी चल ही रही थी की महाराज की माता का निधन हो गया | सभी विधि विधान और परंपरा के साथ माता जी का दाह संस्कार कार्यक्रम किया गया | परन्तु महाराज को आम दान करने की बात लगातार परेशां कर रही थी | ठीक तरह से सो भी नहीं पा रहे थे | |
महाराज ने नगर के कुछ ब्राह्मणों को बुलवाया और उनके समक्ष माता जी के आखिरी इच्छा की बात बताई और उसका निवारण पूछा | सभी ब्राह्मण आपस में विचार विमर्श करने लगे | ब्राह्मणों को लगा की अब अच्छा समय है महाराज से कुछ धन कमाने का | ब्राह्मणों ने कहा महाराज इसका उपाय एक ही है आप अपनी माताजी के लिए भोज का आयोजन करे और ब्राह्मणों को सुनहरा आम दान स्वरुप भेट करे ब्राह्मणों को दान करने से आपकी माता की इच्छा पूरी हो जाएगी और आपकी माता जी की आत्मा को शांति मिलेगी | महाराज ने कहा अच्छी बात है महाराज ने भोज का आयोजन करने का आदेश दे दिया | | महाराज ने नगर के कुछ ब्राह्मणों को बुलवाया और उनके समक्ष माता जी के आखिरी इच्छा की बात बताई और उसका निवारण पूछा | सभी ब्राह्मण आपस में विचार विमर्श करने लगे | ब्राह्मणों को लगा की अब अच्छा समय है महाराज से कुछ धन कमाने का | ब्राह्मणों ने कहा महाराज इसका उपाय एक ही है आप अपनी माताजी के लिए भोज का आयोजन करे और ब्राह्मणों को सुनहरा आम दान स्वरुप भेट करे ब्राह्मणों को दान करने से आपकी माता की इच्छा पूरी हो जाएगी और आपकी माता जी की आत्मा को शांति मिलेगी | महाराज ने कहा अच्छी बात है महाराज ने भोज का आयोजन करने का आदेश दे दिया | | ||
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महाराज ने भोज का आयोजन कर ब्राह्मणों को सोने के आम दान में दिए | ब्राह्मण सोने के आम लेकर अपने घर चले गए | इस प्रसंग की सूचना तेनालिरामना को मिली वे समझ गये की ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थ की पूर्ति की है और महाराज से अंधविश्वास के नाम पर धोखा दिया गया है | तेनालीरामा ने सोचा इन ब्राह्मणों को सिखाना आवश्यक है की किसीकी भावनाओ के साथ विश्वास घात नहीं करना चाहिए | | महाराज ने भोज का आयोजन कर ब्राह्मणों को सोने के आम दान में दिए | ब्राह्मण सोने के आम लेकर अपने घर चले गए | इस प्रसंग की सूचना तेनालिरामना को मिली वे समझ गये की ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थ की पूर्ति की है और महाराज से अंधविश्वास के नाम पर धोखा दिया गया है | तेनालीरामा ने सोचा इन ब्राह्मणों को सिखाना आवश्यक है की किसीकी भावनाओ के साथ विश्वास घात नहीं करना चाहिए | | ||
− | तेनालीरामा ने उन ब्राह्मणों को अपने अपने घर आमंत्रित किया | त्नालिरमा ने कहा ब्राह्मण देवत हमारी दादी की इच्छा पूर्ति करवानी है | | + | तेनालीरामा ने उन ब्राह्मणों को अपने अपने घर आमंत्रित किया | त्नालिरमा ने कहा ब्राह्मण देवत हमारी दादी की इच्छा पूर्ति करवानी है | मैंंने सुना है की आपने महाराज की माताजी की आखिरी इच्छा जो पूर्ण ना हो सकी थी उसे आपने पूर्ण करवाया | मेरे दादी माँ की भी अंतिम इच्छा पूर्ण ना हो सकी थी कृपया उसे पूर्ण कर दीजिये | तेनालीरामा ने अपनी पत्नी से गरम लोहे की सलाखे मंगवाई |ब्राह्मण डर गए और तेनालीरामा से पुच्छे यह क्या है | तेनाली रामा ने कहा ब्राह्मण देवता यह मेरी दादी की इच्चाठी की मैं उन्हें गरम सलाखो से मारूं कृपया उनकी अंतिम इच्छा की पूर्ति करे जिस प्रकार अपने महारज के माता जी की इच्छा पूर्ति की थी | |
