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| | * बस्ते का बोझ तो कम करना ही चाहिये, साथ में व्यवस्थितता भी आनी चाहिये । इसके अलावा अन्य छोटी बातें भी विचारणीय हैं। | | * बस्ते का बोझ तो कम करना ही चाहिये, साथ में व्यवस्थितता भी आनी चाहिये । इसके अलावा अन्य छोटी बातें भी विचारणीय हैं। |
| | * आजकल बस्ता बहुत महँगा और सिन्थेटिक होता है। दोनों बातें हानिकारक हैं। इसका उपाय करना चाहिये । बस्ते के कद और आकार का विचार कर, उसे कितना भार उठाना है उसका विचार कर, उसकी डिजाइन कैसी होगी इसका विचार कर, योग्य कपड़े का चयन कर विद्यालय ने ही एक नमूना तैयार करना चाहिये । उसकी विशेषताओं को देखकर, समझकर, अपनी मौलिकता का विनियोग कर अभिभावक स्वयं बस्ता बनवा सकते हैं अथवा विद्यालय सबके लिये बस्ते की व्यवस्था कर सकते हैं । बस्तों की सिलाई के लिये दर्जी को बुलाया जा सकता है । यह भी एक बहुत अच्छा और उपयोगी कार्य ही होगा । | | * आजकल बस्ता बहुत महँगा और सिन्थेटिक होता है। दोनों बातें हानिकारक हैं। इसका उपाय करना चाहिये । बस्ते के कद और आकार का विचार कर, उसे कितना भार उठाना है उसका विचार कर, उसकी डिजाइन कैसी होगी इसका विचार कर, योग्य कपड़े का चयन कर विद्यालय ने ही एक नमूना तैयार करना चाहिये । उसकी विशेषताओं को देखकर, समझकर, अपनी मौलिकता का विनियोग कर अभिभावक स्वयं बस्ता बनवा सकते हैं अथवा विद्यालय सबके लिये बस्ते की व्यवस्था कर सकते हैं । बस्तों की सिलाई के लिये दर्जी को बुलाया जा सकता है । यह भी एक बहुत अच्छा और उपयोगी कार्य ही होगा । |
| − | अभिभावकों को भी ऐसा आग्रह रखना चाहिये । धीरे
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| − | धीरे विद्यार्थियों का यह स्वभाव बना जाना चाहिये ।
| + | * पानी की बोतल एक अनावश्यक बोझ है । इसकी चर्चा पहले की गई है । |
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| − | यह स्वभाव फिर अन्य बातों में भी परिलक्षित होता
| + | * अपना बस्ता स्वयं उठाने की शिक्षा भी दी जानी चाहिये । इसका सम्बन्ध बोझ के साथ नहीं, मानसिकता के साथ है । आगे चलकर स्वावलम्बन विकसित होता है । |
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| − | है, जीवन में व्यवस्थितता आती है ।
| + | * कुल मिलाकर साधन सामग्री कम करने की आवश्यकता लगनी चाहिये । |
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| − | aed का बोझ तो कम करना ही चाहिये, साथ में
| + | * बस्ता किस प्रकार कम किया जा सके, इसकी चर्चा में विद्यार्थियों को सहभागी बनाना चाहिये । इससे उनकी विचारशक्ति और कल्पनाशक्ति को चालना मिलती है । |
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| − | व्यवस्थितता भी आनी चाहिये । इसके अलावा अन्य
| + | * लेखन पुस्तिकाओं की संख्या कम करने हेतु पत्थर की पाटी का उपयोग बढ़ाना चाहिये । पाटी घर और विद्यालय दोनों स्थानों पर रह सकती है । खड़िया से भूमि पर लिखना और फिर साफ कर देना भी अच्छा ही है । लेखन पुस्तिकाओं के स्थान पर खुले कागज और धारिका लाने का विकल्प भी अच्छा है । |
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| − | छोटी बातें भी विचारणीय हैं ।
| + | * कुल मिलाकर बस्ते के निमित्त से अन्य बातों की शिक्षा का ही विशेष महत्व है, यह बात ध्यान में आती है । |
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| − | आजकल बस्ता बहुत महँगा और सिन्थेटिक होता
| + | * ऐसी तो अनेक बातें हैं जिनमें विचारहीनता के कारण कष्ट और खर्च अनावश्यक रूप से बढ़ जाते हैं । शिक्षा से वास्तव में व्यावहारिक बुद्धि का विकास होना चाहिये परन्तु आज की शिक्षा में व्यावहारिकता का विचार किया ही नहीं जाता है । |
| | + | जीवन के साथ शिक्षा का कोई सम्बन्ध नहीं होने के कारण ऐसा होता है । |
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| − | है । दोनों बातें हानिकारक हैं । इसका उपाय करना
| + | यह स्थिति इस बात की ओर संकेत करती है कि शिक्षा को केवल अंकों के खेल से मुक्त कर अधिक अर्थपूर्ण बनाना चाहिये । |
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| − | चाहिये | aed के कद और आकार का विचार कर,
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| − | उसे कितना भार उठाना है उसका विचार कर, उसकी
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| − | डिजाइन कैसी होगी इसका विचार कर, योग्य कपड़े
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| − | का चयन कर विद्यालय ने ही एक नमूना तैयार करना
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| − | चाहिये । उसकी विशेषताओं को देखकर, समझकर,
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| − | अपनी मौलिकता का विनियोग कर अभिभावक स्वयं
