Difference between revisions of "पाठ्यक्रम - कक्षा ४ से कक्षा ६"
Jump to navigation
Jump to search
(→कक्षा ४ पाठ्यक्रम: लेख सम्पादित किया) |
(Added Category) |
||
(3 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 36: | Line 36: | ||
** अष्टावक, याज्ञवल्क्य, ऋषि मनु, विश्वामित्र, धौम्य, धन्वन्तरी, ऋषि काश्यप, देवल, चाणक्य, अगस्ति, दधीचि, झूलेलाल, विश्वकर्मा, भगीरथ, रंतिदेव, राजा विकमादित्य, महाराणा प्रताप | ** अष्टावक, याज्ञवल्क्य, ऋषि मनु, विश्वामित्र, धौम्य, धन्वन्तरी, ऋषि काश्यप, देवल, चाणक्य, अगस्ति, दधीचि, झूलेलाल, विश्वकर्मा, भगीरथ, रंतिदेव, राजा विकमादित्य, महाराणा प्रताप | ||
* स्पर्शसंयम | * स्पर्शसंयम | ||
+ | * कृतिपाठ | ||
+ | * घरेलू कार्य-अपने घर में विविध वस्तुओं पर जमनेवाली धूल साफ करना। यह कार्य दैनंदिन स्वरूप में करें। | ||
+ | * संध्यावंदना, अग्निहोत्र तथा हवन करना | ||
+ | * सांस्कृतिक भारत का मानचित्र बनाना- प्रमुख स्थान दिखाना | ||
+ | * भारत के विशिष्ट वृक्षों को पहचानना, उनके चित्र बनाना एवं उनके औषधीय तथा अर्थशास्त्रीय महत्व की जानकारी एकत्र करना | ||
+ | * किन्हीं पाँच स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की जानकारी का संकलन करना। | ||
+ | * व्यवहारसूत्र | ||
+ | ** आ नो भद्रा: कतवो यन्तु विश्वतः। | ||
+ | ** आत्मनो मोक्षार्थ जगद्धिताय च। | ||
+ | ** चतुर्विध पुरुषार्थ। | ||
+ | ** उद्धरेदात्मनात्मानं। | ||
+ | ** अष्टांग योग-अस्तेय, अपरिग्रह | ||
== कक्षा ५ पाठ्यक्रम == | == कक्षा ५ पाठ्यक्रम == | ||
सार्थ कंठस्थीकरण: | सार्थ कंठस्थीकरण: | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
* गीता के निम्न श्लोक- सार्थ | * गीता के निम्न श्लोक- सार्थ | ||
− | ** अध्याय | + | ** अध्याय 2: 37, 47, 62, 63 |
− | ** अध्याय | + | ** अध्याय 4: 5 |
− | ** अध्याय | + | ** अध्याय 6: 41, 44 |
− | ** अध्याय | + | ** अध्याय 9: 7 |
− | ** कुल | + | ** अध्याय 13: 21 |
− | * | + | ** अध्याय 15: 16, 17 |
+ | ** कुल 11 | ||
+ | * शिक्षावल्ली- अनुवाक् 11 | ||
+ | * नासदीय सूक्त- मंत्र 1, 2, 3, 7 कुल 4 | ||
* हमारा देश | * हमारा देश | ||
− | * | + | * कर्मसिद्धान्त और पुनर्जन्म से संबंधित मान्यताएँ। |
− | * | + | * राष्ट्र की संकल्पना (यजुर्वेद), |
− | + | * राष्ट्र की संगठन प्रणालियॉ- वर्णाश्रम प्रणालियाँ | |
− | * | + | * चिरंजीवी राष्ट्र का निर्माण |
− | * | + | * धर्म की समाजसंबंधित परिभाषाएँ |
− | * | + | * सृष्टिनिर्मिति की भारतीय संकल्पना: |
− | * | + | * शाकाहार के लाभ |
− | * | + | * गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु |
− | * | + | * हमारा साहित्य- चार उपवेद-आयुर्वेद, धनुर्वेद, गांधर्ववेद, शिल्पवेद, सिंहासनबत्तीसी, वेतालपच्चीसी समरांगणसूत्रधार ( राजा भोज), नीतिशतक, बृहत्संहिता, धर्मसूत्र, गृह्यसूत्र |
− | * | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
* हमारे पूर्वज | * हमारे पूर्वज | ||
