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| | === रामायण में नौका॥ Nauka in Ramayana=== | | === रामायण में नौका॥ Nauka in Ramayana=== |
| | + | [[File:रामायण - निषादराज द्वारा नौका चालन .jpg|thumb|रामायण - निषादराज द्वारा नौका चालन]] |
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| | वाल्मीकि रामायण में नौका (नाव) का अनेक स्थानों पर उल्लेख मिलता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन भारत में जलयात्रा और नौका संचालन की परंपरा विद्यमान थी। भरत जी जब श्रीराम को वन से लौटाने के उद्देश्य से अयोध्या से निकलते हैं, तो वे अपने विशाल सैन्य दल के साथ गंगा के तट पर पहुंचते हैं। वहां वे निषादराज गुह से नौका की व्यवस्था करने को कहते हैं। गुह तत्काल अपने लोगों को जागृत कर पांच सौ नौकाएं मंगवाते हैं, जिनमें से कुछ नौकाएं विशेष रूप से सजाई गई थीं। इस वर्णन से यह स्पष्ट होता है कि तत्कालीन समाज में जल परिवहन अत्यंत विकसित था, जो कि प्राचीन भारत में नौका-परिवहन की समृद्धि को दर्शाता है -<blockquote>इति संवदतोरेवमन्योन्यं नरसिंहयो:। आगम्य प्राञ्जलि: काले गुहो भरतमब्रवीत्॥ | | वाल्मीकि रामायण में नौका (नाव) का अनेक स्थानों पर उल्लेख मिलता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन भारत में जलयात्रा और नौका संचालन की परंपरा विद्यमान थी। भरत जी जब श्रीराम को वन से लौटाने के उद्देश्य से अयोध्या से निकलते हैं, तो वे अपने विशाल सैन्य दल के साथ गंगा के तट पर पहुंचते हैं। वहां वे निषादराज गुह से नौका की व्यवस्था करने को कहते हैं। गुह तत्काल अपने लोगों को जागृत कर पांच सौ नौकाएं मंगवाते हैं, जिनमें से कुछ नौकाएं विशेष रूप से सजाई गई थीं। इस वर्णन से यह स्पष्ट होता है कि तत्कालीन समाज में जल परिवहन अत्यंत विकसित था, जो कि प्राचीन भारत में नौका-परिवहन की समृद्धि को दर्शाता है -<blockquote>इति संवदतोरेवमन्योन्यं नरसिंहयो:। आगम्य प्राञ्जलि: काले गुहो भरतमब्रवीत्॥ |
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| | ===महाभारत में नौका॥ Nauka in Mahabharata=== | | ===महाभारत में नौका॥ Nauka in Mahabharata=== |
| | + | [[File:सत्यवती एवं पराशर ऋषि .jpg|thumb|महाभारत - सत्यवती नौका चालन एवं पराशर ऋषि]] |
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| − | महाभारत (आदिपर्व 150.4-5) में भी नौका का उल्लेख निम्नलिखित श्लोक में हुआ है - <blockquote>ततः प्रवासितो विद्वान्विदुरेण नरस्तदा। पार्थानां दर्शयामास मनोमारुतगामिनीम्॥ | + | महाभारत (आदिपर्व 150.4-5) में भी नौका का उल्लेख निम्नलिखित श्लोक में हुआ है - <blockquote>ततः प्रवासितो विद्वान्विदुरेण नरस्तदा। पार्थानां दर्शयामास मनोमारुतगामिनीम्॥ |
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| | सर्ववातसहां नावं यन्त्रयुक्तां पताकिनीम्। शिवे भागीरथीतीरे नरैर्विस्रम्भिभिः कृताम्॥ (महाभारत)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A5%8D-01-%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5-161 महाभारत], आदिपर्व, अध्याय- १६१, श्लोक- ५-६।</ref> </blockquote>विदुर द्वारा भेजा गया वह व्यक्ति पांडवों को तेज गति से चलने वाली नौका दिखाता है। यह नौका - | | सर्ववातसहां नावं यन्त्रयुक्तां पताकिनीम्। शिवे भागीरथीतीरे नरैर्विस्रम्भिभिः कृताम्॥ (महाभारत)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A5%8D-01-%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5-161 महाभारत], आदिपर्व, अध्याय- १६१, श्लोक- ५-६।</ref> </blockquote>विदुर द्वारा भेजा गया वह व्यक्ति पांडवों को तेज गति से चलने वाली नौका दिखाता है। यह नौका - |
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| | इस संदर्भ से यंत्रों से चलने वाली नौका (मशीन से संचालित बोट/शिप) का भी संकेत मिलता है। आज के समय में इष्टिम्बोट (स्टीमबोट) शब्दों से इसी प्रकार की नौका को जाना जाता है। | | इस संदर्भ से यंत्रों से चलने वाली नौका (मशीन से संचालित बोट/शिप) का भी संकेत मिलता है। आज के समय में इष्टिम्बोट (स्टीमबोट) शब्दों से इसी प्रकार की नौका को जाना जाता है। |
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| − | मिथुनोत्पत्तिः।। 6 ।। तत्र पुत्रस्य उपरिचरवसुना ग्रहणम्। कन्याया दाशगृहे स्थितिः।। 7 ।। नावं वाहयमानायां सत्यवतीनाम्न्यां दाशकन्यायां पराशराद्द्वैपायनस्योत्पत्तिः। तस्य...
| + | तत्र पुत्रस्य उपरिचरवसुना ग्रहणम्। कन्याया दाशगृहे स्थितिः। नावं वाहयमानायां सत्यवतीनाम्न्यां दाशकन्यायां पराशराद्द्वैपायनस्योत्पत्तिः॥ (महाभारत) |
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| | ===ज्योतिष शास्त्र में नौका वर्णन॥ Nauka in Jyotish Shastra=== | | ===ज्योतिष शास्त्र में नौका वर्णन॥ Nauka in Jyotish Shastra=== |