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| − | बस्ता बनवा सकते हैं अथवा विद्यालय सबके लिये
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| − | aed की व्यवस्था कर सकते हैं । बस्तों की सिलाई
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| − | के लिये दर्जी को बुलाया जा सकता है । यह भी एक
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| − | बहुत अच्छा और उपयोगी कार्य ही होगा ।
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| − | g.
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| − | रे.
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| − | रे,
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| − | रे.
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| − | ०"... wut की... बोतल एक
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| − | अनावश्यक बोझ है । इसकी चर्चा पहले की गई है ।
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| − | अपना बस्ता स्वयं उठाने की शिक्षा भी दी जानी
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| − | चाहिये । इसका सम्बन्ध बोझ के साथ नहीं,
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| − | मानसिकता के साथ है । आगे चलकर स्वावलम्बन
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| − | विकसित होता है ।
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| − | कुल मिलाकर साधन सामग्री कम करने की
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| − | आवश्यकता लगनी चाहिये ।
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| − | बस्ता किस प्रकार कम किया जा सके, इसकी चर्चा में
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| − | विद्यार्थियों को सहभागी बनाना चाहिये । इससे उनकी
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| − | विचारशक्ति और कल्पनाशक्ति को चालना मिलती है ।
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| − | लेखन पुस्तिकाओं की संख्या कम करने हेतु पत्थर
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| − | की पाटी का उपयोग बढ़ाना चाहिये । पाटी घर और
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| − | विद्यालय दोनों स्थानों पर रह सकती है । खड़िया से
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| − | भूमि पर लिखना और फिर साफ कर देना भी अच्छा
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| − | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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| − | ही है । लेखन पुस्तिकाओं के स्थान पर खुले कागज
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| − | और धारिका लाने का विकल्प भी अच्छा है ।
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| − | ०. कुल मिलाकर बस्ते के निमित्त से अन्य बातों की
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| − | शिक्षा का ही विशेष महत्व है, यह बात ध्यान में
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| − | आती है ।
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| − | ०"... ऐसी तो अनेक बातें हैं जिनमें विचारहीनता के कारण
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| − | कष्ट और खर्च अनावश्यक रूप से बढ़ जाते हैं ।
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| − | शिक्षा से वास्तव में व्यावहारिक बुद्धि का विकास
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| − | होना चाहिये परन्तु आज की शिक्षा में व्यावहारिकता
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| − | का विचार किया ही नहीं जाता है ।
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| − | जीवन के साथ शिक्षा का कोई सम्बन्ध नहीं होने के
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| − | कारण ऐसा होता है ।
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| − | यह स्थिति इस बात की ओर संकेत करती है कि | |
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| − | शिक्षा को केवल अंकों के खेल से मुक्त कर अधिक | |
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| − | अर्थपूर्ण बनाना चाहिये । | |
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| − | (अ) विद्यालय में छात्रों द्वारा प्रयुक्त साधनसामग्री
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| | + | === (अ) विद्यालय में छात्रों द्वारा प्रयुक्त साधनसामग्री === |
| | छात्रों के लिये कौन कौन सी साधनसामग्री होती | | छात्रों के लिये कौन कौन सी साधनसामग्री होती |
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