Difference between revisions of "शिकार में फंसे शेर और चूहे की कहानी"
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एक समय की बात है, एक जंगल में चूहा रहता था। चूहा जंगल में घूमकर अपने बिल की तरफ आ रहा था, तो उसने देखा कि एक गुफा में एक शेर आराम कर रहा था। शेर को आराम से सोते हुए देखकर चूहे को एक शरारत करने की सूझी। चूहा शेर की गुफा के अन्दर गया और शेर के शरीर के ऊपर चढ़ गया। वह शेर के शरीर के ऊपर उछल-कूद करने लगा और उसके बालो को खींचने लगा।चूहे की उधम मस्तियों के कारण शेर की नींद खुल गई और उसने चूहे को अपने नुकीले पंजों में दबोच लिया। चूहे ने जब अपने आप को शेर के पंजो में पाया, तो वो समझ गया कि शेर गुस्से में हैं और अब उसे शेर के गुस्से से कोई नहीं बचा सकता और आज उसकी मौत पक्की है। | एक समय की बात है, एक जंगल में चूहा रहता था। चूहा जंगल में घूमकर अपने बिल की तरफ आ रहा था, तो उसने देखा कि एक गुफा में एक शेर आराम कर रहा था। शेर को आराम से सोते हुए देखकर चूहे को एक शरारत करने की सूझी। चूहा शेर की गुफा के अन्दर गया और शेर के शरीर के ऊपर चढ़ गया। वह शेर के शरीर के ऊपर उछल-कूद करने लगा और उसके बालो को खींचने लगा।चूहे की उधम मस्तियों के कारण शेर की नींद खुल गई और उसने चूहे को अपने नुकीले पंजों में दबोच लिया। चूहे ने जब अपने आप को शेर के पंजो में पाया, तो वो समझ गया कि शेर गुस्से में हैं और अब उसे शेर के गुस्से से कोई नहीं बचा सकता और आज उसकी मौत पक्की है। | ||
− | चूहा बहुत डर गया और रोने लगा। रो रोकर शेर के सामने गिडगिडाने लगा और क्षमा मांगने लगा कि शेर जी, मुझे मत मारो, मुझसे भूल हो गई, मुझे जाने दो। अगर आप मुझे माफ़ कर देंगे, तो | + | चूहा बहुत डर गया और रोने लगा। रो रोकर शेर के सामने गिडगिडाने लगा और क्षमा मांगने लगा कि शेर जी, मुझे मत मारो, मुझसे भूल हो गई, मुझे जाने दो। अगर आप मुझे माफ़ कर देंगे, तो मैंं आपकी इस दया और अनुकंपा के रूप में, भविष्य में जब भी आप कभी मुश्किल में होंगे और आपको किसी तरह मदद की जरूरत होगी, मैंं आपकी मदद करूंगा। चूहे की बातें सुनकर शेर जोर जोर से हसने लगा। शेर ने हँसते हँसते कहा कि तुम तो खुद इतने छोटे हो, मेरी मदद क्या करोगे? चूहे की दयनीय प्रार्थना सुनकर शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को क्षमा कर छोड़ दिया। शेर के पंजे से छूटने पर चूहा बहुत खुश हुआ और शेर को धन्यवाद बोलकर वहां से चला गया। कुछ दिनों बाद शेर भोजन की तलाश में यहाँ वहां घूम रहा था, तभी अचानक शिकारी के द्वारा फैलाये जाल में शेर फंस गया। शेर ने स्वयं को जाल से निकालने भरपूर प्रयास किया परन्तु प्रयास में विफल रहा और जाल से निकल नहीं पाया। काफी समय प्रयास करने के बाद शेर थक कर चूर हो गया और सहायता के लिए दहाड़ लगानी शुरू की। |
− | उसी समय चूहा उस स्थान से गुजर रहा था कि उसने शेर की दहाड़ने की आवाज सुनी। चूहा दौड़कर शेर के पास गया और शेर को जाल में फंसा देखकर चूहा चौंक गया। उसने बिना देर किये हुए अपने धारदार दांतों से जाल को कुतरना शुरू कर दिया और देखते ही देखते कुछ ही क्षणों में उसने पूरे जाल को काटकर शेर को मुक्त कर दिया। चूहे की इस सहायता से शेर की आंखें नम हो गई और आंसू भरी आंखों से शेर ने चूहे का धन्यवाद किया और कहा आज के बाद | + | उसी समय चूहा उस स्थान से गुजर रहा था कि उसने शेर की दहाड़ने की आवाज सुनी। चूहा दौड़कर शेर के पास गया और शेर को जाल में फंसा देखकर चूहा चौंक गया। उसने बिना देर किये हुए अपने धारदार दांतों से जाल को कुतरना शुरू कर दिया और देखते ही देखते कुछ ही क्षणों में उसने पूरे जाल को काटकर शेर को मुक्त कर दिया। चूहे की इस सहायता से शेर की आंखें नम हो गई और आंसू भरी आंखों से शेर ने चूहे का धन्यवाद किया और कहा आज के बाद मैं किसी भी छोटे जानवरों को कमजोर नहीं समझूंगा। फिर शेर और चूहा अच्छे दोस्त बन गए और वहां से चले गए | |