− | ** | + | ** विविध संप्रदायाचार्य- गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, गोरखनाथ, शंकराचार्य, मध्वाचार्य, निम्बार्काचार्य, रामानुजाचार्य, वल्लभाचार्य, बसवेश्वर, चैतन्य महाप्रभु, सहजानन्द, गुरु नानक, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविन्दसिंह, स्वामी दयानन्द |
+ | * अलससंयम | ||
* कृतिपाठ | * कृतिपाठ | ||
− | * | + | * घरेलू कार्य- अपने व्यक्तिगत कार्य स्वयं करना। अपनी दिनचर्या की समयसारणी बनाना एवं उसका अनुपालन करना। प्रातःकाल उठना। अपने बिछौने को व्यवस्थित करना। अपने विद्यालय जाने की तैयारी करना। अपने कपड़े धोना। अपने जेबखर्च से पैसे बचा कर उसे जहाँ आवश्यकता हो वहां दान करना। जेब खर्च के पैसों का हिसाब रखना। अनावश्यक खर्चों पर विचार करना तथा भविष्य में ऐसा न करने का संकल्प करना। |
− | * | + | * भारत के प्राचीन /पारंपारिक खेलों पर साहित्य इकट्ठा करना चित्र बनाना, वे खेल खेलना |
− | * | + | * आधुनिक खेलों के साथ तुलनात्मक अध्ययन करना |
− | * | + | * शिवाजी महाराज के दुर्गों की सचित्र जानकारी का संकलन करना। |
− | + | * किन्हीं पाँच राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं की जानकारी का संकलन करना | |
− | * | ||
* व्यवहारसूत्र | * व्यवहारसूत्र | ||
− | ** | + | ** नर करनी करै तो उत्तरोत्तर प्रगति संभव हो जाय। |
− | ** | + | ** कर्मसिद्धान्त। |
− | ** | + | ** अपने कर्तव्य और औरों के अधिकारों के लिए प्रयास। |
− | * | + | |
+ | * अष्टांग योग- तप, स्वाध्याय | ||
+ | |||
== कक्षा ६ पाठ्यक्रम == | == कक्षा ६ पाठ्यक्रम == | ||
सार्थ कंठस्थीकरण: | सार्थ कंठस्थीकरण: | ||
− | * श्रीमदभगवद्गीता- | + | * श्रीमदभगवद्गीता के चयनित श्लोक- सार्थ एवं स्पष्टीकरण के साथ। |
− | * | + | ** अध्याय 15: 12, 13, 14 |
− | * | + | ** अध्याय 2: 31 |
− | * | + | ** अध्याय 3: 20, 21, 25 |
− | + | ** अध्याय 4: 7, 8 | |
− | * | + | ** अध्याय 7: 11 |
− | * | ||
− | ** अध्याय | ||
− | ** अध्याय | ||
** कुल 10 | ** कुल 10 | ||
− | * | + | *शिवसंकल्पोपनिषद्- पहला श्लोक |
− | * | + | *पुरुषसूक्त-क. 1, 2, 3, 5, 12 कुल 5 |
− | + | *श्रीसूक्त -श्लोक क. 1, 2, 3, 4, 6. कुल 5 | |
− | + | * हमारा देश | |
− | + | * धर्म की व्यापक संकल्पना- पर्यावरण, समाज, व्यक्ति | |
− | + | * वेदों की अपौरुषेयता | |
− | + | * चैतन्यमय समाजपुरुष की संकल्पना | |
− | * | + | * गीता में समाज के विविध अंगों ( वर्ण ) के कर्तव्य |
− | + | * एकात्म मानवदर्शन आधारित जीवन का भारतीय प्रतिमान | |
− | + | * 14 विद्या, 64 कलाएँ | |
− | * हमारा | + | * भारतीय संगीत परंपरा- सा कला या विमुक्तये। |
− | * | + | * गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु |
− | * | + | * हमारा साहित्य- प्रस्थानत्रयी, शुक्रनीति, दर्शनशास्त्र, भरतमुनि का नाट्यशास्त्र, भरद्वाज मुनि का यंत्रसर्वस्व |
− | * | + | * विदेशी आकमणों का हिन्दु अवरोध शरद हेबालकर इस किताब के चयनित अंश |
− | * | ||
− | * | ||
− | * | ||
− | * | ||
− | * | ||
− | * | ||
− | * | ||
* हमारे पूर्वज | * हमारे पूर्वज | ||
