Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 363: Line 363:  
==== अभिमत : ====
 
==== अभिमत : ====
 
अन्य प्रश्नावलियों से प्राप्त उत्तरों की तुलना में इस विद्यालय से प्राप्त उत्तर सही एवं भारतीय दृष्टि की पहचान बताने वाले थे । इसका कारण यह था कि इस विद्यालय में समग्र विकास अभ्यासक्रमानुसार शिक्षण होता है । जब शिक्षा से सही दृष्टि मिलती है तो व्यवहार भी तद्नुसार सही ही होता है। दसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि इस प्रश्नावली में अभिभावकों की सहभागिता अधिक रही। उनमें से कुछ अभिभावक कम पढे लिखे भी थे. फिर भी अनेक उत्तर एकदम सटीक थे । यह आश्चर्य की बात थी । अल्पशिक्षित व्यक्ति भी अच्छा व्यवहार कर सकता है बात को उन्होंने सत्यसिद्ध किया।
 
अन्य प्रश्नावलियों से प्राप्त उत्तरों की तुलना में इस विद्यालय से प्राप्त उत्तर सही एवं भारतीय दृष्टि की पहचान बताने वाले थे । इसका कारण यह था कि इस विद्यालय में समग्र विकास अभ्यासक्रमानुसार शिक्षण होता है । जब शिक्षा से सही दृष्टि मिलती है तो व्यवहार भी तद्नुसार सही ही होता है। दसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि इस प्रश्नावली में अभिभावकों की सहभागिता अधिक रही। उनमें से कुछ अभिभावक कम पढे लिखे भी थे. फिर भी अनेक उत्तर एकदम सटीक थे । यह आश्चर्य की बात थी । अल्पशिक्षित व्यक्ति भी अच्छा व्यवहार कर सकता है बात को उन्होंने सत्यसिद्ध किया।
 +
 +
आज हर कोई कार्यालय में, व्याख्यान में, सिनेमामें जाते समय पानी की बोटल साथ लेकर जाता है । परन्तु यहाँ सब लोगों ने मटके के पानी का उपयोग ही सबके लिए श्रेष्ठ बताया है । प्लास्टिक बोतल में रखा पानी प्रदूषित हो जाता है । ऐसा उनका मत था।
 +
 +
जैसे घर में पानी की व्यवस्था करना घर के लोगों का दायित्व होता है, वैसे ही विद्यालय में पानी की व्यवस्था करना विद्यालय का दायित्व होता है इस सीधी सादी बात को हम भूल रहे हैं । विद्यालय में पानी भरना, उसकी स्वच्छता रखना यह हमारा काम है, आज के चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को इसका भान ही नहीं है। उधर अभिभावक भी वॉटर बोतल देकर, अपने बालक की सुरक्षा का ध्यान हमें ही रखना है ऐसा मानता है और उसमें धन्यता अनुभव करता है । प्लास्टिक बोतल का उपयोग हानिकर है इसे वे भूल जाते हैं । जल से जुड़े संस्कार जो उसे विद्यालय से मिलने चाहिए उनसे वह वंचित रह जाता है। जैसे कि समूह में कैसा व्यवहार करना, अपने से अधिक प्यासे मित्र को पहले पानी पीने देना, व्यर्थ बहने वाले पानी का कैसे उपयोग करना आदि ।
 +
 +
==== पानी का आर्थिक पक्ष ====
 +
पानी के आर्थिक पक्ष को देखें तो ईश्वर ने हमारे लिए विपुल मात्रा में जल की व्यवस्था की है। जल पर सबका समान अधिकार है । किसी ने भी पानी माँगा तो उसे सेवाभाव से पानी पिलाना यह भारतीय दृष्टि है । परन्तु पाश्चात्य विचारों के प्रभाव में आकर हमने पानी को भी बिकाऊ बना दिया । बड़ी-बड़ी व्यावसायिक कम्पनियों के मनमोहक विज्ञापनों के सहारे धडल्ले से पानी बिक रहा है । परिणाम स्वरूप सेवाभाव से चलने वाले जलमंदिर बन्द हो रहे हैं।
 +
 +
तरह तरह के वाटर बेग्ज, उनके आकर्षक रंग व आकार पर मोहित हो अभिभावक अपने पुत्र के नाम पर कितना पैसा व्यर्थ में लुटा देते हैं । आर ओ प्लान्ट के बिना जल शुद्ध हो ही नहीं सकता इस विचार के कारण कितना अनावश्यक धन खर्च होता है इसका अभिभावकों को भान ही नहीं है । मेरा खरीदा हुआ पानी, इसलिए उस पर केवल मेरा अधिकार, मैं जैसा चाहूँगा, वैसा उसका उपयोग करूँगा
    
............. page-188 .............
 
............. page-188 .............
1,815

edits

Navigation menu