Difference between revisions of "तेनाली रामा जी - अवलोकन द्वारा निर्णय"
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तेनालीरामा का बुद्धिकौसल देखकर सभी चाटुकार की शर्म से नजर झुक गई और महारज ने तेनालीरामा की बहुत प्रशंसा की और पारितोषिक भी दिया | | तेनालीरामा का बुद्धिकौसल देखकर सभी चाटुकार की शर्म से नजर झुक गई और महारज ने तेनालीरामा की बहुत प्रशंसा की और पारितोषिक भी दिया | | ||
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+ | [[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]] |
Revision as of 15:14, 12 September 2020
एक बार महाराज कृष्णदेवराय जी के सेनापति राजेंद्र को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई | सेनापति राजेंद्र ने महाराज सभी मंत्री गणों एवं आचर्य गुरुजनों को इस ख़ुशी के अवसर पर भोज के लिए आमंत्रित किया | सभी लोग महाराज के साथ सेनापति के निवास पर भोज के लिए पहुचें | नन्हे बालक के दर्शन के लिए सभी बालक के नजदीक गये जो की पालने में लेता हुआ था |
नन्हे बालक देखकर सभी बालक की प्रशंसा करने लगे , महाराज ने भी बालक की सुन्दरता की प्रशंसा की | तेनालीरामा ने भी बालक की प्रशंसा की , तेनाली रमा ने कहा सेनापति जी यहाँ बालक एकदम आपका स्वरुप है इसके मुख को देखकर लगता है यह आपकी तरह शूरवीर होगा | महाराज ने कहा यह कैसे कह सकते हो तेनालीरामा आपको कैसे पता है केवल मुख को देखकर आप यह कैसे कह सकते है | तेनाली रामा ने कहा महाराज किसी को देखकर हम यह अवलोकन कर सकते है | वहा पर इस विषय पर खूब चर्चा होती है |
सभी बालक को बहुत आशीर्वाद देते है औए स्वादिस्ट भोजन का आनंद लेकर चले गये | अगले दिन प्रातः में जब महाराज प्रांगण में टहल रहे थे तभी वह महाराज के चाटुकार आये जो तेनालीरामा को हमेशा निचा दिखने का प्रयास करते थे | उन्होंने महाराज से कहा महाराज तेनालीरामा की हमें परीक्षा लेनी चाहिए ऐसे कैसे कोई किसी के बाहरी आवरण को देखकर उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है | महाराज उनकी बातो से प्राभावित हो गये और तेनालीरामा की परीक्षा का निर्णय किया |
तेनालीरामा को बुलाया गया और महाराज ने तेनालीरामा से रात्रि की घटना के बारे में पुछा की की के बाहरी आवरण को देखकर आप उसके बारे में बता सकते है | तेनालीरामा ने कहा जी महाराज मै बता सकता हूँ | महाराज ने कहा आप के लिए कुछ प्रश्न है आप उनका उत्तर दीजिये अगर आप उसका उत्तर नहीं दे पाए तो आपको दण्ड मिलेगा | तेनालीरामा ने कहा ठीक है महाराज मै तैयार हूँ |
तेनालीरामा को बगीचे में एक पेड़ के नजदीक ले कर जाते है वह पेड़ की डाली पर दो मटके बंधे हुए थे | महाराज ने कहा देखिये तेनालीरामा ऊपर दो मटके बंधे हुए है इसमे एक सोने से बना हुआ ठोस मटका है दूसरा मिटटी हा जिसपर सोने का रंग चढ़ा हुआ है | अब आप बताइए इसमें कौन सा मटका मिटटी का है | तेनाली रामा ने मटके को ध्यान से देखा और कहाँ महाराज डाली से बहार निकला हुआ दूसरा मटका मिटटी का है | महाराज ने पूछा कैसे पता आपको तेनाली रामा ने कहा महाराज जो सोने से बनाना हुआ ठोस मटका है वह भरी होने के कारण स्थिर है और जो मिटटी से बना हुआ मटका है वह हल्का है इसलिए वह हिल दुल रहा हैं |
तेनालीरामा का बुद्धिकौसल देखकर सभी चाटुकार की शर्म से नजर झुक गई और महारज ने तेनालीरामा की बहुत प्रशंसा की और पारितोषिक भी दिया |