− | ** | + | ** राजा रविवर्मा, भामाशाह रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मीबाई, रानी चन्नम्मा, भरत मुनि, कालिदास, सूरदास, त्यागराज, रसखान, भाग्यचन्द्र, भरध्षाज, सुश्रुत, चरक, नागार्जुन, भास्कराचार्य ड्वितीय, वराहमिहिर, आर्यभट्ट, राजा भोज, जगदीशचन्द्र बसु, चन्द्रशेखर वेंकटरमण, रामानुजम्, |
− | + | * अर्थसंयम | |
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
* कृतिपाठ | * कृतिपाठ | ||
− | ** | + | ** घरेलू कार्य- प्रत्येक रविवार को पूरे घर की सफाई करना। घर की सब्जी इत्यादि लाने का कार्य करना एवं उसका हिसाब रखना। |
− | ** | + | ** भारत की पारंपारिक कलाएँ |
− | ** | + | ** अल्पना, मांडना |
− | ** | + | ** चौक पूरना |
+ | ** राम के अयोध्या से लंका तक के प्रवास का मार्ग भारत के मानचित्र में दिखाना। | ||
+ | ** दक्षिण भारत के विशिष्ट स्थापत्य की सचित्र जानकारी संकलित करना। | ||
+ | ** उत्तर भारत और दक्षिण भारत की स्थापत्य शैलियों की जानकारी करना। | ||
+ | ** मांडवगढ़, चित्तौडगढ़, कुभलगढ, जैसलमेर तथा देश के अन्य दुर्गो का सचित्र इतिहास संकलित करना । | ||
+ | ** स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली दो-दो स्वयंसेवी संस्थाओं की कार्यप्रणाली का अध्ययन करना।\ | ||
** व्यवहारसूत्र | ** व्यवहारसूत्र | ||
− | *** | + | *** सर्वे भवन्तु सुखिनः। |
− | *** | + | *** एकात्मता दृष्टि। |
− | *** | + | *** कृष्वन्तो विश्वमार्यम्। |
− | *** | + | *** पूर्णत्व प्राप्ति की आस। |
− | * | + | * अष्टांग योग-ईश्वर प्रणिधान |
==References== | ==References== | ||
Line 141: | Line 134: | ||
[[Category: पाठ्यक्रम निर्माण]] | [[Category: पाठ्यक्रम निर्माण]] | ||
+ | [[Category:Punarutthan]] |
Latest revision as of 14:54, 31 August 2023
This article relies largely or entirely upon a single source.April 2021) ( |
कक्षा 4 से 6, आयु 10 से 12 : बुद्धि का विकास[1] :- ग्रहण, धारणा, आकलन, प्रकटन, तर्क, अनुमान, संश्लेषण, विश्लेषण, विवेक, निर्णय। संयम, तितिक्षा, संकल्प-सिद्धि की आदतें।
- अब सबक सीखने का, पराजयों के विश्लेषण, क्या करना चाहिए था, क्या नहीं करना चाहिए था- के साथ इतिहास की शिक्षा।
- संस्कृति, कुटुम्ब, ग्राम, जनपद, प्रान्त, भाषा, समाज, सामाजिक संगठन, सामाजिक व्यवस्थाएँ, राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय संबंधों की स्पष्टता ।
- कुटुम्ब में दायित्व, बड़ों का आदर और सेवा। छोटों की सहायता और रक्षा। घर के काम सीखना, हाथ बँटाना।
- धार्मिक जीवनदृष्टि और व्यवहारसूत्रों की जानकारी, प्रेरणा, अभारतीयों से श्रेष्ठता ।
- स्वभावज कर्म, स्वभाव की शुद्धि एवं वृद्धि के लिए मार्गदर्शन, कौटुंबिक उद्योगों का महत्व, जातिव्यवस्था, ग्रामकुल, आश्रमव्यवस्था की बुद्धियुक्त पृष्ठभूमि ।
- अपने स्वभाव के अनुसार शिक्षक, रक्षक, पोषक बनने का संकल्प करना।
- समग्र विकास की बौद्धिक पृष्ठभूमि, सामाजिक व प्रयावरणीय समस्याओं का निराकरण, मानवजीवन, समाजजीवन और सृष्टिहितकारी जीवन का लक्ष्य।
- व्यक्तित्वविकास और संघ-समितियों से जुड़ना।
- धर्म की व्यापक और भिन्न भिन्न परिभाषाएँ। समाजधर्म, वर्णाश्रमधर्म की श्रेष्ठता समझना।
कक्षा ४ पाठ्यक्रम
सार्थ कंठस्थीकरण:
- गीता के निम्न श्लोक- सार्थ
- सर्वोपनिषदो गावो...
- अध्याय 18: 40, 41, 43 से 48, 59, 60, 73
- कुल 11 श्लोक
- आदित्यह्दयस्तोत्र श्लोक क. 6, 7, 8, 10, 11 कुल 5
- शंकराचार्य-आत्मषटक्- केवल प्रथम श्लोक कुल 1
- हमारा देश
- व्यष्टि से परमेष्ठी तक व्यक्तित्व का विकास, चार पुरुषार्थ- मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष
- समाज की संकल्पना।
- सामाजिक संगठन- वर्णाश्रम धर्म
- व्यक्ति का सामाजिक स्तर पर लक्ष्य स्वतंत्रता जो परस्परावलंबन आधारित होती है।
- गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु
- हमारा साहित्य
- कथासरित्सागर
- कालिदास, भारवि, दण्डी, माघ की साहित्यसृष्टि
- अष्टाध्यायी
- मुद्राराक्षस
- रत्नावली
- भारतीय संस्कृति का विश्वसंचार- शरद हेबाढकर इस किताब के चयनित अंश
- हमारे पूर्वज
- अष्टावक, याज्ञवल्क्य, ऋषि मनु, विश्वामित्र, धौम्य, धन्वन्तरी, ऋषि काश्यप, देवल, चाणक्य, अगस्ति, दधीचि, झूलेलाल, विश्वकर्मा, भगीरथ, रंतिदेव, राजा विकमादित्य, महाराणा प्रताप
- स्पर्शसंयम
- कृतिपाठ
- घरेलू कार्य-अपने घर में विविध वस्तुओं पर जमनेवाली धूल साफ करना। यह कार्य दैनंदिन स्वरूप में करें।
- संध्यावंदना, अग्निहोत्र तथा हवन करना
- सांस्कृतिक भारत का मानचित्र बनाना- प्रमुख स्थान दिखाना
- भारत के विशिष्ट वृक्षों को पहचानना, उनके चित्र बनाना एवं उनके औषधीय तथा अर्थशास्त्रीय महत्व की जानकारी एकत्र करना
- किन्हीं पाँच स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की जानकारी का संकलन करना।
- व्यवहारसूत्र
- आ नो भद्रा: कतवो यन्तु विश्वतः।
- आत्मनो मोक्षार्थ जगद्धिताय च।
- चतुर्विध पुरुषार्थ।
- उद्धरेदात्मनात्मानं।
- अष्टांग योग-अस्तेय, अपरिग्रह
कक्षा ५ पाठ्यक्रम
सार्थ कंठस्थीकरण:
- गीता के निम्न श्लोक- सार्थ
- अध्याय 2: 37, 47, 62, 63
- अध्याय 4: 5
- अध्याय 6: 41, 44
- अध्याय 9: 7
- अध्याय 13: 21
- अध्याय 15: 16, 17
- कुल 11
- शिक्षावल्ली- अनुवाक् 11
- नासदीय सूक्त- मंत्र 1, 2, 3, 7 कुल 4
- हमारा देश
- कर्मसिद्धान्त और पुनर्जन्म से संबंधित मान्यताएँ।
- राष्ट्र की संकल्पना (यजुर्वेद),
- राष्ट्र की संगठन प्रणालियॉ- वर्णाश्रम प्रणालियाँ
- चिरंजीवी राष्ट्र का निर्माण
- धर्म की समाजसंबंधित परिभाषाएँ
- सृष्टिनिर्मिति की भारतीय संकल्पना:
- शाकाहार के लाभ
- गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु
- हमारा साहित्य- चार उपवेद-आयुर्वेद, धनुर्वेद, गांधर्ववेद, शिल्पवेद, सिंहासनबत्तीसी, वेतालपच्चीसी समरांगणसूत्रधार ( राजा भोज), नीतिशतक, बृहत्संहिता, धर्मसूत्र, गृह्यसूत्र
- हमारे पूर्वज
- विविध संप्रदायाचार्य- गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, गोरखनाथ, शंकराचार्य, मध्वाचार्य, निम्बार्काचार्य, रामानुजाचार्य, वल्लभाचार्य, बसवेश्वर, चैतन्य महाप्रभु, सहजानन्द, गुरु नानक, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविन्दसिंह, स्वामी दयानन्द
- अलससंयम
- कृतिपाठ
