Difference between revisions of "जगद्विख्यात-दार्शनिको राधाकृष्णः - महापुरुषकीर्तन श्रंखला"
m |
m (Text replacement - "भारतीय" to "धार्मिक") |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{{One source|date=May 2020 }} | {{One source|date=May 2020 }} | ||
− | जगद्विख्यात-दार्शनिको राधाकृष्णः<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> (5 दिसम्बर 1888-17 अप्रैल 1975 ई०)<blockquote>यो वाग्मिप्रवरोऽखिलेऽपिभुवने विख्यातकीर्तिः सुधीः, तत्त्वज्ञानिशिरोमणिर्बुधजनैराष्ट्रौपपत्ये वृतः।</blockquote><blockquote>प्राचीनां सरणीं सुसंस्कृतगिरं यः श्लाघतेऽहर्निशम्, राधाकृष्णमहोदयो विजयते देशावतंसो महान् ।।</blockquote>जो उत्तम वक्ताओं में श्रेष्ठ, सारे संसार में प्रसिद्ध यशस्वी, बुद्धिमान्, तत्त्व-ज्ञानियों के सिस्मौर, बुद्धिमानों द्वारा भारत राष्ट्र के उपपति के रूप में चुने गये, जो प्राचीन | + | जगद्विख्यात-दार्शनिको राधाकृष्णः<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> (5 दिसम्बर 1888-17 अप्रैल 1975 ई०)<blockquote>यो वाग्मिप्रवरोऽखिलेऽपिभुवने विख्यातकीर्तिः सुधीः, तत्त्वज्ञानिशिरोमणिर्बुधजनैराष्ट्रौपपत्ये वृतः।</blockquote><blockquote>प्राचीनां सरणीं सुसंस्कृतगिरं यः श्लाघतेऽहर्निशम्, राधाकृष्णमहोदयो विजयते देशावतंसो महान् ।।</blockquote>जो उत्तम वक्ताओं में श्रेष्ठ, सारे संसार में प्रसिद्ध यशस्वी, बुद्धिमान्, तत्त्व-ज्ञानियों के सिस्मौर, बुद्धिमानों द्वारा भारत राष्ट्र के उपपति के रूप में चुने गये, जो प्राचीन धार्मिक संस्कृति और सस्कृत भाषा की दिनरात प्रशंसा करते हैं, उन देश के महान् भूषण डॉ. राधाकृष्ण जी की सदा विजय हो।<blockquote>प्रीतिर्यस्य हि भारतस्य सततं, प्राचीन सत्संस्कृतौ, सन्देशं वितरन् सुशान्तिजनक', चास्ते य आध्यात्मिकम्।</blockquote><blockquote>योऽसौ दार्शनिकाग्रणीः सुविदितो मूर्धन्यभूतः सतां, राधाकृष्णमहोदयो विजयते देशावतंसो महान् ।।</blockquote>जिनका भारत की प्राचीन उत्तम संस्कृति से निरन्तर प्रेम है, जो उत्तम शान्ति के उत्पादक आध्यात्मिक सन्देश को सदा देते रहते हैं, जो दार्शनिकों में श्रेष्ठ, सज्जनों में सुप्रसिद्ध शिरोमणि हैं, ऐसे देश के महान् भूषण डॉ. राधाकृष्ण जी की सदा विजय हो। |
==References== | ==References== |
Latest revision as of 14:34, 18 June 2020
This article relies largely or entirely upon a single source.May 2020) ( |
जगद्विख्यात-दार्शनिको राधाकृष्णः[1] (5 दिसम्बर 1888-17 अप्रैल 1975 ई०)
यो वाग्मिप्रवरोऽखिलेऽपिभुवने विख्यातकीर्तिः सुधीः, तत्त्वज्ञानिशिरोमणिर्बुधजनैराष्ट्रौपपत्ये वृतः।
प्राचीनां सरणीं सुसंस्कृतगिरं यः श्लाघतेऽहर्निशम्, राधाकृष्णमहोदयो विजयते देशावतंसो महान् ।।
जो उत्तम वक्ताओं में श्रेष्ठ, सारे संसार में प्रसिद्ध यशस्वी, बुद्धिमान्, तत्त्व-ज्ञानियों के सिस्मौर, बुद्धिमानों द्वारा भारत राष्ट्र के उपपति के रूप में चुने गये, जो प्राचीन धार्मिक संस्कृति और सस्कृत भाषा की दिनरात प्रशंसा करते हैं, उन देश के महान् भूषण डॉ. राधाकृष्ण जी की सदा विजय हो।
प्रीतिर्यस्य हि भारतस्य सततं, प्राचीन सत्संस्कृतौ, सन्देशं वितरन् सुशान्तिजनक', चास्ते य आध्यात्मिकम्।
योऽसौ दार्शनिकाग्रणीः सुविदितो मूर्धन्यभूतः सतां, राधाकृष्णमहोदयो विजयते देशावतंसो महान् ।।
जिनका भारत की प्राचीन उत्तम संस्कृति से निरन्तर प्रेम है, जो उत्तम शान्ति के उत्पादक आध्यात्मिक सन्देश को सदा देते रहते हैं, जो दार्शनिकों में श्रेष्ठ, सज्जनों में सुप्रसिद्ध शिरोमणि हैं, ऐसे देश के महान् भूषण डॉ. राधाकृष्ण जी की सदा विजय हो।
References
- ↑ महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078