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सामाजिक प्रगति सूचकांक नागरिकों की सामाजिक और पर्यावरणीय जरूरतों को कौन-से देश प्रदान करते है, इसकी सीमा को मापता है। मानव की बुनियादी जरूरतों, अच्छी जींदगी जीने के स्त्रोत, और प्रगति के अवसरों को अन्य देशों के सापेक्ष में दर्शाया जाता हैं। सूचकांक गैर - लाभकारी सामाजिक प्रगति अधिष्ठापन द्वारा प्रकाशित किया गया है, और यह अमर्त्य सेन , डगलस नॉर्थ और जोसेफ स्टिग्लिटूज़ के लेखन पर आधारित है। एसपीआई समाज को अच्छी तरह से जीने के लिए आर्थिक कारकों के बजाय सामाजिक और पर्यावरणीय परिणामों को देखकर मापता है। सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों में स्वास्थ्य (स्वास्थ्य, आश्रय और स्वच्छता सहित), समानता, समावेश, स्थिरता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सुरक्षा शामिल है। सूचकांक सामाजिक प्रगति को अपने नागरिकों की बुनियादी मानव आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समाज की क्षमता के रूप में परिभाषित करता है , जो नागरिकों और समुदायों को अपने जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने और बनाए रखने के अवसर देती है और सभी व्यक्तियों को उनकी पूर्ण क्षमता तक पहुंचने की स्थिती बनाये रखती हों।
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प्रत्येक आयाम में चार घटक होते हैं, जो प्रत्येक तीन और पांच विशिष्ट परिणाम संकेतकों से बने होते हैं। शामिल संकेतकों का चयन इसलिए किया गया है कि वे एक ही संगठन द्वारा, एक सुसंगत पद्धति के साथ सभी देशों में उचित रूप से मापा गया है। साथ में, इस रूपरेखा का उद्देश्य सामाजिक प्रगति को कम करने वाले अंतरराष्ट्रीय कारकों को काबू में करना है।
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<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
 
<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे

Revision as of 17:38, 6 January 2020

अध्याय ६

सामाजिक प्रगति सूचकांक द्वारा देशों की सूची

सामाजिक प्रगति सूचकांक नागरिकों की सामाजिक और पर्यावरणीय जरूरतों को कौन-से देश प्रदान करते है, इसकी सीमा को मापता है। मानव की बुनियादी जरूरतों, अच्छी जींदगी जीने के स्त्रोत, और प्रगति के अवसरों को अन्य देशों के सापेक्ष में दर्शाया जाता हैं। सूचकांक गैर - लाभकारी सामाजिक प्रगति अधिष्ठापन द्वारा प्रकाशित किया गया है, और यह अमर्त्य सेन , डगलस नॉर्थ और जोसेफ स्टिग्लिटूज़ के लेखन पर आधारित है। एसपीआई समाज को अच्छी तरह से जीने के लिए आर्थिक कारकों के बजाय सामाजिक और पर्यावरणीय परिणामों को देखकर मापता है। सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों में स्वास्थ्य (स्वास्थ्य, आश्रय और स्वच्छता सहित), समानता, समावेश, स्थिरता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सुरक्षा शामिल है। सूचकांक सामाजिक प्रगति को अपने नागरिकों की बुनियादी मानव आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समाज की क्षमता के रूप में परिभाषित करता है , जो नागरिकों और समुदायों को अपने जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने और बनाए रखने के अवसर देती है और सभी व्यक्तियों को उनकी पूर्ण क्षमता तक पहुंचने की स्थिती बनाये रखती हों।

परिचय और कार्यप्रणाली

सूचकांक तीन आयामों को जोड़ता है

१, मानव की बुनियादी आवश्यकताएं

२. अच्छी जींदगी जीने के स्तोत्र

३. अवसर

प्रत्येक आयाम में चार घटक होते हैं, जो प्रत्येक तीन और पांच विशिष्ट परिणाम संकेतकों से बने होते हैं। शामिल संकेतकों का चयन इसलिए किया गया है कि वे एक ही संगठन द्वारा, एक सुसंगत पद्धति के साथ सभी देशों में उचित रूप से मापा गया है। साथ में, इस रूपरेखा का उद्देश्य सामाजिक प्रगति को कम करने वाले अंतरराष्ट्रीय कारकों को काबू में करना है।

सामाजिक प्रगति सूचकांक की दो प्रमुख विशेषताएं हैं:

१, आर्थिक स्तर का बहिष्कार

२. आदानों के बजाय परिणाम उपायों का उपयोग

इतिहास

निजी फाउंडेशन द्वारा और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और स्कॉट स्टर्न के प्रोफेसर माइकल पोर्टर के तकनीकी मार्गदर्शन के तहत, समूह ने सामाजिक प्रगति इम्पेरेटिव का गठन किया और २०१३ में ५० देशों के लिए सामाजिक प्रगति सूचक का बीटा संस्करण शुरू किया। दुनिया भर में हितधारकों के साथ व्यापक चर्चाओं के आधार पर सूचकांक विकसित किया गया था।यह काम सामाजिक विकास पर आमर्त्य सेन के योगदान से प्रभावित था।

११ जुलाई २०१३ को, सामाजिक प्रगति इम्पेरेटिव के चेयरमैन और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर माइकल पोर्टर ने विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र की धट्ठी मंत्रीय मंच को संबोधित किया और सामाजिक प्रगति सूचकांक पर चर्चा की।

सामाजिक प्रगति सूचकांक २०१७

कई देशों में अक्सर ऐसे लोग होते हैं जो अशांति का अनुभव करते हैं । जहां विश्वसनीय डेटा अनुपलब्ध है, उन्हें रेट नहीं किया गया था। इसमें क्यूबा, डीआर कांगो, इराक, लीबिया, उत्तर कोरिया, सोमालिया, सीरिया, वेनेजुएला और अन्य शामिल है।

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References

भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे