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अगले दिन तेनालीरामा महल के ओर जा रहे थे तभी राजगुरु ने देखा तो घबरा गये | राजगुरु ने तेनालीरामा की चतुराई एवं बुद्धिकौशल को समझ लिया था की अगर इसकी भेट महाराज से हो गई तो मेरा सारा अस्तित्व समाप्त हो जायेगा | राजगुरु ने द्वार पर खड़े सैनिक को बुलाया और तेनालीरामा की ओर इशारा करते हुए कहा की यह जो व्यक्ति आ  रहा है वह चोर हैं इसे अन्दर प्रवेश ना दे | तेनालीरामा जब महल के द्वार पर पहुंचे तब द्वार पर खडे सैनिक ने तेनालीरामा को महल के अन्दर जाने से रो दिया| तेनाली रामा ने सैनिक से कहा मेरा नाम रामा कृष्राणा है मुझे राजगुरु ने बुलाया है | सैनिक ने गुस्जसे में कहा गुरु के आदेश का पालन करते हुए सैनिक ने तेनालीरामा को भगा दिया |
 
अगले दिन तेनालीरामा महल के ओर जा रहे थे तभी राजगुरु ने देखा तो घबरा गये | राजगुरु ने तेनालीरामा की चतुराई एवं बुद्धिकौशल को समझ लिया था की अगर इसकी भेट महाराज से हो गई तो मेरा सारा अस्तित्व समाप्त हो जायेगा | राजगुरु ने द्वार पर खड़े सैनिक को बुलाया और तेनालीरामा की ओर इशारा करते हुए कहा की यह जो व्यक्ति आ  रहा है वह चोर हैं इसे अन्दर प्रवेश ना दे | तेनालीरामा जब महल के द्वार पर पहुंचे तब द्वार पर खडे सैनिक ने तेनालीरामा को महल के अन्दर जाने से रो दिया| तेनाली रामा ने सैनिक से कहा मेरा नाम रामा कृष्राणा है मुझे राजगुरु ने बुलाया है | सैनिक ने गुस्जसे में कहा गुरु के आदेश का पालन करते हुए सैनिक ने तेनालीरामा को भगा दिया |
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तभी तेनालीरामा निराश नही हुए और कुछ दिन तक विजयनगर में भटकते रहे | एक दिन तेनालीरामा ने राजगुरु को नदी में स्नान करते हुए दिखाई दिए | तभी तेनालीरामा ने राजगुरु के वस्त्र अपने पास रख लिए | तभी राजगुरु ने तेनालीरामा से कहा की हमारे वस्त्र दे दीजिये | तेनालीरामा ने कहा मेरी एक शर्त है की आप हमे राजमहल तक अपने कंधे पर ले जायेंगे और राजगुरु तैयार हो गये |तेनालीरामा ने राजगुरु के कंधे पर वैठक राजमहल की ओर आने लगा| तभी राजा कृष्णदेव राय ने सैनिक को बुलाकर कहा सामने जो
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तभी तेनालीरामा निराश नही हुए और कुछ दिन तक विजयनगर में भटकते रहे | एक दिन तेनालीरामा ने राजगुरु को नदी में स्नान करते हुए दिखाई दिए | तभी तेनालीरामा ने राजगुरु के वस्त्र अपने पास रख लिए | तभी राजगुरु ने तेनालीरामा से कहा की हमारे वस्त्र दे दीजिये | तेनालीरामा ने कहा मेरी एक शर्त है की आप हमे राजमहल तक अपने कंधे पर ले जायेंगे और राजगुरु तैयार हो गये |तेनालीरामा ने राजगुरु के कंधे पर बैठकर राजमहल की ओर आने लगा| तभी राजा कृष्णदेव राय ने सैनिक को बुलाकर कहा सामने जो व्यक्ति राजगुरु के कंधे  पर बैठकर आ रहा हैं उसे दंडित कीजिये और राजगुरु को सम्मान सहित राजमहल में लाइए | तेनालीरामा ने महाराज को क्रोध में अपने सैनिक को बोलते हुए देकर समझ गये की महाराज मुझे  दंडित करेंगे |
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तुरंत तेनालीरामा एक योजना बनाई वो राजगुरु के कंधे से उतर कर राजगुरु से क्षमा मांगी और उनका गुणगान किया | राजगुरु प्रसन्न हो गये तभी तेनालीरामा ने राजगुरु से कहा अभी मै आप को कंधे पर बैठकर राजमहल ले जाऊंगा | तभी तेनालीरामा राजगुरु को अपने कंधे पर बैठकर राजमहल की ओर ले जा रहे थे उसी ओर से सैनिक भी आ रहा था | सैनिक ने तेनालीरामा और राजगुरु को रोका और अपने महाराज की आज्ञा का पालन करने लगा | तभी राजगुरु ने कहा आप हमे पहचानते नही हो | सैनिक क्रोधित होकर दंडित करने लगा |
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