- घरेलू कार्य- अपने व्यक्तिगत कार्य स्वयं करना। अपनी दिनचर्या की समयसारणी बनाना एवं उसका अनुपालन करना। प्रातःकाल उठना। अपने बिछौने को व्यवस्थित करना। अपने विद्यालय जाने की तैयारी करना। अपने कपड़े धोना। अपने जेबखर्च से पैसे बचा कर उसे जहाँ आवश्यकता हो वहां दान करना। जेब खर्च के पैसों का हिसाब रखना। अनावश्यक खर्चों पर विचार करना तथा भविष्य में ऐसा न करने का संकल्प करना।
- भारत के प्राचीन /पारंपारिक खेलों पर साहित्य इकट्ठा करना चित्र बनाना, वे खेल खेलना
- आधुनिक खेलों के साथ तुलनात्मक अध्ययन करना
- शिवाजी महाराज के दुर्गों की सचित्र जानकारी का संकलन करना।
- किन्हीं पाँच राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं की जानकारी का संकलन करना
- व्यवहारसूत्र
- नर करनी करै तो उत्तरोत्तर प्रगति संभव हो जाय।
- कर्मसिद्धान्त।
- अपने कर्तव्य और औरों के अधिकारों के लिए प्रयास।
- अष्टांग योग- तप, स्वाध्याय
कक्षा ६ पाठ्यक्रम
सार्थ कंठस्थीकरण:
- श्रीमदभगवद्गीता के चयनित श्लोक- सार्थ एवं स्पष्टीकरण के साथ।
- अध्याय 15: 12, 13, 14
- अध्याय 2: 31
- अध्याय 3: 20, 21, 25
- अध्याय 4: 7, 8
- अध्याय 7: 11
- कुल 10
- शिवसंकल्पोपनिषद्- पहला श्लोक
- पुरुषसूक्त-क. 1, 2, 3, 5, 12 कुल 5
- श्रीसूक्त -श्लोक क. 1, 2, 3, 4, 6. कुल 5
- हमारा देश
- धर्म की व्यापक संकल्पना- पर्यावरण, समाज, व्यक्ति
- वेदों की अपौरुषेयता
- चैतन्यमय समाजपुरुष की संकल्पना
- गीता में समाज के विविध अंगों ( वर्ण ) के कर्तव्य
- एकात्म मानवदर्शन आधारित जीवन का भारतीय प्रतिमान
- 14 विद्या, 64 कलाएँ
- भारतीय संगीत परंपरा- सा कला या विमुक्तये।
- गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु
- हमारा साहित्य- प्रस्थानत्रयी, शुक्रनीति, दर्शनशास्त्र, भरतमुनि का नाट्यशास्त्र, भरद्वाज मुनि का यंत्रसर्वस्व
- विदेशी आकमणों का हिन्दु अवरोध शरद हेबालकर इस किताब के चयनित अंश
- हमारे पूर्वज
- राजा रविवर्मा, भामाशाह रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मीबाई, रानी चन्नम्मा, भरत मुनि, कालिदास, सूरदास, त्यागराज, रसखान, भाग्यचन्द्र, भरध्षाज, सुश्रुत, चरक, नागार्जुन, भास्कराचार्य ड्वितीय, वराहमिहिर, आर्यभट्ट, राजा भोज, जगदीशचन्द्र बसु, चन्द्रशेखर वेंकटरमण, रामानुजम्,
- अर्थसंयम
- कृतिपाठ
- घरेलू कार्य- प्रत्येक रविवार को पूरे घर की सफाई करना। घर की सब्जी इत्यादि लाने का कार्य करना एवं उसका हिसाब रखना।
- भारत की पारंपारिक कलाएँ
- अल्पना, मांडना
- चौक पूरना
- राम के अयोध्या से लंका तक के प्रवास का मार्ग भारत के मानचित्र में दिखाना।
- दक्षिण भारत के विशिष्ट स्थापत्य की सचित्र जानकारी संकलित करना।
- उत्तर भारत और दक्षिण भारत की स्थापत्य शैलियों की जानकारी करना।
- मांडवगढ़, चित्तौडगढ़, कुभलगढ, जैसलमेर तथा देश के अन्य दुर्गो का सचित्र इतिहास संकलित करना ।
- स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली दो-दो स्वयंसेवी संस्थाओं की कार्यप्रणाली का अध्ययन करना।\
- व्यवहारसूत्र
- सर्वे भवन्तु सुखिनः।
- एकात्मता दृष्टि।
- कृष्वन्तो विश्वमार्यम्।
- पूर्णत्व प्राप्ति की आस।
- अष्टांग योग-ईश्वर प्रणिधान
References
- ↑ दिलीप केलकर, भारतीय शिक्षण मंच