ब्राह्मणों को अपनी गलती का अनुभव हो जाता है और ब्राहमणों ने सोने के आम राज कोश में दे देते है | घटना की जानकारी महाराज को होती है महाराज तेनाली रामा को बुलवाते है और उन्हें समाज के अंधविश्वास को दूर करने के लिए पशंसा करते है और उपहार प्रदान करते है | ब्राह्मणों को अपनी गलती का अनुभव हो जाता है और ब्राहमणों ने सोने के आम राज कोश में दे देते है | घटना की जानकारी महाराज को होती है महाराज तेनाली रामा को बुलवाते है और उन्हें समाज के अंधविश्वास को दूर करने के लिए पशंसा करते है और उपहार प्रदान करते है | ||
[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]] | [[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]] |
Revision as of 08:41, 14 September 2020
विजयनगर के महाराज कृष्णदेवराय जी की माता जी का स्वस्थ ख़राब चल रहा था । एक दिन महाराज की माता जी ने महराज को बुलवाया और कहने लगी की मुझे आम बहुत ही प्रिय है। मैं ब्राह्मणों को आम दान करना चाहती हूँ। महाराज ने कहा ठीक है माँ मैं तैयारियां करवाता हूँ | तैयारी चल ही रही थी की महाराज की माता का निधन हो गया | सभी विधि विधान और परंपरा के साथ माता जी का दाह संस्कार कार्यक्रम किया गया | परन्तु महाराज को आम दान करने की बात लगातार परेशां कर रही थी | ठीक तरह से सो भी नहीं पा रहे थे |
महाराज ने नगर के कुछ ब्राह्मणों को बुलवाया और उनके समक्ष माता जी के आखिरी इच्छा की बात बताई और उसका निवारण पूछा | सभी ब्राह्मण आपस में विचार विमर्श करने लगे | ब्राह्मणों को लगा की अब अच्छा समय है महाराज से कुछ धन कमाने का | ब्राह्मणों ने कहा महाराज इसका उपाय एक ही है आप अपनी माताजी के लिए भोज का आयोजन करे और ब्राह्मणों को सुनहरा आम दान स्वरुप भेट करे ब्राह्मणों को दान करने से आपकी माता की इच्छा पूरी हो जाएगी और आपकी माता जी की आत्मा को शांति मिलेगी | महाराज ने कहा अच्छी बात है महाराज ने भोज का आयोजन करने का आदेश दे दिया |
महाराज ने भोज का आयोजन कर ब्राह्मणों को सोने के आम दान में दिए | ब्राह्मण सोने के आम लेकर अपने घर चले गए | इस प्रसंग की सूचना तेनालिरामना को मिली वे समझ गये की ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थ की पूर्ति की है और महाराज से अंधविश्वास के नाम पर धोखा दिया गया है | तेनालीरामा ने सोचा इन ब्राह्मणों को सिखाना आवश्यक है की किसीकी भावनाओ के साथ विश्वास घात नहीं करना चाहिए |
तेनालीरामा ने उन ब्राह्मणों को अपने अपने घर आमंत्रित किया | त्नालिरमा ने कहा ब्राह्मण देवत हमारी दादी की इच्छा पूर्ति करवानी है | मैंंने सुना है की आपने महाराज की माताजी की आखिरी इच्छा जो पूर्ण ना हो सकी थी उसे आपने पूर्ण करवाया | मेरे दादी माँ की भी अंतिम इच्छा पूर्ण ना हो सकी थी कृपया उसे पूर्ण कर दीजिये | तेनालीरामा ने अपनी पत्नी से गरम लोहे की सलाखे मंगवाई |ब्राह्मण डर गए और तेनालीरामा से पुच्छे यह क्या है | तेनाली रामा ने कहा ब्राह्मण देवता यह मेरी दादी की इच्चाठी की मैं उन्हें गरम सलाखो से मारूं कृपया उनकी अंतिम इच्छा की पूर्ति करे जिस प्रकार अपने महारज के माता जी की इच्छा पूर्ति की थी |
ब्राह्मणों को अपनी गलती का अनुभव हो जाता है और ब्राहमणों ने सोने के आम राज कोश में दे देते है | घटना की जानकारी महाराज को होती है महाराज तेनाली रामा को बुलवाते है और उन्हें समाज के अंधविश्वास को दूर करने के लिए पशंसा करते है और उपहार प्रदान करते है