Difference between revisions of "Template:Hindi Articles"

From Dharmawiki
Jump to navigation Jump to search
(भारतीय -> धार्मिक)
m (भारतीय to धार्मिक)
Line 9: Line 9:
 
* [[Differences between Dharma and Religion (धर्म एवं पंथ (सम्प्रदाय) में अंतर)|Differences between Dharma and Religion (धर्म एवं पंथ (सम्प्रदाय) में अंतर)]]
 
* [[Differences between Dharma and Religion (धर्म एवं पंथ (सम्प्रदाय) में अंतर)|Differences between Dharma and Religion (धर्म एवं पंथ (सम्प्रदाय) में अंतर)]]
 
* [[Dharma: Dharmik Jeevan Drishti (धर्म:धार्मिक जीवन दृष्टि)|Dharma: Dharmik Jeevan Drishti (धर्म:धार्मिक जीवन दृष्टि)]]
 
* [[Dharma: Dharmik Jeevan Drishti (धर्म:धार्मिक जीवन दृष्टि)|Dharma: Dharmik Jeevan Drishti (धर्म:धार्मिक जीवन दृष्टि)]]
* [[Elements of Hindu Jeevan Drishti and Life Style (भारतीय/हिन्दू जीवनदृष्टि और जीवन शैली के सूत्र)|Elements of Hindu Jeevan Drishti and Life Style (भारतीय/हिन्दू जीवनदृष्टि और जीवन शैली के सूत्र)]]
+
* [[Elements of Hindu Jeevan Drishti and Life Style (धार्मिक/हिन्दू जीवनदृष्टि और जीवन शैली के सूत्र)|Elements of Hindu Jeevan Drishti and Life Style (धार्मिक/हिन्दू जीवनदृष्टि और जीवन शैली के सूत्र)]]

Revision as of 15:36, 18 June 2020

Hindu and Bharatiya (हिन्दू एवं भारतीय)

हिंदुत्व से अभिप्राय है हिन्दुस्तान देश के रहनेवाले लोगों के विचार, व्यवहार और व्यवस्थाएं | सामान्यत: आदिकाल से इन तीनों बातों का समावेश हिंदुत्व में होता है| वर्तमान में इन तीनों की स्थिति वह नहीं रही जो ३००० वर्ष पूर्व थी | वर्तमान के बहुसंख्य भारतीय इतिहासकार यह समझते हैं कि हिन्दू भी हिन्दुस्तान के मूल निवासी नहीं हैं | उनके अनुसार यहाँ के मूल निवासी तो भील, गौंड, नाग आदि जाति के लोग हैं | वे कहते हैं कि आर्यों के आने से पहले इस देश का नाम क्या था पता नहीं | जब विदेशियों ने यहाँ बसे हुए आर्यों पर आक्रमण शुरू किये तब उन्होंने इस देश को हिन्दुस्तान नाम दिया |

आज भारत में जो लोग बसते हैं वे एक जाति के नहीं हैं | वे यह भी कहते हैं कि उत्तर में आर्य और दक्षिण में द्रविड़ जातियां रहतीं हैं | हमारा इतिहास अंग्रेजों से बहुत पुराना है | फिर भी हमारे तथाकथित विद्वान हमारे इतिहास के अज्ञान के कारण इस का खंडन और हिन्दू ही इस देश के आदि काल से निवासी रहे हैं इस बात का मंडन नहीं कर पाते हैं| यह विपरीत शिक्षा के कारण निर्माण हुए हीनता बोध, अज्ञान और अन्धानुकरण की प्रवृत्ति के कारण ही है | ...View More

Related Links