== कहानी से सीख == | == कहानी से सीख == | ||
''' '''हमें केवल शारीरिक बनावट के आधार पर किसी इंसान को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। साथ ही हमें दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, क्योंकि जब हम दूसरों की मदद करेंगे, तभी कोई हमारी मदद के लिए आगे आएगा। | ''' '''हमें केवल शारीरिक बनावट के आधार पर किसी इंसान को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। साथ ही हमें दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, क्योंकि जब हम दूसरों की मदद करेंगे, तभी कोई हमारी मदद के लिए आगे आएगा। | ||
[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]] | [[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]] |
Revision as of 08:41, 14 September 2020
एक समय की बात है, एक जंगल में चूहा रहता था। चूहा जंगल में घूमकर अपने बिल की तरफ आ रहा था, तो उसने देखा कि एक गुफा में एक शेर आराम कर रहा था। शेर को आराम से सोते हुए देखकर चूहे को एक शरारत करने की सूझी। चूहा शेर की गुफा के अन्दर गया और शेर के शरीर के ऊपर चढ़ गया। वह शेर के शरीर के ऊपर उछल-कूद करने लगा और उसके बालो को खींचने लगा।चूहे की उधम मस्तियों के कारण शेर की नींद खुल गई और उसने चूहे को अपने नुकीले पंजों में दबोच लिया। चूहे ने जब अपने आप को शेर के पंजो में पाया, तो वो समझ गया कि शेर गुस्से में हैं और अब उसे शेर के गुस्से से कोई नहीं बचा सकता और आज उसकी मौत पक्की है।
चूहा बहुत डर गया और रोने लगा। रो रोकर शेर के सामने गिडगिडाने लगा और क्षमा मांगने लगा कि शेर जी, मुझे मत मारो, मुझसे भूल हो गई, मुझे जाने दो। अगर आप मुझे माफ़ कर देंगे, तो मैंं आपकी इस दया और अनुकंपा के रूप में, भविष्य में जब भी आप कभी मुश्किल में होंगे और आपको किसी तरह मदद की जरूरत होगी, मैंं आपकी मदद करूंगा। चूहे की बातें सुनकर शेर जोर जोर से हसने लगा। शेर ने हँसते हँसते कहा कि तुम तो खुद इतने छोटे हो, मेरी मदद क्या करोगे? चूहे की दयनीय प्रार्थना सुनकर शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को क्षमा कर छोड़ दिया। शेर के पंजे से छूटने पर चूहा बहुत खुश हुआ और शेर को धन्यवाद बोलकर वहां से चला गया। कुछ दिनों बाद शेर भोजन की तलाश में यहाँ वहां घूम रहा था, तभी अचानक शिकारी के द्वारा फैलाये जाल में शेर फंस गया। शेर ने स्वयं को जाल से निकालने भरपूर प्रयास किया परन्तु प्रयास में विफल रहा और जाल से निकल नहीं पाया। काफी समय प्रयास करने के बाद शेर थक कर चूर हो गया और सहायता के लिए दहाड़ लगानी शुरू की।
उसी समय चूहा उस स्थान से गुजर रहा था कि उसने शेर की दहाड़ने की आवाज सुनी। चूहा दौड़कर शेर के पास गया और शेर को जाल में फंसा देखकर चूहा चौंक गया। उसने बिना देर किये हुए अपने धारदार दांतों से जाल को कुतरना शुरू कर दिया और देखते ही देखते कुछ ही क्षणों में उसने पूरे जाल को काटकर शेर को मुक्त कर दिया। चूहे की इस सहायता से शेर की आंखें नम हो गई और आंसू भरी आंखों से शेर ने चूहे का धन्यवाद किया और कहा आज के बाद मैं किसी भी छोटे जानवरों को कमजोर नहीं समझूंगा। फिर शेर और चूहा अच्छे दोस्त बन गए और वहां से चले गए |
कहानी से सीख
हमें केवल शारीरिक बनावट के आधार पर किसी इंसान को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। साथ ही हमें दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, क्योंकि जब हम दूसरों की मदद करेंगे, तभी कोई हमारी मदद के लिए आगे आएगा।